प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांदा के नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मोहन साहू (Banda Municipal Council Chairman Mohan Sahu) को उनके पद से बर्खास्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश रद्द करते हुए कहा कि नगर पालिका अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया कानूनी रूप से सही नहीं है इसमें नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया है.
अदालत ने राज्य सरकार को छूट दी है कि वह नए सिरे से यदि आवश्यक हो तो सही प्रक्रिया अपनाकर कार्रवाई कर सकती है. मोहन साहू की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया. याची का कहना था कि वह 2017 में हुए चुनाव में नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुआ. 12 दिसंबर 2017 को उसने कार्यभार ग्रहण किया. उसके खिलाफ एक शिकायत पर जिलाधिकारी बांदा ने 3 सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच का आदेश दिया. कमेटी द्वारा जांच करने के बाद दी गई रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने याची को कारण बताओ नोटिस देकर 1 माह में जवाब मांगा.
याची ने अपना जवाब दाखिल किया मगर उसके द्वारा दिए गए जवाब पर विचार किए बिना राज्य सरकार ने उसके वित्तीय अधिकार जब्त कर लिए . इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट ने 25 अगस्त 2021 को वित्तीय अधिकार जब्त करने संबंधी आदेश रद्द करते हुए नए सिरे से प्रक्रिया अपनाते हुए कार्रवाई करने की छूट दी. इसके बाद राज्य सरकार ने नए सिरे से प्रक्रिया शुरू कर याची को 3 अक्टूबर 2022 को पद से बर्खास्त कर दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Allahabad High Court Order) को पुनः हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कहा गया कि याची निर्वाचित जनप्रतिनिधि है और उसे पद से हटाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी वह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. याची को पद से हटाने की पूरी प्रक्रिया सिर्फ जिला अधिकारी द्वारा गठित 3 सदस्य समिति के समक्ष की गई प्रति परीक्षा पर आधारित है.
कोर्ट ने कहा कि मात्र 3 सदस्य समिति द्वारा की गई प्रति परीक्षा के आधार पर याची को पद से हटाए जाने से कानून की मंशा पूरी नहीं होती है. कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2022 के आदेश को रद्द कर दिया है तथा याची के समस्त अधिकार बहाल करते हुए नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की छूट दी है.
ये भी पढ़ें- आजम नहीं अब उद्योग नगरी के रूप में पहचाना जाएगा रामपुर : आकाश सक्सेना