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बांदा: अब 'गिरिराज' से आएंगे किसानों के अच्छे दिन!

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Published : Nov 3, 2019, 2:37 PM IST

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में किसानों के अच्छे दिन आते हुए दिखाई दे रहे है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राजस्थान में एक नई किस्म की सरसों के बीज की प्रजाति गिरिराज प्रजाति का शोध किया गया है. यह बीज की प्रजाति उत्पादन की क्षमता को बढ़ाएगी जिससे कि किसानों को अधिक से अधिक फायदा हो सकेगा.

सरसों की नई प्रजाति की खोज की गई

बांदा: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भरतपुर राजस्थान में तैयार की गई सरसों की गिरिराज प्रजाति अब बुंदेलखंड के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी. जानकारी के मुताबिक यह प्रजाति यहां पर बोई जाने वाली अन्य प्रजातियों की तुलना में दो गुना ज्यादा उत्पादन देगी और कृषि विभाग इस प्रजाति पर 60 फीसदी का अनुदान भी किसानों को दे रहा है.

जानकारी देते जिला कृषि अधिकारी, डॉ. प्रमोद कुमार.
किसानों के आए अच्छे दिनभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में तिलहनी फसल सरसों पर एक शोध किया गया है. इसमें पाया गया कि यह प्रजाति बुंदेलखंड में भी बोई जा सकती है और यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. इस प्रजाति के बीज भी जिले के सरकारी बीज की दुकानों में उपलब्ध है. किसानों को 60 फीसदी का अनुदान भी कृषि विभाग दे रहा है. प्रति हेक्टेयर पहले सरसों की प्रजाति जहां 15 से 20 कुंटल तक का उत्पादन देती थी.

वहीं यह प्रजाति लगभग 27 से 28 कुंटल तक उत्पादन देगी. इस सरसों की फसल की कटाई के समय फलिया भी बर्बाद नहीं होगी क्योंकि अभी तक बोई जाने वाली अन्य प्रजाति की सरसों की फलियां कटाई के समय टूट जाती थी. इससे बीज बर्बाद होते थे और उत्पादन में कमी आती थी, मगर यह प्रजाति ऐसी प्रजाति है जिसमें बीज बर्बाद नहीं होंगे.

इसे भी पढ़ें:- मेरठ: कृषि विशेषज्ञों की किसानों को सलाह, आलू की बुवाई के लिए यह उचित समय

अब किसानों को मिल सकेगा अच्छा उत्पादन
गिरिराज प्रजाति को लेकर जिला कृषि अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि यह प्रजाति बुंदेलखंड के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. इस प्रजाति पर हम किसानों को 60 फीसदी अनुदान भी दे रहे हैं लेकिन कुछ जरूरी बातें हैं जो किसानों को ध्यान देनी होंगी.

उन्होंने बताया कि किसान जहां से बीज खरीदे वहां पर इसके बारे में जानकारी ले लें कि इस प्रजाति को बोने में कितने बीज की आवश्यकता होती है और कितनी खाद की इसमें आवश्यकता होती है. ज्यादा खाद्य बीज डालने से यह प्रजाति प्रभावित होगी और किसानों को उतना अच्छा उत्पादन नहीं मिलेगा. किसान इसकी बुवाई नियमानुसार करेंगे तो निश्चित तौर से यह प्रजाति किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित होगी.

बांदा: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भरतपुर राजस्थान में तैयार की गई सरसों की गिरिराज प्रजाति अब बुंदेलखंड के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी. जानकारी के मुताबिक यह प्रजाति यहां पर बोई जाने वाली अन्य प्रजातियों की तुलना में दो गुना ज्यादा उत्पादन देगी और कृषि विभाग इस प्रजाति पर 60 फीसदी का अनुदान भी किसानों को दे रहा है.

जानकारी देते जिला कृषि अधिकारी, डॉ. प्रमोद कुमार.
किसानों के आए अच्छे दिनभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में तिलहनी फसल सरसों पर एक शोध किया गया है. इसमें पाया गया कि यह प्रजाति बुंदेलखंड में भी बोई जा सकती है और यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. इस प्रजाति के बीज भी जिले के सरकारी बीज की दुकानों में उपलब्ध है. किसानों को 60 फीसदी का अनुदान भी कृषि विभाग दे रहा है. प्रति हेक्टेयर पहले सरसों की प्रजाति जहां 15 से 20 कुंटल तक का उत्पादन देती थी.

वहीं यह प्रजाति लगभग 27 से 28 कुंटल तक उत्पादन देगी. इस सरसों की फसल की कटाई के समय फलिया भी बर्बाद नहीं होगी क्योंकि अभी तक बोई जाने वाली अन्य प्रजाति की सरसों की फलियां कटाई के समय टूट जाती थी. इससे बीज बर्बाद होते थे और उत्पादन में कमी आती थी, मगर यह प्रजाति ऐसी प्रजाति है जिसमें बीज बर्बाद नहीं होंगे.

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अब किसानों को मिल सकेगा अच्छा उत्पादन
गिरिराज प्रजाति को लेकर जिला कृषि अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि यह प्रजाति बुंदेलखंड के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. इस प्रजाति पर हम किसानों को 60 फीसदी अनुदान भी दे रहे हैं लेकिन कुछ जरूरी बातें हैं जो किसानों को ध्यान देनी होंगी.

उन्होंने बताया कि किसान जहां से बीज खरीदे वहां पर इसके बारे में जानकारी ले लें कि इस प्रजाति को बोने में कितने बीज की आवश्यकता होती है और कितनी खाद की इसमें आवश्यकता होती है. ज्यादा खाद्य बीज डालने से यह प्रजाति प्रभावित होगी और किसानों को उतना अच्छा उत्पादन नहीं मिलेगा. किसान इसकी बुवाई नियमानुसार करेंगे तो निश्चित तौर से यह प्रजाति किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित होगी.

Intro:SLUG- सरसों की गिरिराज प्रजाति बुंदेली किसानों के लिए होगी फायदेमंद
PLACE- BANDA
REPORT- ANAND TIWARI
DATE- 02.11.19
ANCHOR- भारतीय अनुसंधान केंद्र भरतपुर राजस्थान में तैयार की गई सरसों की गिरिराज प्रजाति बुंदेलखंड के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। जानकारी के मुताबिक यह प्रजाति यहां पर बोई जाने वाली अन्य प्रजातियों की तुलना में 2 गुना ज्यादा उत्पादन देगी । और कृषि विभाग इस प्रजाति पर 60 फ़ीसदी का अनुदान भी किसानों को दे रहा है।


Body:वीओ- आपको बता दें कि भरतपुर राजस्थान में भारतीय अनुसंधान केंद्र में तिलहनी फसल सरसों की एक प्रजाति पर किए गए शोध में यह पाया गया है कि यह प्रजाति बुंदेलखंड में भी बोई जा सकती है और यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। और इस प्रजाति के बीज भी जिले के सरकारी बीज की दुकानों में उपलब्ध है और इस बीच पर किसानों को 60 फ़ीसदी का अनुदान भी कृषि विभाग दे रहा है। बताया जा रहा है कि प्रति हेक्टेयर पहले सरसों की प्रजाति जहां 15 से 20 कुंटल तक का उत्पादन देती थी तो वहीं यह प्रजाति लगभग 27 से 28 कुंटल तक उत्पादन देगी । साथ ही इस सरसों की फसल की कटाई के समय फ़लिया भी बर्बाद नहीं होगी । क्योंकि अभी तक बोई जाने वाली अन्य प्रजाति की सरसों की फलियां कटाई के समय टूट जाती थी जिससे बीज बर्बाद होते थे और उत्पादन में कमी आती थी। मगर यह प्रजाति ऐसी प्रजाति है जिसमें 20 बर्बाद नहीं होंगे।


Conclusion:वीओ- गिरिराज प्रजाति को लेकर जिला कृषि अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि यह प्रजाति बुंदेलखंड के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी । इस प्रजाति पर हम किसानों को 60 फ़ीसदी अनुदान भी दे रहे हैं । लेकिन कुछ जरूरी बातें हैं जो किसानों को ध्यान देनी होंगी । इन्होंने बताया कि किसान जहां से बीज खरीदे वहां पर इसके बारे में जानकारी ले लें कि इस प्रजाति को बोने में कितने बीज की आवश्यकता होती है और कितनी खाद की इसमें आवश्यकता होती है । क्योंकि ज्यादा खाद्य बीज डालने से यह प्रजाति प्रभावित होगी और किसानों को उतना अच्छा उत्पादन नहीं मिलेगा । लेकिन अगर नियमानुसार किसान इसकी बुवाई करेंगे तो निश्चित तौर से यह प्रजाति किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित होगी ।

बाइट: डॉ. प्रमोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी

ANAND TIWARI
BANDA
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