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बाराबंकी उपचुनाव: 102 साल की सलमा की 'मजबूरी' और दिव्यांग लायकराम की 'उम्मीदें' EVM में कैद

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जैदपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 102 वर्षीय सलमा ने अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग किया. वहीं उपचुनाव में हिस्सा लेने के लिए दिव्यांग लायकराम भी पीछे नहीं रहे. इन सभी ने एक बार फिर सरकार से आस लगाई है.

102 साल की सलमा ने किया वोट.
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Published : Oct 21, 2019, 6:51 PM IST

बाराबंकीः 102 साल की सलमा जब मतदान केंद्र पहुंची तो लोग उनके जज्बे को लोग देखते ही रह गए. भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती को ऐसे ही बुजुर्ग मजबूती प्रदान करते हैं. हर बार सलमा वोट करने जरूर जाती हैं. वह कहती हैं कि वोट करना मजबूरी है. सचमुच उनकी यह मजबूरी नहीं है, बल्कि उनका भारतीय लोकतंत्र के प्रति अगाध प्रेम ही है, जो वह हर बार वोट करने जाती हैं.

विधानसभा जैदपुर में उपचुनाव के दौरान भी वह पहुंची. वहीं उपचुनाव में हिस्सा लेने के लिए दिव्यांग लायक राम भी पीछे नहीं रहे. मतदान करने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है, लेकिन फिर भी वह वोट करने पहुंचे हैं. उन्हें आशा है कि इसका लाभ इस बार उन्हें जरूर मिलेगा.

102 साल की सलमा ने किया उपचुनाव में मतदान.

102 वर्ष की बुजुर्ग ने किया अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग
सचमुच भारतीय लोकतंत्र को ऐसे ही बुजुर्ग महान बनाते हैं और यह एहसास कराते हैं कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें आज की नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी है. हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए और 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ. 1951 में पहली बार आम चुनाव हुए और लोगों ने लोकतंत्र में अपना योगदान दिया. सच बात तो यह है कि यह केवल तारीखों के हिसाब से है.

वास्तव में हमारे देश का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य सदियों पुराने हैं. यही वजह है कि जमीन पर रेंगते हुए चलकर 102 वर्ष की बुजुर्ग महिला, अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचती हैं. सचमुच में ऐसे ही लोग हमारे देश के लोकतंत्र को और उसकी नींव को मजबूत करते हैं.

पढ़ें- ...लोकतंत्र के प्रति इस दिव्यांग महिला के जज्बे को देख आप भी हो जाएंगे हैरान

बाराबंकीः 102 साल की सलमा जब मतदान केंद्र पहुंची तो लोग उनके जज्बे को लोग देखते ही रह गए. भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती को ऐसे ही बुजुर्ग मजबूती प्रदान करते हैं. हर बार सलमा वोट करने जरूर जाती हैं. वह कहती हैं कि वोट करना मजबूरी है. सचमुच उनकी यह मजबूरी नहीं है, बल्कि उनका भारतीय लोकतंत्र के प्रति अगाध प्रेम ही है, जो वह हर बार वोट करने जाती हैं.

विधानसभा जैदपुर में उपचुनाव के दौरान भी वह पहुंची. वहीं उपचुनाव में हिस्सा लेने के लिए दिव्यांग लायक राम भी पीछे नहीं रहे. मतदान करने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है, लेकिन फिर भी वह वोट करने पहुंचे हैं. उन्हें आशा है कि इसका लाभ इस बार उन्हें जरूर मिलेगा.

102 साल की सलमा ने किया उपचुनाव में मतदान.

102 वर्ष की बुजुर्ग ने किया अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग
सचमुच भारतीय लोकतंत्र को ऐसे ही बुजुर्ग महान बनाते हैं और यह एहसास कराते हैं कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें आज की नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी है. हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए और 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ. 1951 में पहली बार आम चुनाव हुए और लोगों ने लोकतंत्र में अपना योगदान दिया. सच बात तो यह है कि यह केवल तारीखों के हिसाब से है.

वास्तव में हमारे देश का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य सदियों पुराने हैं. यही वजह है कि जमीन पर रेंगते हुए चलकर 102 वर्ष की बुजुर्ग महिला, अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचती हैं. सचमुच में ऐसे ही लोग हमारे देश के लोकतंत्र को और उसकी नींव को मजबूत करते हैं.

पढ़ें- ...लोकतंत्र के प्रति इस दिव्यांग महिला के जज्बे को देख आप भी हो जाएंगे हैरान

Intro: बाराबंकी, 21 अक्टूबर। 102 साल की सलमा जब मतदान केंद्र पहुंची तो लोग उनके जज्बे को देखते ही रह गए. भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती को ऐसे ही बुजुर्ग मजबूती प्रदान करते हैं. हर बार सलमा जी वोट करने जरूर जाती है. कहती है वोट करना मजबूरी है सचमुच उनकी यह मजबूरी नहीं है, बल्कि उनका भारतीय लोकतंत्र के प्रति अगाध प्रेम और निश्चय ही है, जो वह हर बार वोट करने जाती है, और इस बार 269 विधानसभा जैदपुर में उपचुनाव के दौरान भी व पहुंची. दिव्यांग लायक राम मतदान करने पहुंचे और उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है ,लेकिन फिर भी वह वोट करने पहुंचे हैं उन्हें आशा है कि इसका लाभ इस बार उन्हें जरूर मिलेगा.


Body:सचमुच भारतीय लोकतंत्र को ऐसे ही बुजुर्ग महान बनाते हैं और यह एहसास कराते हैं कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें आज की नहीं है बल्कि सदियों पुरानी है हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए और 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ, 1951 में पहली बार आम चुनाव हुए, और लोगों ने लोकतंत्र में अपना योगदान दिया.
लेकिन सच बात तो यह है कि यह केवल तारीखों के हिसाब से है. वास्तव में हमारे देश का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य सदियों पुराने हैं. यही वजह है कि जमीन पर रेंगते हुए चलकर 102 वर्ष की बुजुर्ग महिला, अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचती है.
सचमुच में ऐसे ही लोग हमारे देश के लोकतंत्र को और उसकी नींव को मजबूत करते हैं.


Conclusion:bite -

1- सलमा, बुजुर्ग मतदाता, जैदपुर विधानसभा, बाराबंकी.

2- लायक राम , दिव्यांग मतदाता, जैदपुर विधानसभा बाराबंकी.



रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907
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