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बाराबंकी : इस साहित्य प्रेमी ने कोरोना काल में रच डाला महाकाव्य

यूपी के बाराबंकी में एक साहित्य प्रेमी हैं, जिनका नाम राम किशोर तिवारी है. इन्होंने कोरोना काल में महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर 151 छंदों का एक महाकाव्य लिख डाला है. राम किशोर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौर की ही तरह लक्ष्मीबाई का जीवन भी संघर्षमयी रहा है.

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साहित्य प्रेमी राम किशोर तिवारी.
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Published : Oct 13, 2020, 2:13 PM IST

बाराबंकी : जिले के एक साहित्य प्रेमी ने पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप आपदा को अवसर में बदल डाला है. साहित्य प्रेमी ने लॉकडाउन के दौरान महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर 151 छंदों का एक महाकाव्य लिख डाला है.

साहित्य प्रेमी राम किशोर तिवारी लक्ष्मणपुरी कॉलोनी के रहने वाले हैं. पेशे से राम किशोर डाक विभाग में कर्मचारी हैं, लेकिन सहित्य प्रेमी बचपन से हैं. कोरोना काल में राम किशोर ने महारानी लक्ष्मीबाई पर 151 छंदों का एक काव्य ग्रंथ लिख डाला है. महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन को काव्य ग्रंथ में उतारने को लेकर राम किशोर के अपने तर्क हैं. राम किशोर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौर की ही तरह रानी लक्ष्मीबाई का जीवन भी संघर्षमयी रहा है. उस कालखंड में जब राजे-रजवाड़े सर की उपाधि लेकर घरों में दुबके रहते थे. एक नारी होकर ये वीरांगना अंग्रेजों से लगातार टक्कर लेती रही.

राम किशोर ने महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर लिखा महाकाव्य.

अब तक दो हजार से ज्यादा कवि सम्मेलनों में एक कविता पाठ कर चुके राम किशोर तिवारी को कवि सम्मेलनों के संचालन में भी महारत हासिल है. वे कई साहित्य संस्थानों के अध्यक्ष हैं तो कई संस्थानों के सक्रिय सदस्य हैं. पिछले दो दशकों में देश के दर्जन भर प्रदेशों में कविता पाठ कर चुके रामकिशोर तिवारी अब तक दर्जनों पुरस्कार हासिल कर चुके हैं. लेकिन कोई भी सरकारी पुरस्कार न मिलने का रामकिशोर को मलाल भी है.

बाराबंकी : जिले के एक साहित्य प्रेमी ने पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप आपदा को अवसर में बदल डाला है. साहित्य प्रेमी ने लॉकडाउन के दौरान महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर 151 छंदों का एक महाकाव्य लिख डाला है.

साहित्य प्रेमी राम किशोर तिवारी लक्ष्मणपुरी कॉलोनी के रहने वाले हैं. पेशे से राम किशोर डाक विभाग में कर्मचारी हैं, लेकिन सहित्य प्रेमी बचपन से हैं. कोरोना काल में राम किशोर ने महारानी लक्ष्मीबाई पर 151 छंदों का एक काव्य ग्रंथ लिख डाला है. महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन को काव्य ग्रंथ में उतारने को लेकर राम किशोर के अपने तर्क हैं. राम किशोर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौर की ही तरह रानी लक्ष्मीबाई का जीवन भी संघर्षमयी रहा है. उस कालखंड में जब राजे-रजवाड़े सर की उपाधि लेकर घरों में दुबके रहते थे. एक नारी होकर ये वीरांगना अंग्रेजों से लगातार टक्कर लेती रही.

राम किशोर ने महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर लिखा महाकाव्य.

अब तक दो हजार से ज्यादा कवि सम्मेलनों में एक कविता पाठ कर चुके राम किशोर तिवारी को कवि सम्मेलनों के संचालन में भी महारत हासिल है. वे कई साहित्य संस्थानों के अध्यक्ष हैं तो कई संस्थानों के सक्रिय सदस्य हैं. पिछले दो दशकों में देश के दर्जन भर प्रदेशों में कविता पाठ कर चुके रामकिशोर तिवारी अब तक दर्जनों पुरस्कार हासिल कर चुके हैं. लेकिन कोई भी सरकारी पुरस्कार न मिलने का रामकिशोर को मलाल भी है.

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