बाराबंकीः जिला जेल को शाक-भाजी का बेहतर उत्पादन करने के लिए सोमवार को प्रदेश में पहला पुरस्कार मिला है. पिछले 15 वर्षों का रिकार्ड तोड़ते हुए बाराबंकी जेल (Barabanki district jail) ने एक बार फिर चल बैजयंती ट्राफी हासिल की है. जेल अधीक्षक के निर्देशन में बंदियों द्वारा उगाई गई 13 विभिन्न सब्जियों को पुरस्कृत किया गया. सोमवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीपी सिंह को चल बैजयंती देकर सम्मानित किया. ओवरऑल प्रदर्शन में बाराबंकी के साथ सीतापुर जिला कारागार को संयुक्त रूप से प्रथम पुरस्कार दिया गया.
बता दें कि राजभवन लखनऊ में हर वर्ष प्रादेशिक फल, शाक, भाजी और पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. इस प्रदर्शनी में प्रदेश के सभी कारागार अपने यहां उगाई गई शाक-भाजी और सब्जियों का प्रदर्शन करते हैं. कारागार को पुष्प प्रदर्शनी से अलग रखा जाता है. इस बार इस प्रदर्शनी का आयोजन 17 फरवरी से शुरू हुआ था और सोमवार को इसका समापन हुआ. इस प्रदर्शनी में बाराबंकी जिला कारागार को कुल 13 पुरस्कार मिले.
प्रथम पुरस्कार - गांठ गोभी, चुकंदर, टमाटर, लम्बा बैगन, फ्रेंच मूली
द्वितीय पुरस्कार - गांठ गोभी, पत्ता गोभी, सलाद, जौनपुरी मूली
तृतीय पुरस्कार - गोल बैंगन, सामान्य मूली, शलजम
दरअसल बाराबंकी जिला जेल में 13 एकड़ जमीन है. वर्षों से यहां की जेल में उगाई जाने वाली सब्जियों की खास पहचान रही है. लेकिन, इस बार जेल अधीक्षक ने कई नए प्रयोग किये. जेल अधीक्षक ने जैविक खेती करने की योजना बनाई और इसके लिए उन्होंने जेल की गायों के गोबर से जैविक खाद तैयार करवाई. इसके साथ ही जैविक कीटनाशक भी तैयार कराये.
करीबन 08 एकड़ में उन्होंने आलू की खेती कराई साथ ही 05 एकड़ में शाक भाजी और सब्जियों की खेती कराई. सब्जियों में उन्होंने फ्रेंच मूली, जौनपुरी मूली और सामान्य मूली की खेती को तरजीह दी. इसके अलावा लंबे और गोल बैंगन उगाए. गांठ और पत्ता गोभी के साथ उन्होंने शलजम की भी खेती कराई. यही नहीं प्रयोग के तौर पर जेल अधीक्षक पीपीसिंह ने नई पहल करते हुए डेढ़ बीघे में स्ट्राबेरी की भी खेती कराई. जैविक खेती कर उगाई गई सब्जियों ने लखनऊ के राजभवन में आयोजित प्रदर्शनी में धूम मचा दी और 74 जिलों द्वारा उगाई गई सब्जियों को पीछे छोड़ दिया.
बाराबंकी जेल की सब्जियों की है जबरदस्त मांगः बाराबंकी जेल की सब्जियां आदर्श कारागार लखनऊ, जिला कारागार लखनऊ और नारी निकेतन लखनऊ को बंदियों के उपयोग के लिए भेजी जाती हैं. साथ ही यहां की जेल के बंदियों के खाने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं.
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