बांदा: किसानों की फसलें तैयार होने के बाद सबसे बड़ी परेशानी किसानों को यह रहती है कि उनकी फसलों की कटाई के बाद उसकी मड़ाई अच्छी जगह हो, जिससे कि तैयार फसल सही सलामत उनके घर तक पहुंच जाए. यानी उन्हें अच्छे खलिहान की जरूरत पड़ती है और किसान इसी को लेकर परेशान रहता है. ऐसे में अब किसानों के लिए कृषि विभाग इस समस्या से उन्हें छुटकारा दिलाने के लिए सामुदायिक खलिहान बनवाने जा रहा है, जिसको लेकर जिले में जमीनें भी चिन्हित कर ली गई हैं. उम्मीद है कि इस साल किसानों की फसलें सही सलामत उनके घरों तक पहुंचेंगी.
जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे-वैसे कृषि कार्य भी अब मशीनीकरण पर निर्भर हो गया है. जहां पर पहले बैलों के द्वारा लकड़ी के हलों के जरिए खेती-किसानी का कार्य किया जाता था. खेत जोतने से लेकर आनाज घर तक पहुंचाने तक का काम बैलों के द्वारा किया जाता था. लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे अब मशीनीकरण के जरिए कृषि कार्य होने लगा है. अब मशीनों के द्वारा ही फसलों को काटकर उसकी थ्रेसिंग कर अनाज आसानी से घर पहुंचा दिया जाता है. ऐसे में कुछ किसान ऐसे भी हैं जो बैलों के माध्यम से खेती का कार्य करते हैं, जिन्हें अच्छा खलिहान ना मिलने की वजह से हर साल परेशानी का सामना करना पड़ता है. खलिहान ना होने के चलते उनका अनाज भी काफी मात्रा में बर्बाद हो जाता है.
वहीं खलिहान की प्रथा भी अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. जिसको जिंदा रखने के उद्देश्य से अब कृषि विभाग गांवों में किसानों के समूह बनाकर उनके लिए सामुदायिक खलिहान बनवाने जा रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत खलिहान को जिले में बनवाया जाना है. जिले में 200-200 वर्ग मीटर के खलिहान बनवाए जाएंगे. जिसमें कृषि विभाग प्रति किसान समूह को प्रति खलिहान 1 लाख 70 हजार रुपये अनुदान देगा.
कृषि उपनिदेशक रामकुमार माथुर ने बताया कि फसलों की कटाई के बाद मड़ाई के समय खलिहान में वर्षा हो जाने के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं. किसानों को मड़ाई के लिए अच्छी जगह नहीं मिल पाती, जिनके लिए आवश्यक है कि कोई पक्की जगह हो. जिसमें किसान अपनी फसलों को लाकर उसकी अच्छे से मड़ाई कर अपने अनाज को घर ले जा सकें. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए अब सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत खेत-खलिहान योजना शुरू की है. जिसके माध्यम से किसानों के समूहों को खलिहान बनवाने के लिए 1 लाख 70 हजार रुपये का अनुदान कृषि विभाग के द्वारा दिया जाएगा. इस योजना में "पहले आओ-पहले पाओ" के तहत किसानों के समूहों को लाभ देने का काम किया जाएगा.