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बाराबंकी में दहेज हत्या में ससुर को 7 साल का कारावास

बाराबंकी में दहेज हत्या में ससुर को 7 साल के कारावास की सजा सुनाई गई. इसके साथ ही 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.

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Published : Nov 24, 2022, 9:18 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 9:43 PM IST

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बाराबंकी: दहेज के लिए बहू की हत्या करने के मामले में बाराबंकी जिला कोर्ट ने ससुर को 7 साल के कठोर कारावास की सजा (7 years imprisonment to father in law in Barabanki) सुनाई है. इसके साथ ही 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.

24 नवंबर को दस साल पहले दहेज के लिए बहू को फांसी के फंदे पर लटका कर ससुर ने उसकी हत्या (Barabanki dowry death court verdict) कर दी थी. इसी मामले में आरोपी पति घटना के वक्त नाबालिग था, लिहाजा उसका मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा दिया. उन्होंने बताया कि अयोध्या जिले के रौनाही थाना क्षेत्र के धन्नीपुर गांव निवासी वादी नासिर ने 01 मार्च 2012 को रौनाही थाने में तहरीर दी थी. जिसमें कहा था कि उसने अपनी बेटी की शादी रामसनेही घाट थाने के सुमेरगंज मजरे धरौली गांव निवासी अजीज अहमद के पुत्र रशीद अहमद के साथ वर्ष 2011 में की थी. शादी के बाद से ही पति और ससुराल वाले दहेज में 50 हजार रुपए और रंगीन टीवी की मांग करने लगे. इसके चलते ससुराल पक्ष के लोग बेटी को प्रताड़ित करते थे.

घटना से दस दिन पहले मृतका मायके आई थी और उसने घर में रोकर बताया था कि दहेज के लिए उसे रोज मारा पीटा जाता है. मृतका के परिजनों ने कहना था कि पति और उसके परिजनों ने उसकी बेटी को फांसी पर लटका कर हत्या कर दी. मृतका के पिता नासिर ने दामाद रशीद अहमद, ससुर अजीज अहमद, दामाद के चाचा नसीब अहमद, नसीब की पत्नी जरीना और सुगना इन पांच के खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन के बाद पांचों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की.

पढ़ें- जेट्रोफा का फल खाने से कई बीमार, दो महिलाएं और 7 बच्चे भर्ती

ट्रायल के दौरान आरोपी पति रशीद अहमद नाबालिग पाया गया. लिहाजा कोर्ट ने उसके विचारण के लिए मामला जुवेनाइल कोर्ट में भेज दिया. चार लोगों का ट्रायल हुआ. अभियोजन पक्ष ने समुचित पैरवी करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों और बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने अजीज को दोषी ठहराते हुए 7 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. इस मामले में आरोपी रशीद का विचारण जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है, जबकि बाकी के तीन आरोपियों नसीब, जरीना और सुगना के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने से उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है.

पढ़ें- हाईवे किनारे के ढाबों पर रुकने वाले ट्रकों से डीजल चोरी करने वाला गैंग चढ़ा हत्थे

बाराबंकी: दहेज के लिए बहू की हत्या करने के मामले में बाराबंकी जिला कोर्ट ने ससुर को 7 साल के कठोर कारावास की सजा (7 years imprisonment to father in law in Barabanki) सुनाई है. इसके साथ ही 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.

24 नवंबर को दस साल पहले दहेज के लिए बहू को फांसी के फंदे पर लटका कर ससुर ने उसकी हत्या (Barabanki dowry death court verdict) कर दी थी. इसी मामले में आरोपी पति घटना के वक्त नाबालिग था, लिहाजा उसका मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा दिया. उन्होंने बताया कि अयोध्या जिले के रौनाही थाना क्षेत्र के धन्नीपुर गांव निवासी वादी नासिर ने 01 मार्च 2012 को रौनाही थाने में तहरीर दी थी. जिसमें कहा था कि उसने अपनी बेटी की शादी रामसनेही घाट थाने के सुमेरगंज मजरे धरौली गांव निवासी अजीज अहमद के पुत्र रशीद अहमद के साथ वर्ष 2011 में की थी. शादी के बाद से ही पति और ससुराल वाले दहेज में 50 हजार रुपए और रंगीन टीवी की मांग करने लगे. इसके चलते ससुराल पक्ष के लोग बेटी को प्रताड़ित करते थे.

घटना से दस दिन पहले मृतका मायके आई थी और उसने घर में रोकर बताया था कि दहेज के लिए उसे रोज मारा पीटा जाता है. मृतका के परिजनों ने कहना था कि पति और उसके परिजनों ने उसकी बेटी को फांसी पर लटका कर हत्या कर दी. मृतका के पिता नासिर ने दामाद रशीद अहमद, ससुर अजीज अहमद, दामाद के चाचा नसीब अहमद, नसीब की पत्नी जरीना और सुगना इन पांच के खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन के बाद पांचों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की.

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ट्रायल के दौरान आरोपी पति रशीद अहमद नाबालिग पाया गया. लिहाजा कोर्ट ने उसके विचारण के लिए मामला जुवेनाइल कोर्ट में भेज दिया. चार लोगों का ट्रायल हुआ. अभियोजन पक्ष ने समुचित पैरवी करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों और बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नंबर 36 अंशुमान पटनायक ने अजीज को दोषी ठहराते हुए 7 वर्ष के कठोर कारावास और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. इस मामले में आरोपी रशीद का विचारण जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है, जबकि बाकी के तीन आरोपियों नसीब, जरीना और सुगना के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने से उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है.

पढ़ें- हाईवे किनारे के ढाबों पर रुकने वाले ट्रकों से डीजल चोरी करने वाला गैंग चढ़ा हत्थे

Last Updated : Nov 24, 2022, 9:43 PM IST
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