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बांदा:  कोटेदारों ने ई-पॉस मशीनों को किया जमा, 20 हजार उपभोक्ता होंगे प्रभावित

यूपी के जिले बांदा में कोटेदारों ने राशन वितरण में उपयोग की जाने वाली ई-पॉस मशीनों को जमा कर दिया. कोटेदारों का आरोप है कि मशीनों में लगातार दिक्कतें आ रही हैं. वहीं मशीनों को सही कराने में दो हजार रुपये का खर्च आ रहा है.

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कोटेदारों ने ई-पॉस मशीनों को किया जमा
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Published : Jan 30, 2020, 4:42 AM IST

बांदा: जिला पूर्ति कार्यालय में बुधवार को ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के बैनर तले कोटेदारों ने राशन वितरण में उपयोग की जाने वाली ई-पॉस मशीनों को जमा कर दिया. दरअसल ई-पॉस मशीनों में दिक्कतें आ रही थीं, जिसके चलते कोटेदारों ने मशीनों को विभाग में जमा करा दिया और विभाग से सही करवाने की मांग भी की.

कोटेदारों ने ई-पॉस मशीनों को किया जमा.

वहीं इस मामले पर बात करते हुए कोटेदार रवीन्द्र गुप्ता ने बताया कि सरकार ने राशन वितरण के लिए ई-पॉस मशीनें दी थीं, लेकिन मशीनों के रखरखाव के लिए किसी भी तरह के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. जिसके चलते कोटेदार अपने पास से पैसे खर्च कर इनका मेंटेनेंस कर रहे हैं. वहीं मशीनों के मेंटेनेंस पर करीब 2 हजार रुपये का खर्च आता है. कोटेदार ने बताया कि कोटेदारों की आमदनी प्रतिमाह लगभग 7 हजार रुपये तक होती है, ऐसे में अगर कोटेदार इन मशीनों पर 2 हजार रुपये तक खर्च करेगा तो उसका जीवनयापन करना मुश्किल होगा.

पढ़ें: सड़क पर चलता ट्रक बना आग का गोला, ड्राइवर और खलासी ने कूदकर बचाई जान

पूरे मामले को लेकर जिला पूर्ति कार्यालय के पूर्ति निरीक्षक देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक कंपनी के माध्यम से 2 साल पहले मशीनें वितरित की गई थीं और यह मशीनें अब पुरानी हो चुकी हैं. मशीनों में नेटवर्किंग और बैटरी की समस्या आ रही है. उन्होंने कहा कि यह मशीनें बदलनी चाहिए, लेकिन कंपनी और सरकार का टाईअप है, जिसकी वजह से कुछ समस्याएं आ रही हैं. वहीं इंजीनियर बुलाकर मशीनों को ठीक करा लिया जाएगा.

बांदा: जिला पूर्ति कार्यालय में बुधवार को ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के बैनर तले कोटेदारों ने राशन वितरण में उपयोग की जाने वाली ई-पॉस मशीनों को जमा कर दिया. दरअसल ई-पॉस मशीनों में दिक्कतें आ रही थीं, जिसके चलते कोटेदारों ने मशीनों को विभाग में जमा करा दिया और विभाग से सही करवाने की मांग भी की.

कोटेदारों ने ई-पॉस मशीनों को किया जमा.

वहीं इस मामले पर बात करते हुए कोटेदार रवीन्द्र गुप्ता ने बताया कि सरकार ने राशन वितरण के लिए ई-पॉस मशीनें दी थीं, लेकिन मशीनों के रखरखाव के लिए किसी भी तरह के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. जिसके चलते कोटेदार अपने पास से पैसे खर्च कर इनका मेंटेनेंस कर रहे हैं. वहीं मशीनों के मेंटेनेंस पर करीब 2 हजार रुपये का खर्च आता है. कोटेदार ने बताया कि कोटेदारों की आमदनी प्रतिमाह लगभग 7 हजार रुपये तक होती है, ऐसे में अगर कोटेदार इन मशीनों पर 2 हजार रुपये तक खर्च करेगा तो उसका जीवनयापन करना मुश्किल होगा.

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पूरे मामले को लेकर जिला पूर्ति कार्यालय के पूर्ति निरीक्षक देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक कंपनी के माध्यम से 2 साल पहले मशीनें वितरित की गई थीं और यह मशीनें अब पुरानी हो चुकी हैं. मशीनों में नेटवर्किंग और बैटरी की समस्या आ रही है. उन्होंने कहा कि यह मशीनें बदलनी चाहिए, लेकिन कंपनी और सरकार का टाईअप है, जिसकी वजह से कुछ समस्याएं आ रही हैं. वहीं इंजीनियर बुलाकर मशीनों को ठीक करा लिया जाएगा.

Intro:SLUG- जिला पूर्ति कार्यालय में कोटेदारों ने ई-पॉस मशीनों को किया जमा, 20 हजार उपभोक्ता होंगे प्रभावित
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 29.01.2020
ANCHOR- बांदा के जिला पूर्ति कार्यालय में आज ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के बैनर तले कोटेदारों रे राशन वितरण में उपयोग की जाने वाली ई-पॉस मशीनों में आ रही समस्याओं को लेकर इन मशीनों को विभाग में जमा करा दिया। बांदा शहर के लगभग सभी कोटेदारों ने अपनी खराब मशीनों को यहां पर जमा किया है और विभाग से इन्हें सही करवाने की मांग की है।


Body:वीओ- आपको बता दें कि आज शाम विकास भवन में स्थित जिला पूर्ति कार्यालय में बांदा शहर के लगभग सभी कोटेदार अपनी खराब ई-पॉस मशीनों को लेकर पहुंचे और उन्होंने इन मशीनों को यहां पर जमा कर दिया और इन्हें ठीक कराने की विभाग से मांग की। वहां पर मौजूद पूर्ति निरीक्षक देवेंद्र सिंह ने इन मशीनों को जल्द ही ठीक कराने का कोटेदारों को आश्वासन भी दिया है।


Conclusion:वीओ- कोटेदारों ने बताया कि सरकार ने राशन वितरण के लिए ई-पॉस मशीने दी थी मगर इनके रखरखाव के लिए किसी भी तरह के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। जिसके चलते कोटेदार अपने पास से पैसे खर्च कर इनका मेंटेनेंस करते हैं और हर महीने मेंटेनेंस पर लगभग 2 हजार रुपये का खर्च आता है। वहीं उन्होंने बताया कि कोटेदारों की आमदनी प्रतिमाह लगभग 7 हजार रुपये तक होती है ऐसे में अगर कोटेदार इन मशीनों पर 2 हजार रुपये तक खर्च करेगा तो उसका जीवन यापन करना मुश्किल होगा। ऐसे में पूर्व में सरकार से यह मांग भी की गई थी कि राजस्थान की तरह यहां पर भी इन मशीनों का मेंटेनेंस दिया जाए। इन्होंने बताया कि जब तक मशीने सही नहीं हो जाती तब तक वितरण बाधित रहेगा जिससे 20 हजार उपभोक्ता परेशान होंगे।

वीओ- वहीं पूरे मामले को लेकर जिला पूर्ति कार्यालय के पूर्ति निरीक्षक देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक कंपनी के माध्यम से 2 साल पहले मशीनें वितरित की गई थी और यह मशीनें अब पुरानी हो चुकी है। जिसमें नेटवर्किंग और बैटरी की समस्या आ रही है। इन्होंने बताया की यह मशीनें बदलनी चाहिए लेकिन कंपनी और सरकार का टाईअप है जिसकी वजह से कुछ समस्याएं आ रही हैं। इन्होंने कहा कि कोटेदारों ने मशीनों को हमारे यहां जमा किया है और हम इंजीनियर को बुलाकर इन्हें ठीक कराकर कोटेदारों को दे देंगे।

बाइट: रवीन्द्र गुप्ता, कोटेदार
बाइट: देवेंद्र सिंह, पूर्ति निरीक्षक

ANAND TIWARI
BANDA
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