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बांदा के 14 मजदूर कराए गए मुक्त, पुणे में बनाए गए थे बंधक

महाराष्ट्र के पुणे में बांदा के 14 मजदूरों को बंधक बनाकर काम कराया जाता था. इतना ही नहीं, इन्हें काम के बदले मजदूरी भी नहीं दी जा रही थी. बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा के प्रयासों के बाद इन मजदूरों को मुक्त कराकर बांदा लाया गया.

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Published : Mar 23, 2021, 12:38 PM IST

पुणे से छुड़ाए गए 14 बंधुवा मजदूर
पुणे से छुड़ाए गए 14 बंधुवा मजदूर

बांदा: पुणे में बंधक बनाए गए बांदा के 14 मजदूरों को मुक्त कराया गया है. ये लोग कई महीनों से बिना वेतन के काम पुणे में काम कर रहे थे. बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा से शिकायत के बाद इन मजदूरों को मुक्ति मिली है.

बिसंडा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं सभी लोग
बिसंडा थाना क्षेत्र के नगला पुरवा गांव निवासी ओम प्रकाश, राजकुमारी, शीलू, हिम्मत प्रसाद समेत 14 लोगों पुणे में हवेली इलाके के बेहू रोड पर स्थित एक ईंट के भट्ठे पर कई महीनों से काम कर रहे थे. इन 14 लोगों में तीन साल से लेकर दस साल के बच्चे भी शामिल हैं. इन सभी लोगों से वहां बंधुआ मजदूरी करायी जा रही थी. इसी बीच इन्होंने बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष दल श्रृंगार से संपर्क किया.

पीड़ित मजदूरों ने बताया कि उनके मालिक गणेश बोड़के उन्हें प्रताड़ित कर रहा था. पुणे में उन्हें बंधुआ बनाकर जबरन काम कराया जा रहा है. साथ ही मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है. इसके बाद बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष दल श्रृंगार ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रशासन से संपर्क कर किया. सभी मजदूरों को पुणे जिला प्रशासन ने अपने पुलिसकर्मियों की देखरेख में बांदा भेजा है. सोमवार को पुणे पुलिस के एसजे सुरेश काम्बले, केदारनाथ बिड़वे व अजयनाथ सावत ने सभी मजदूरों को जिलाधिकारी कार्यालय में अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया.

मजदूर पुनर्वास एक्ट के अंतर्गत की जा रही मामले में कार्रवाई
मामले में अपर जिलाधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि बांदा के रहने वाले यह 14 बंधुआ मजदूर हैं, जो महाराष्ट्र के पुणे में काम कर रहे थे. वहां श्रम विभाग द्वारा श्रम एक्ट के अंतर्गत होने वाली कार्रवाई के अंतर्गत इन मजदूरों को बांदा लागा गया है. वहीं मजदूर पुनर्वास के अंतर्गत होने वाली कार्रवाई की जा रही है. इन सभी मजदूरों को घर भेजा जा रहा है.

बांदा: पुणे में बंधक बनाए गए बांदा के 14 मजदूरों को मुक्त कराया गया है. ये लोग कई महीनों से बिना वेतन के काम पुणे में काम कर रहे थे. बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा से शिकायत के बाद इन मजदूरों को मुक्ति मिली है.

बिसंडा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं सभी लोग
बिसंडा थाना क्षेत्र के नगला पुरवा गांव निवासी ओम प्रकाश, राजकुमारी, शीलू, हिम्मत प्रसाद समेत 14 लोगों पुणे में हवेली इलाके के बेहू रोड पर स्थित एक ईंट के भट्ठे पर कई महीनों से काम कर रहे थे. इन 14 लोगों में तीन साल से लेकर दस साल के बच्चे भी शामिल हैं. इन सभी लोगों से वहां बंधुआ मजदूरी करायी जा रही थी. इसी बीच इन्होंने बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष दल श्रृंगार से संपर्क किया.

पीड़ित मजदूरों ने बताया कि उनके मालिक गणेश बोड़के उन्हें प्रताड़ित कर रहा था. पुणे में उन्हें बंधुआ बनाकर जबरन काम कराया जा रहा है. साथ ही मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है. इसके बाद बंधुवा संगठित मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष दल श्रृंगार ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रशासन से संपर्क कर किया. सभी मजदूरों को पुणे जिला प्रशासन ने अपने पुलिसकर्मियों की देखरेख में बांदा भेजा है. सोमवार को पुणे पुलिस के एसजे सुरेश काम्बले, केदारनाथ बिड़वे व अजयनाथ सावत ने सभी मजदूरों को जिलाधिकारी कार्यालय में अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया.

मजदूर पुनर्वास एक्ट के अंतर्गत की जा रही मामले में कार्रवाई
मामले में अपर जिलाधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि बांदा के रहने वाले यह 14 बंधुआ मजदूर हैं, जो महाराष्ट्र के पुणे में काम कर रहे थे. वहां श्रम विभाग द्वारा श्रम एक्ट के अंतर्गत होने वाली कार्रवाई के अंतर्गत इन मजदूरों को बांदा लागा गया है. वहीं मजदूर पुनर्वास के अंतर्गत होने वाली कार्रवाई की जा रही है. इन सभी मजदूरों को घर भेजा जा रहा है.

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