बाराबंकी: कभी रामनगर, फतेहपुर, सिरौलीगौसपुर और राम सनेहीघाट तहसील के दर्जनों गांवों के किसान बहुतायत में गन्ना बोते थे. रामनगर तहसील के घाघरा नदी की तलहटी में तो गन्ने की जबरदस्त खेती होती थी. गन्ने की जबरदस्त खेती को देखते हुए साल 1930 में रामनगर के बुढ़वल में चीनी मिल की स्थापना की गई थी. शुरूआत के कई वर्षों में क्षेत्र के गन्ना किसानों को इसका खासा लाभ मिला लेकिन धीरे-धीरे खराब नीतियों और देख-रेख के अभाव में मिल घाटे में होती चली गई.
मशीनें खराब और जर्जर होती चली गईं. पहले जहां एक दिन में पेराई की क्षमता 50 हजार क्वींटल थी तो वहीं, वर्ष 2007-2008 आते आते इसकी क्षमता कम हो गई. आखिरकार वर्ष 2013 आते-आते इस मिल का चक्का पूरी तरह ठप हो गया. डेढ़ सौ एकड़ रकबे वाली इस मिल में काम करने वाले हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए. इस मिल के दुबारा संचालन को लेकर जिलेवासी लगातार मांग करते आ रहे थे.
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कई बार आश्वासन मिला लेकिन मिल नहीं चल सकी. अब योगी 2.0 सरकार ने इसको गम्भीरता से लिया और मिल के दुबारा संचालन के लिए बजट में 50 करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा हुई. इस घोषणा ने गन्ना किसानों में जोश भर दिया. पांच हजार से ज्यादा हेक्टेयर में इस क्षेत्र में गन्ना बोया जाता था. यहां की बुढ़वल शुगर मिल से गन्ना किसान खासे लाभान्वित होते थे लेकिन चीनी मिल ठप हो जाने से किसानों ने गन्ना बोने से किनारा कर लिया था. अब एक बार फिर से चीनी मिल के संचालन की घोषणा ने किसानों की आंखों में चमक ला दी है और शायद यही वजह है कि इस बार जिले में गन्ने का रकबा बढ़ गया है और सबसे ज्यादा रकबा बुढ़वल क्षेत्र में ही बढ़ा है.
प्रदेश सरकार द्वारा अपने बजट में बुढ़वल चीनी मिल के संचालन के लिए 50 करोड़ रुपये दिए जाने की मंजूरी दे दिए जाने के बाद मिल के संचालन का रास्ता साफ हो गया. जल्द ही मिल के फिर से संचालन का काम शुरू हो जाएगा. इससे न केवल गन्ना किसानों को लाभ होगा बल्कि लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस मामले में जिला गन्ना अधिकारी रत्नेश्वर त्रिपाठी ने बताया कि शुगर मिल के पुनः संचालन की घोषणा से रकबा बढ़ा है.
पूरे जिले में गन्ने का रकबा
वर्तमान रकबा | पिछले वर्ष का रकबा |
9550.6 हेक्टेयर | 7918 हेक्टेयर |
बुढ़वल क्षेत्र में गन्ने का रकबा
वर्तमान रकबा | पिछले वर्ष का रकबा |
6500 हेक्टेयर | 4500 हेक्टेयर |
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