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दहेज हत्या के मामले में पति को 10 वर्ष का कठोर कारावास

दहेज हत्या मामले में बाराबंकी जिला न्यायालय ने पति को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई. वहीं, साक्ष्य के अभाव में दोषी पति के परिजनों को मुक्त कर दिया.

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Published : Oct 12, 2022, 10:13 PM IST

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बाराबंकी जिला न्यायालय

बाराबंकीः बाराबंकी जिला न्यायालय ने 10 वर्ष पहले दहेज के लिए अपनी पत्नी की हत्या करने के मामले में आरोपी पति को 10 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.

अभियोजन अधिकारी फौजदारी शैलेन्द्र श्रीवास्तव के मुताबिक, रायबरेली जिले के बछरावां थाने के दोसपुर निवासी संतोष कुमार बाजपेयी ने बाराबंकी के हैदरगढ़ थाने में 16 जून 2012 को प्रार्थना पत्र दिया था. पत्र में लिखा था कि उनकी पुत्री को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया और हत्या कर दी गई. शिकायतकर्ता संतोष कुमार बाजपेयी के अनुसार उसने अपनी पुत्री की शादी 09 फरवरी 2010 को हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बम्हरौली गांव के रहने वाले राजनरायन शुक्ला के पुत्र शिव प्रकाश शुक्ला के साथ की थी. उसने अपनी हैसियत के मुताबिक दान दहेज भी दिया था, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद से शिवप्रकाश शुक्ला और उसके घर वाले उसकी पुत्री को दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे.

यही नहीं 05 जून 2012 को उसकी पुत्री को इन लोगों ने आग लगा दी. इलाज के दौरान 13 जून को उसकी मौत हो गई. वादी ने हैदरगढ़ थाने पर दामाद शिवप्रकाश शुक्ला, शिवप्रकाश के पिता राजनरायन शुक्ला, शिवप्रकाश शुक्ला की माता धर्मादेवी, भाई ओमप्रकाश शुक्ला समेत 06 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने धारा 498ए, 304बी, 302/34 आईपीसी और दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की.

मामले में अभियोजन ने पैरवी करते हुए ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत किये गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों की बहस के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नम्बर 36 अंशुमान पटनायक ने शिवप्रकाश शुक्ला को दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. जबकि साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त राजनरायन, धर्मादेवी, ओमप्रकाश, रीता और कांति देवी को दोषमुक्त कर दिया.

पढ़ेंः पत्नी की हत्या के मामले में 9 साल बाद पति को 10 साल की सजा, सास पर भी आरोप तय

बाराबंकीः बाराबंकी जिला न्यायालय ने 10 वर्ष पहले दहेज के लिए अपनी पत्नी की हत्या करने के मामले में आरोपी पति को 10 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.

अभियोजन अधिकारी फौजदारी शैलेन्द्र श्रीवास्तव के मुताबिक, रायबरेली जिले के बछरावां थाने के दोसपुर निवासी संतोष कुमार बाजपेयी ने बाराबंकी के हैदरगढ़ थाने में 16 जून 2012 को प्रार्थना पत्र दिया था. पत्र में लिखा था कि उनकी पुत्री को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया और हत्या कर दी गई. शिकायतकर्ता संतोष कुमार बाजपेयी के अनुसार उसने अपनी पुत्री की शादी 09 फरवरी 2010 को हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बम्हरौली गांव के रहने वाले राजनरायन शुक्ला के पुत्र शिव प्रकाश शुक्ला के साथ की थी. उसने अपनी हैसियत के मुताबिक दान दहेज भी दिया था, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद से शिवप्रकाश शुक्ला और उसके घर वाले उसकी पुत्री को दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे.

यही नहीं 05 जून 2012 को उसकी पुत्री को इन लोगों ने आग लगा दी. इलाज के दौरान 13 जून को उसकी मौत हो गई. वादी ने हैदरगढ़ थाने पर दामाद शिवप्रकाश शुक्ला, शिवप्रकाश के पिता राजनरायन शुक्ला, शिवप्रकाश शुक्ला की माता धर्मादेवी, भाई ओमप्रकाश शुक्ला समेत 06 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने धारा 498ए, 304बी, 302/34 आईपीसी और दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की.

मामले में अभियोजन ने पैरवी करते हुए ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत किये गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों की बहस के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नम्बर 36 अंशुमान पटनायक ने शिवप्रकाश शुक्ला को दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. जबकि साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त राजनरायन, धर्मादेवी, ओमप्रकाश, रीता और कांति देवी को दोषमुक्त कर दिया.

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