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बलरामपुर: सड़क हादसे में हुई थी पति की मौत, अब रोजी-रोटी को मोहताज हुआ परिवार - बलरामपुर पुलिस

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में परिवार के दो युवकों की मौत के बाद परिजन दर-दर भटकने को मजबूर हैं, बताया जा रहा है कि दोनों युवकों के कमाने से ही परिवार का खर्च चलता था. वहीं घर में रोजी रोटी को भी परिजन मोहताज हो रहे हैं.

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पति की मौत के बाद दर-दर भटक रही महिला.
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Published : Jan 27, 2020, 1:45 PM IST

बलरामपुर: जिले में एक महिला का दर्द तब छलक कर सामने आ गया. जब उसने अपनी बात बताई. गर्भवती शालू और इनके चार बच्चों के लिए नया साल बिल्कुल अच्छा नहीं रहा. सड़क हादसे में पति और देवर की मौत के बाद से बेसहारा महिला दर-दर भटक रही है. महिला का पति और देवर एक गन्ने से लदे ओवरलोड ट्रक की चपेट में आ गया, जिससे रशीद की मौत हो गई.

पति की मौत के बाद दर-दर भटक रही महिला.

दर-दर की ठोकरे खा रहा परिवार
एक दर्जन से ज्यादा सदस्यों वाले रशीद के परिवार में अब कमाने के लिए कोई नहीं बचा है. क्योंकि जो कमाता था, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा. ओवरलोडिंग और ओवर स्पीडिंग चलने वाले ट्रक ने उसके पूरे परिवार के कमाने का जरिया ही छीन लिया. जिले में तीन चीनी मिल स्थापित हैं, जिनमें से बलरामपुर शुगर मिल लिमिटेड की दो यूनिट नगरीय क्षेत्र में हैं. यहां ट्रकों और ट्रालियों की क्षमता से ऊपर तीन से आठ फिट की ऊंचाई तक ओवर हाइटिंग के कारण हादसे होते रहते हैं. इन हादसों में कितने ही परिवारों ने अपनों को खो दिया.

एक महीने में 12 दर्जन हो चुके हैं हादसे
बीते एक महीने में आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 12 दर्जन लोग वाहनों की चपेट में आकर मौत के घाट उतर चुके हैं. वहीं, गंभीर और आंशिक रूप से घायलों की संख्या अब तक तकरीबन 50 के पार पहुंच चुकी है. इन आंकड़ों को थानों में दर्ज एफआईआर और विभिन्न अस्पतालों से लिया गया है.

सड़क हादसे में अपने पति और देवर को खोया
सड़क हादसे में खो चुकीं अपने पति और देवर को लेकर पीड़ित शालू कहती हैं कि मेरे पति राजमिस्त्री का काम करते थे. वह उस दिन काम से लौटकर घर आ रहे थे, तभी चीनी मिल के पास मोड़ पर एक गन्ने से लदे ट्रक ने उनकों रौंद दिया. इससे उनकी और मेरे देवर की मौत हो गई, अब मेरे घर में कमाने वाला कोई नहीं है. मेरे चार बच्चे हैं और पांचवा गर्भ में है. हम गरीब हैं, हमारे पास न तो कुछ खाने को है, और न ही रहने के लिए घर है. साथ ही कहा कि छोटे से मकान में हम सभी बामुश्किल अपना गुजरा कर रहे हैं. मेरे पति की मौत के बाद न तो कोई अधिकारी मिलने आया, और न ही चीनी मिल की तरफ से कोई सहायता दी गई.

पुरैना वाजिद के मजरे सौतनडीह के रहने वाले ग्राम प्रधान धुरही का कहना है कि हम इस घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को चंदा जोड़कर खिला रहे हैं. यह पीड़ित गर्भवती हैं. इसलिए गांव के लोग इनकी देखभाल भी करते हैं. सरकारी सहायता के नाम पर इन लोगों को अभी तक कुछ नहीं मिला है. यह परिवार बेहद परेशान हैं, और पूरी तरह उजड़ चुका है. इन लोगों से कोई अब तक न मिलने आया है और न ही किसी तरह की कोई सहायता मिली है. इसलिए मजबूरन हम लोगों ने उस ट्रक वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसका अब हम मुकदमा लड़ रहे हैं.

जिले के प्रभारी मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चेतन चौहान से जिले में हो रही इन दुर्घटनाओं के बारे में जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं में घायल हुए, या मारे गए लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष या आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए समुचित मुआवजा दिलाया जाता है.

गन्ना चीनी मिलों पर चलने वाले ट्रकों में ओवर लोडिंग नहीं ओवर हाइटिंग की समस्या है. इसको कम करने का प्रयास तो किया जा रहा है. इसके लिए इन चीनी मिलों के वाहनों का चालान भी हो रहा है. चीनी मिलों को नोटिस भी दिया जा रहा है. लेकिन यह मुद्दा किसानों से जुड़ा हुआ है, इसलिए बहुत ज्यादा नहीं छेड़ा जा सकता. किसी भी तरह के वाहन से दुर्घटनाग्रस्त, घायल या मारे गए लोगों को तमाम सरकारी योजनाओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री सर्वहित बीमा योजना के जरिए मुआवजा देने का काम किया जा रहा है
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर: जिले में एक महिला का दर्द तब छलक कर सामने आ गया. जब उसने अपनी बात बताई. गर्भवती शालू और इनके चार बच्चों के लिए नया साल बिल्कुल अच्छा नहीं रहा. सड़क हादसे में पति और देवर की मौत के बाद से बेसहारा महिला दर-दर भटक रही है. महिला का पति और देवर एक गन्ने से लदे ओवरलोड ट्रक की चपेट में आ गया, जिससे रशीद की मौत हो गई.

पति की मौत के बाद दर-दर भटक रही महिला.

दर-दर की ठोकरे खा रहा परिवार
एक दर्जन से ज्यादा सदस्यों वाले रशीद के परिवार में अब कमाने के लिए कोई नहीं बचा है. क्योंकि जो कमाता था, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा. ओवरलोडिंग और ओवर स्पीडिंग चलने वाले ट्रक ने उसके पूरे परिवार के कमाने का जरिया ही छीन लिया. जिले में तीन चीनी मिल स्थापित हैं, जिनमें से बलरामपुर शुगर मिल लिमिटेड की दो यूनिट नगरीय क्षेत्र में हैं. यहां ट्रकों और ट्रालियों की क्षमता से ऊपर तीन से आठ फिट की ऊंचाई तक ओवर हाइटिंग के कारण हादसे होते रहते हैं. इन हादसों में कितने ही परिवारों ने अपनों को खो दिया.

एक महीने में 12 दर्जन हो चुके हैं हादसे
बीते एक महीने में आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 12 दर्जन लोग वाहनों की चपेट में आकर मौत के घाट उतर चुके हैं. वहीं, गंभीर और आंशिक रूप से घायलों की संख्या अब तक तकरीबन 50 के पार पहुंच चुकी है. इन आंकड़ों को थानों में दर्ज एफआईआर और विभिन्न अस्पतालों से लिया गया है.

सड़क हादसे में अपने पति और देवर को खोया
सड़क हादसे में खो चुकीं अपने पति और देवर को लेकर पीड़ित शालू कहती हैं कि मेरे पति राजमिस्त्री का काम करते थे. वह उस दिन काम से लौटकर घर आ रहे थे, तभी चीनी मिल के पास मोड़ पर एक गन्ने से लदे ट्रक ने उनकों रौंद दिया. इससे उनकी और मेरे देवर की मौत हो गई, अब मेरे घर में कमाने वाला कोई नहीं है. मेरे चार बच्चे हैं और पांचवा गर्भ में है. हम गरीब हैं, हमारे पास न तो कुछ खाने को है, और न ही रहने के लिए घर है. साथ ही कहा कि छोटे से मकान में हम सभी बामुश्किल अपना गुजरा कर रहे हैं. मेरे पति की मौत के बाद न तो कोई अधिकारी मिलने आया, और न ही चीनी मिल की तरफ से कोई सहायता दी गई.

पुरैना वाजिद के मजरे सौतनडीह के रहने वाले ग्राम प्रधान धुरही का कहना है कि हम इस घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को चंदा जोड़कर खिला रहे हैं. यह पीड़ित गर्भवती हैं. इसलिए गांव के लोग इनकी देखभाल भी करते हैं. सरकारी सहायता के नाम पर इन लोगों को अभी तक कुछ नहीं मिला है. यह परिवार बेहद परेशान हैं, और पूरी तरह उजड़ चुका है. इन लोगों से कोई अब तक न मिलने आया है और न ही किसी तरह की कोई सहायता मिली है. इसलिए मजबूरन हम लोगों ने उस ट्रक वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसका अब हम मुकदमा लड़ रहे हैं.

जिले के प्रभारी मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चेतन चौहान से जिले में हो रही इन दुर्घटनाओं के बारे में जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं में घायल हुए, या मारे गए लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष या आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए समुचित मुआवजा दिलाया जाता है.

गन्ना चीनी मिलों पर चलने वाले ट्रकों में ओवर लोडिंग नहीं ओवर हाइटिंग की समस्या है. इसको कम करने का प्रयास तो किया जा रहा है. इसके लिए इन चीनी मिलों के वाहनों का चालान भी हो रहा है. चीनी मिलों को नोटिस भी दिया जा रहा है. लेकिन यह मुद्दा किसानों से जुड़ा हुआ है, इसलिए बहुत ज्यादा नहीं छेड़ा जा सकता. किसी भी तरह के वाहन से दुर्घटनाग्रस्त, घायल या मारे गए लोगों को तमाम सरकारी योजनाओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री सर्वहित बीमा योजना के जरिए मुआवजा देने का काम किया जा रहा है
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:
गर्भवती शालू और इनके 4 बच्चों के लिए नया साल बिलकुल अच्छा नहीं रहा। क्योंकि इनके पति ढ़ेले और देवर की मौत एक गन्ने से लदे ओवरलोडेड ट्रक की चपेट में आने से हो गयी। अब इनके पेट में पल रहा पांचवा बच्चा बिन पिता के इस दुनिया में कदम रखेगा। एक दर्जन से ज़्यादा सदस्यों वाले रशीद के इस परिवार में अब कमाने के लिए कोई नहीं बचा है। क्योंकि जो कमाता था। वो ओवरलोडिंग और ओवरस्पीडिंग की चपेट में आकर मारा जा चुका है।

जिले में तीन चीनी मिलें स्थापित हैं। जिनमें से बलरामपुर शुगर मिल्स लिमिटेड की दो यूनिट नगरीय क्षेत्र में हैं। जबकि बजाज चीनी मिल की एक यूनिट इटाई मैदा में है। जिले के तक़रीबन 2 लाख गन्ना किसानों की तैयार फसल को इन चीनी मिलों तक पहुंचाने के लिए प्राइवेट और चीनी मिलों के तकरीबन 800 से ज़्यादा वाहन हर सीज़न सड़कों पर होते हैं। ट्रकों और ट्रालियों की क्षमता से ऊपर, 3 से 8 फिट की ऊँचाई तक कारण ओवर हाइटिंग के कारण ये वाहन न केवल सहज तौर पर अनियंत्रित हो जाते हैं। बल्कि तेज गति पर इनके रुकने में भी परेशानी होती है। नतीजन सड़कों पर ये भारी भरकम वाहन मौत का तांडव करते हैं।

बीते एक महीने में एक आंकड़ें के अनुसार तकरीबन 12 दर्जन लोग इस तरह के वाहनों की चपेट में आकर मौत के घाट उतर चुके हैं। वहीं, गम्भीर और आंशिक रूप से घायलों की संख्या तकरीबन 50 के पार जा चुकी है। इन आंकड़ों को थानों में दर्ज एफआईआर और विभिन्न अस्पतालों से लिया गया है।


Body:अपने पति और देवर के मौत पर 28 वर्षीय विधवा शालू कहती हैं कि मेरे पति राजमिस्त्री का काम करते थे। वो उस दिन काम पर से लौटकर घर आ रहे थे। तभी बजाज चीनी मिल के पास मोड़पर एक गन्ने से लदे ट्रक ने उनपर अपना अगला पहिया चढ़ा दिया। वो और मेरा देवर वहीं मर गए।
वह बताती हैं कि मेरे 4 बच्चे हैं और पांचवा पेट में है। हम बेहद ग़रीब हैं। हमारे पास न तो कुछ खाने को है और न ही रहने को। बेहद छोटे से मकान में हम सभी अपना गुज़र बशर कर रहे हैं।
वह रोते हुए कहती है कि मेरे पति के मौत के बाद न तो कोई अधिकारी मिलने आया और ना ही चीनी मिल की तरफ से कोई व्यक्ति।

पुरैना वाजिद के मजरे सौतनडीह के रहने वाले ग्राम प्रधान धुरही बताते हैं कि हम इस घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को चन्दा जोड़कर खिला रहे हैं। यह पेट से (गर्भवती) हैं, इसलिए गांव के लोग इनकी देखभाल भी करते हैं। वह कहते हैं कि सरकारी सहायता के नाम पर हमें अभी तक कुछ नहीं मिला है। ये परिवार बेहद परेशान हैं और पूरी तरह उजड़ चुका है।
वो कहते हैं कि हमसे कोई अब तक ना मिलने आया ना ही किसी तरह की कोई सहायता मिली है। इसलिए मजबूरन हम लोगों ने उस ट्रक वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। अब हम मुकदमा लड़ रहे हैं।

जिले के प्रभारी मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में काबीना मंत्री चेतन चौहान से जिले में हो रही इन दुर्घटनाओं के बारे में जब सवाल किया गया था। तो उन्होंने कहा था कि इस तरह की दुर्घटनाओं में घायल हुए या मारे गए लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष या आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए समुचित मुआवजा दिलाया जाएगा। लेकिन अधिकारियों के पास इसकी लिस्ट तक नहीं है, तो मुआवजा कैसे मिलेगा? यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।


Conclusion:वहीं, जब जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गन्ना चीनी मिलों पर चलने वाले ट्रकों में ओवरलोडिंग नहीं ओवरहाइटिंग की समस्या है। इस को कम करने का प्रयास तो किया जा रहा है। इसके लिए इन चीनी मिलों के वाहनों का चालान भी हो रहा है। चीनी मिलों को नोटिस भी दिया जा रहा है। लेकिन चूंकि यह मुद्दा किसानों से जुड़ा हुआ है इसलिए बहुत ज्यादा नहीं छोड़ा जा सकता।
वह आगे कहते हैं, किसी भी तरह के वाहन से दुर्घटनाग्रस्त, घायल या मारे गए लोगों को तमाम सरकारी योजनाओं के साथ साथ मुख्यमंत्री सर्वहित बीमा योजना के जरिए मुआवजा देने का काम किया जा रहा है। अभी जो लोग भी पत्र मिलेंगे उन्हें जांच के बाद मुआवजा दिया जाएगा।

सरकार और सरकार के मुलाजिम कुछ भी कहे लेकिन गन्ने से लदे ओवरलोड ट्रकों के द्वारा ना केवल जिंदगियां तबाह हो रही हैं। बल्कि मारे जा रहे लोगों के परिवार और बच्चे अनाथ हो रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? जवाबदेही किसकी होगी यह तो नहीं पता। लेकिन रोते बिलखते परिवारों का दर्द अगर इन अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचे। इनका दिल पसीजे तो शायद इस तरह की दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। तब तक इसी तरह ट्रकों और ट्रॉलियों के नीचे आकर लोग मरते रहेंगे। तमाम परिवार और जिंदगियां तबाह होती रहेंगी!
(नोट :- डेस्क के सहयोगी से निवेदन हूं कि वीडियो को ग्रे शेड में प्रसारित करने की कृपा करें। स्टोरी इमोशनल होने की वजह से अच्छी लगेगी और मेरा मेहनत साकार भी होगा। ये पूरे प्रदेश की समस्या है, पूरे प्रदेश में ऐसे लोग इस तरह के वाहनों की चपेट में आकर मारे जा रहे हैं।)

बाईट क्रमशः :-

01:- शालू, पीड़ित
02 :- धुरही, ग्राम प्रधान,
03 :- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी,

पीटीसी :- योगेंद्र त्रिपाठी, 9839325432
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