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बांदा : शोषण अत्याचार के खिलाफ बुंदेलखंड की महिलाओं ने बनाई 'बेलन फौज'

यूपी के बांदा जिले में अत्याचार और शोषण के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है. इन महिलाओं के प्रदर्शन और विरोध के तरीके भी काफी रोचक हैं. पानी की टंकी पर चढ़ जाना, कार्यालयों में ताले जड़ देना आदि इनके लिए काफी आम हैं. इस फौज का मुख्य हथियार बेलन हैं, तभी तो इसे बेलन फौज के नाम से जाना जाता है.

यह है बुंदेली महिलाओं की बेलन फौज
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Published : Mar 8, 2019, 12:05 AM IST

बांदा : वीरों की भूमि कहे जाने वाले बुंदेलखंड की महिलाएं भी कम साहसी नहीं हैं. इस नए दौर में बुंदेली महिलाओं का क्रांतिकारी रवैया कई रूपों में सामने आता है. चाहे वह गुलाबी गैंग के रूप में हो या बेलन फौज की शक्ल में. अत्याचार और शोषण के खिलाफ दमदार आवाज उठाने में बुंदेली महिलायें कभी पीछे नहीं रहती हैं.

यह है बुंदेली महिलाओं की बेलन फौज

आज तक लोगों ने महिलाओं को बेलन से केवल रोटी बेलते देखा है, लेकिन बुंदेलखंड में महिलाओं की इस फौज ने बेलन को ही अपना हथियार बना लिया है. यही हथियार लेकर यह महिलाएं निकल पड़ी हैं कई जन समस्याओं के निराकरण और भ्रष्ट सिस्टम का सर फोड़ने के लिए. इस फौज की कमांडर हैं दो बार बांदा की पार्षद रह चुकीं पुष्पा गोस्वामी. इन्होंने साल 2006 में विधुत विभाग के चीफ इंजीनियर के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था. इसके आंदोलन के दौरान चीफ इंजीनियर ने पुष्पा जी से अभद्रता कर दी थी, जिस पर पुष्पा गोस्वामी ने पास के समोसे की दूकान से बेलन उठा लिया और इंजीनियर की पिटाई करने पर उतारू हो गईं. बस यहीं से नींव पड़ी उस फौज की जिसे सारा इलाका आज बेलन फौज के नाम से जानता है.

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इस संगठन का मुख्यालय बांदा में है और बेलन फौज बांदा, महोबा, हमीरपुर व चित्रकूट जिलों की मध्य और निम्न मध्यवर्गीय महिलाओं का समूह है.इनका मुख्य फोकस महिलाओं पर होने वाले अत्याचार जैसे घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, छेड़छाड़ आदि के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना है. साथ ही पानी, बिजली, सड़क, घूसखोरी आदि की समस्याओं को भी यह उठाती हैं. आज की तारीख में संगठन में एक हजार सक्रिय सदस्यों में से अधिकतर महिलाएं घरेलू व कामकाजी हैं. यह घर के कामों को जल्दी से निपटाकर आंदोलन के लिए एकजुट होती हैं.

बेलन फौज के आंदोलन भी बड़े रोचक होते हैं. अपनी बात मनवाने के लिए इनके आंदोलन में पानी की टंकी पर चढ़ जाना, कार्यालय के गेट पर ताला जड़ देना और कर्मचारियों एवं अधिकारियों को चूड़ी पहनाना और गाड़ी की चाबी निकाल लेना आदि शामिल हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर बेलन से बेईमानों की पिटाई, इस संगठन का आखिरी अस्त्र होता है. इनके आंदोलनों के चलते कई भ्रष्ट कर्मियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. बेलन फौज किसी भी तरह की आर्थिक सहायता भी नहीं लेती है, बल्कि सदस्यों के जुटाए धन से ही इनकी जरूरतें पूरी होती हैं.

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बेलन फौज की कमांडर पुष्पा गोस्वामी लोकतंत्र में इस तरह के उग्र आंदोलनों को गलत नहीं मानतीं हैं. वह कहती हैं कि हम किसी प्रकार की हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं. हमें अबला समझा जाता है तब मजबूरी में हमें अपने आप को पुरुषों से सशक्त दिखाने के लिए ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं. वहीं क्षेत्र की महिलाओं में भी बेलन फौज के प्रति खासी लोकप्रियता है. महिलायें बताती हैं कि कई महिलाओं को बेलन फौज की मदद से इन्साफ मिला है और कई महिलाओं की मदद भी की गयी है. इन महिलाओं का मानना है कि अपने गृहस्थ जीवन के लिए समर्पित बेलन फौज का मजलूमों के लिए समय निकालना और उनकी मदद करना बड़ा काम है.

बांदा : वीरों की भूमि कहे जाने वाले बुंदेलखंड की महिलाएं भी कम साहसी नहीं हैं. इस नए दौर में बुंदेली महिलाओं का क्रांतिकारी रवैया कई रूपों में सामने आता है. चाहे वह गुलाबी गैंग के रूप में हो या बेलन फौज की शक्ल में. अत्याचार और शोषण के खिलाफ दमदार आवाज उठाने में बुंदेली महिलायें कभी पीछे नहीं रहती हैं.

यह है बुंदेली महिलाओं की बेलन फौज

आज तक लोगों ने महिलाओं को बेलन से केवल रोटी बेलते देखा है, लेकिन बुंदेलखंड में महिलाओं की इस फौज ने बेलन को ही अपना हथियार बना लिया है. यही हथियार लेकर यह महिलाएं निकल पड़ी हैं कई जन समस्याओं के निराकरण और भ्रष्ट सिस्टम का सर फोड़ने के लिए. इस फौज की कमांडर हैं दो बार बांदा की पार्षद रह चुकीं पुष्पा गोस्वामी. इन्होंने साल 2006 में विधुत विभाग के चीफ इंजीनियर के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था. इसके आंदोलन के दौरान चीफ इंजीनियर ने पुष्पा जी से अभद्रता कर दी थी, जिस पर पुष्पा गोस्वामी ने पास के समोसे की दूकान से बेलन उठा लिया और इंजीनियर की पिटाई करने पर उतारू हो गईं. बस यहीं से नींव पड़ी उस फौज की जिसे सारा इलाका आज बेलन फौज के नाम से जानता है.

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इस संगठन का मुख्यालय बांदा में है और बेलन फौज बांदा, महोबा, हमीरपुर व चित्रकूट जिलों की मध्य और निम्न मध्यवर्गीय महिलाओं का समूह है.इनका मुख्य फोकस महिलाओं पर होने वाले अत्याचार जैसे घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, छेड़छाड़ आदि के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना है. साथ ही पानी, बिजली, सड़क, घूसखोरी आदि की समस्याओं को भी यह उठाती हैं. आज की तारीख में संगठन में एक हजार सक्रिय सदस्यों में से अधिकतर महिलाएं घरेलू व कामकाजी हैं. यह घर के कामों को जल्दी से निपटाकर आंदोलन के लिए एकजुट होती हैं.

बेलन फौज के आंदोलन भी बड़े रोचक होते हैं. अपनी बात मनवाने के लिए इनके आंदोलन में पानी की टंकी पर चढ़ जाना, कार्यालय के गेट पर ताला जड़ देना और कर्मचारियों एवं अधिकारियों को चूड़ी पहनाना और गाड़ी की चाबी निकाल लेना आदि शामिल हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर बेलन से बेईमानों की पिटाई, इस संगठन का आखिरी अस्त्र होता है. इनके आंदोलनों के चलते कई भ्रष्ट कर्मियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. बेलन फौज किसी भी तरह की आर्थिक सहायता भी नहीं लेती है, बल्कि सदस्यों के जुटाए धन से ही इनकी जरूरतें पूरी होती हैं.

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बेलन फौज की कमांडर पुष्पा गोस्वामी लोकतंत्र में इस तरह के उग्र आंदोलनों को गलत नहीं मानतीं हैं. वह कहती हैं कि हम किसी प्रकार की हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं. हमें अबला समझा जाता है तब मजबूरी में हमें अपने आप को पुरुषों से सशक्त दिखाने के लिए ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं. वहीं क्षेत्र की महिलाओं में भी बेलन फौज के प्रति खासी लोकप्रियता है. महिलायें बताती हैं कि कई महिलाओं को बेलन फौज की मदद से इन्साफ मिला है और कई महिलाओं की मदद भी की गयी है. इन महिलाओं का मानना है कि अपने गृहस्थ जीवन के लिए समर्पित बेलन फौज का मजलूमों के लिए समय निकालना और उनकी मदद करना बड़ा काम है.

Intro:SLUG-हाथों में बेलन लिए महिलाओं की इस भीड़ को कहा जाता है बेलन फौज
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 07-03-18

एंकर- कहते हैं बुंदेलखंड वीरो की धरती रही है और बुंदेलियों ने कभी विषम परिस्थितियों में हार नहीं मानी। यहाँ की महिलाओ की रगो में आज भी वही खून दौड़ता दिखता है जो कभी रानी लक्ष्मीबाई और झलकारी बाई जैसी महिला योद्धाओ में इतिहास बताता है। नए दौर में भी बुंदेली महिलाओ का क्रांतिकारी रवैया विभिन्न रूपों में सामने आता रहता है वह गुलाबी गैंग के रूप में हो या बेलन फ़ौज की शक्ल में। अत्याचार और शोषण के खिलाफ दमदार आवाज़ उठाने में बुंदेली महिलायें कभी पीछे नहीं रहती। इसी क्रम में आज आपको बुंदेलखंड के बाँदा समेत कई ज़िलों में मौजूद बेलन फ़ौज से रूबरू कराएंगे जिनके हाथ में बेलन सिर्फ रोटी ही नहीं बेलता बल्कि भ्रष्टाचारी और शोषण करने वाले सरकारी तंत्र की खोपड़ी फोड़ने के लिए भी बेताब रहता है। 

वीओ- जी हाँ, हाथो में बेलन लिए महिलाओ की इसी भीड़ को बाँदा में बेलन फ़ौज के नाम से जाना जाता है। ये सभी गृहस्थ महिलाये हैं और घर में रोटी बेलने और पकाने के बाद वही बेलन बतौर हथियार हाथ में लेकर ये निकल पड़ती हैं जनसमस्याओं के निराकरण और भ्रष्ट सिस्टम का सर फोड़ने के लिए। बाँदा शहर की निवासी और दो बार की पार्षद पुष्पा गोस्वामी इस बेलन फ़ौज की कमांडर हैं। 




Body:वीओ- दरअसल सन 2006 में पुष्पा गोस्वामी ने विधुत विभाग के चीफ इंजीनियर के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था और आंदोलन के दौरान चीफ इंजीनयर ने उनसे अभद्रता कर दी जिस पर पुष्पा गोस्वामी ने पास के समोसे की दूकान से बेलन उठाकर उनकी कॉलर पकड़ पिटाई करते करते छोड़ा था। बस यही से बेलन फ़ौज की नींव पड़ी और 2008 में महिलाओ का समूह बनाकर पुष्पा गोस्वामी ने बेलन फ़ौज को साकार रूप दे दिया। 

बेलन फ़ौज संगठन का मुख्यालय बांदा में है। और बेलन फौज बांदा, महोबा, हमीरपुर व चित्रकूट ज़िलों की मध्य व निम्न मध्य वर्गीय महिलाओं का समूह है, इसका मुख्य फोकस महिलाओं पर होने वाले अत्याचार जैसे घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, छेड़छाड़ आदि के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना है.साथ ही पानी, बिजली, सड़क, घूसखोरी आदि की समस्याओं को भी उठाना है। वर्तमान में संगठन में एक हजार सक्रिय सदस्यों में से अधिकतर महिलाएं घरेलू व कामकाजी हैं जो घर के कामों को जल्दी से निपटाकर आंदोलन के लिए एकजुट होती हैं।बेलन फौज के आंदोलन भी रोचक होते हैं. बात मनवाने के लिए इनके आंदोलन में पानी की टंकी पर चढ़ जाना, कार्यालय के गेट पर ताला जड़ देना और कर्मचारियों एवं अधिकारियों को चूड़ी पहनाना और गाड़ी की चाबी निकाल लेना आदि शामिल हैं साथ ही ज़रूरत पड़ने पर बेलन से बेईमानो की पिटाई इस संगठन का आखिरी अस्त्र होता है। इनके आंदोलनों के चलते कई भ्रष्ट कर्मियों पर कार्यवाही भी हो चुकी है। बेलन फ़ौज किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग भी नहीं लेती बल्कि सदस्यों के जुटाए धन से ही इनकी ज़रूरते पूरी होती हैं। 




Conclusion:वीओ- बेलन फ़ौज कमांडर पुष्पा गोस्वामी लोकतंत्र में इस तरह के उग्र आंदोलनों को ग़लत नहीं मानतीं हैं. वह कहती हैं, "हम किसी प्रकार के हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं. हमें अबला समझा जाता है, मजबूरी में हमें अपने आप को पुरुषों से सशक्त दिखाने के लिए ऐसे क़दम उठाने पड़ते हैं."

वहीँ महिलाओ में भी बेलन फ़ौज के प्रति खासी लोकप्रियता है। महिलाये बताती हैं कि कई महिलाओ को बेलन फ़ौज की मदद से इन्साफ मिला है और अबलाओ की मदद की गयी है। महिलाओ का मानना है कि अपने गृहस्थ जीवन के लिए समर्पित बेलन फ़ौज का मज़लूमो के लिए समय निकालना और उनकी मदद करना बड़ा काम है।

बेलन फ़ौज कमांडर पुष्पा गोस्वामी लोकतंत्र में इस तरह के उग्र आंदोलनों को ग़लत नहीं मानतीं हैं. वह कहती हैं, "हम किसी प्रकार के हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं. हमें अबला समझा जाता है, मजबूरी में हमें अपने आप को पुरुषों से सशक्त दिखाने के लिए ऐसे क़दम उठाने पड़ते हैं."

वहीँ महिलाओ में भी बेलन फ़ौज के प्रति खासी लोकप्रियता है। महिलाये बताती हैं कि कई महिलाओ को बेलन फ़ौज की मदद से इन्साफ मिला है और अबलाओ की मदद की गयी है। महिलाओ का मानना है कि अपने गृहस्थ जीवन के लिए समर्पित बेलन फ़ौज का मज़लूमो के लिए समय निकालना और उनकी मदद करना बड़ा काम है। 

बाईट- पुष्पा गोस्वामी (कमांडर बेलन फ़ौज)
बाईट- आरती (स्थानीय)
बाईट-  पार्वती (स्थानीय)
पीटीसी - आनंद तिवारी 

ANAND TIWARI
BANDA
9795000076
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