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जल सकंट : बलरामपुर में खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं पेयजल परियोजनाएं !

यूपी के बलरामपुर में पानी की समस्या विकराल हो चुकी है. जिला प्रशासन पेयजल परियोजनाएं लगाने के दावे कर रहा है लेकिन समस्या वादों से हल होती नजर नहीं आ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में 26 पेयजल आपूर्ति परियोजनाएं शुरू करने की बात कही गई थी लेकिन अब तक ये परियोजनाएं परवान नहीं चढ़ पाई हैं.

पानी की समस्या को दूर नहीं कर पा रहीं पेयजल परियोजनाएं.
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Published : Jul 6, 2019, 12:41 PM IST

बलरामपुर: जिले की कुल 25 लाख आबादी की 80 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है. यह आबादी पानी के संकट से जूझ रही है. जिला प्रशासन कुल 101 न्याय पंचायतों में से 26 न्याय पंचायतों के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. इसके लिए पूरे जिले में मौजूदा समय में 26 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें से केवल 5 परियोजनाएं पूरी हो पाई हैं.

इनमें से अधिकतर परियोजनाएं कागजों में महज कॉलम पूर्ति करती नजर आ रही हैं. ग्रामीण इलाकों में बनाए गए ज्यादातर ओवरहेड टैंक हाथी दांत साबित हो रहे हैं. निर्माण में तमाम तरह की खामियां हैं. इसके बावजूद जल निगम और जिला प्रशासन ग्रामीणों की समस्या की सुध लेने को तैयार नहीं है.

बलरामपुर में गहराया पेयजल संकट.
पांच साल से अधूरी तुलसीपुर गांव की उम्मीद
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर देहात ग्रामसभा की आबादी 15 हजार से ऊपर है. तुलसीपुर नगर क्षेत्र से सटा हुआ यह गांव अल्पसंख्यक समुदाय की बाहुल्यता वाला है. इस ग्रामसभा में वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान तकरीबन दो करोड़ की लागत से 500 किलो लीटर की क्षमता वाला एक ओवरहेड वाटर सप्लाई टैंक अनुमोदित किया गया था. अनुमोदन के तीन साल बाद इस पर काम शुरू किया गया. पूरे गांव के 12 किलोमीटर की रेंज में पाइप लाइन बिछाई गई और 300 घरों को वाटर कनेक्शन भी दे दिया गया. परियोजना को 5 साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक गांव वालों को पीने का पानी नसीब नहीं हो सका है. इस कारण ग्रामीणों को काफी समय से पानी की परेशानी हो रही है.

ग्रामीण उखाड़ रहे हैं 'उम्मीद के नल'
तुलसीपुर ग्रामीण ग्राम सभा के रहने वाले मसीउल्ला खान कहते हैं कि इस परियोजना को शुरू हुए 5 साल बीत चुके हैं लेकिन दो-तीन दिन के अलावा कभी पानी नसीब नहीं हुआ. काफी ग्रामीणों ने अपने नल तक उखाड़ दिए हैं. प्रशासन से गुहार लगाकर भी थक चुके हैं लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजता है. अब यह उम्मीद खत्म हो चुकी है.

पानी मिल भी जाए तो क्या...

स्थानीय निवासी कुल्लू खान कहते हैं कि इस परियोजना में काफी गड़बड़ी हैं. नियमों को ताक पर रखते हुए काम किया गया है. पाइपलाइन को नकटी नाले के अंदर से गुजारा जा रहा है, जिससे हमें जब भी पानी मिलेगा तो गंदा पानी ही मिलेगा. ऐसे में देर-सबेर पानी आ भी गया तो वह पीने के लायक बिल्कुल नहीं होगा.

कब तक पानी ढोए 'गांव की शकीला' !
शकीला कहती हैं कि हमारे घरों में लगे नल तक सूख चुके हैं. डेढ़ सौ-दो सौ फीट के नीचे से पानी ही नहीं आ रहा है. ऐसे में हम लोगों को तमाम तरह की समस्याएं हो रही हैं. जब आदमी कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं तो हम औरतों को 500 मीटर दूर लगे सरकारी नल से पानी भर कर लाना पड़ता है. जो टंकी हमारे यहां लगाई गई है वह खुद एक बड़ी समस्या का कारण बन रही है.

लागत के आगे सरकारी धन भी पड़ा कम

जिले में कुल 26 पेयजल आपूर्ति परियोजनाएं शुरू की गई है जिनमें 3 परियोजनाओं पर 95 % काम पूरा किया जा चुका है. 13 परियोजनाओं का 66 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है. 4 परियोजनाओं का 33 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है. वहीं, जिले में 21 में से 15 ओवरहेड टैंक्स क्रियाशील हैं. 5 आंशिक रूप से क्रियाशील हैं जबकि एक की लागत बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है.

हम आने वाले समय में देख रहे हैं कि सभी ग्राम सभाओं में ओवरहेड टैंक के जरिए जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए.अगर कहीं भी समस्या आ रही है तो हम उसको खुद मॉनिटर करके सुलझाने की कोशिश करेंगे.
- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर: जिले की कुल 25 लाख आबादी की 80 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है. यह आबादी पानी के संकट से जूझ रही है. जिला प्रशासन कुल 101 न्याय पंचायतों में से 26 न्याय पंचायतों के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. इसके लिए पूरे जिले में मौजूदा समय में 26 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें से केवल 5 परियोजनाएं पूरी हो पाई हैं.

इनमें से अधिकतर परियोजनाएं कागजों में महज कॉलम पूर्ति करती नजर आ रही हैं. ग्रामीण इलाकों में बनाए गए ज्यादातर ओवरहेड टैंक हाथी दांत साबित हो रहे हैं. निर्माण में तमाम तरह की खामियां हैं. इसके बावजूद जल निगम और जिला प्रशासन ग्रामीणों की समस्या की सुध लेने को तैयार नहीं है.

बलरामपुर में गहराया पेयजल संकट.
पांच साल से अधूरी तुलसीपुर गांव की उम्मीद जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर देहात ग्रामसभा की आबादी 15 हजार से ऊपर है. तुलसीपुर नगर क्षेत्र से सटा हुआ यह गांव अल्पसंख्यक समुदाय की बाहुल्यता वाला है. इस ग्रामसभा में वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान तकरीबन दो करोड़ की लागत से 500 किलो लीटर की क्षमता वाला एक ओवरहेड वाटर सप्लाई टैंक अनुमोदित किया गया था. अनुमोदन के तीन साल बाद इस पर काम शुरू किया गया. पूरे गांव के 12 किलोमीटर की रेंज में पाइप लाइन बिछाई गई और 300 घरों को वाटर कनेक्शन भी दे दिया गया. परियोजना को 5 साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक गांव वालों को पीने का पानी नसीब नहीं हो सका है. इस कारण ग्रामीणों को काफी समय से पानी की परेशानी हो रही है.

ग्रामीण उखाड़ रहे हैं 'उम्मीद के नल'
तुलसीपुर ग्रामीण ग्राम सभा के रहने वाले मसीउल्ला खान कहते हैं कि इस परियोजना को शुरू हुए 5 साल बीत चुके हैं लेकिन दो-तीन दिन के अलावा कभी पानी नसीब नहीं हुआ. काफी ग्रामीणों ने अपने नल तक उखाड़ दिए हैं. प्रशासन से गुहार लगाकर भी थक चुके हैं लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजता है. अब यह उम्मीद खत्म हो चुकी है.

पानी मिल भी जाए तो क्या...

स्थानीय निवासी कुल्लू खान कहते हैं कि इस परियोजना में काफी गड़बड़ी हैं. नियमों को ताक पर रखते हुए काम किया गया है. पाइपलाइन को नकटी नाले के अंदर से गुजारा जा रहा है, जिससे हमें जब भी पानी मिलेगा तो गंदा पानी ही मिलेगा. ऐसे में देर-सबेर पानी आ भी गया तो वह पीने के लायक बिल्कुल नहीं होगा.

कब तक पानी ढोए 'गांव की शकीला' !
शकीला कहती हैं कि हमारे घरों में लगे नल तक सूख चुके हैं. डेढ़ सौ-दो सौ फीट के नीचे से पानी ही नहीं आ रहा है. ऐसे में हम लोगों को तमाम तरह की समस्याएं हो रही हैं. जब आदमी कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं तो हम औरतों को 500 मीटर दूर लगे सरकारी नल से पानी भर कर लाना पड़ता है. जो टंकी हमारे यहां लगाई गई है वह खुद एक बड़ी समस्या का कारण बन रही है.

लागत के आगे सरकारी धन भी पड़ा कम

जिले में कुल 26 पेयजल आपूर्ति परियोजनाएं शुरू की गई है जिनमें 3 परियोजनाओं पर 95 % काम पूरा किया जा चुका है. 13 परियोजनाओं का 66 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है. 4 परियोजनाओं का 33 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है. वहीं, जिले में 21 में से 15 ओवरहेड टैंक्स क्रियाशील हैं. 5 आंशिक रूप से क्रियाशील हैं जबकि एक की लागत बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है.

हम आने वाले समय में देख रहे हैं कि सभी ग्राम सभाओं में ओवरहेड टैंक के जरिए जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए.अगर कहीं भी समस्या आ रही है तो हम उसको खुद मॉनिटर करके सुलझाने की कोशिश करेंगे.
- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:summary :- बलरामपुर में अभी 26 पेयजल आपूर्ति परियोजनाएं चल रही हैं। जिनमें से कई पर काम चल रहा है। जबकि 5 पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर चुके हैं। वहीं, एक परियोजना की लागत में इजाफा हो जाने के कारण वह बंद पड़ी हुई है।

intro :- बलरामपुर जिले की आबादी तकरीबन 25 लाख है, जिनमें से 80% आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। इन्हीं 101 न्याय पंचायतों में से 26 न्याय पंचायतों के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का दावा बलरामपुर जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
इसके लिए पूरे जिले में मौजूदा समय में 26 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें से अधिकतर पर काम चल रहा है जबकि केवल 5 परियोजनाएं पूरी होकर लोगों को पेयजल की सुविधाएं उपलब्ध करवा पा रही हैं। इनसे में भी अधिकतर परियोजनाएं कागजों में महज कालम पूर्ति का काम कर रही है। इसके बावजूद भी जल निगम और जिला प्रशासन ग्रामीणों की इस समस्या का सुध लेने को तैयार नहीं है।
वहीं, ग्रामीण इलाकों में बनाए गए ज्यादातर ओवरहेड टैंक हाथी दांत साबित हो रहे हैं। निर्माण में तमाम तरह की खामियां हैं। इसलिए अधिकारी भी खानापूर्ति करते ही नजर आते हैं।


Body:● जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर देहात ग्रामसभा की आबादी 15 हजार से ऊपर है। तुलसीपुर नगर क्षेत्र से सटा हुआ यह गांव न केवल अल्पसंख्यक समुदाय की बाहुल्यता वाला है। बल्कि यहां पर प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम के तहत तमाम काम भी करवाए जाते हैं।
● इस ग्रामसभा में वित्त वर्ष 2013-14 में तकरीबन दो करोड़ की लागत से 500 किलो लीटर की क्षमता वाला एक ओवरहेड वाटर सप्लाई टैंक अनुमोदित किया गया।
● अनुमोदन के तीन साल बाद यानी 2016 में इस पर काम शुरू किया जा सका। पूरे गांव के 12 किलोमीटर के रेंज में पाइप लाइन बिछाई गई और 300 घरों को वाटर कनेक्शन भी बंटा दिया गया।
●परियोजना को 5 साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक गांव वालों को पीने का पानी नसीब नहीं हो सका है। इस कारण ग्रामीणों को काफी समय से पानी की परेशानी हो रही है।
● तुलसीपुर ग्रामीण ग्राम सभा के रहने वाले मसीउल्ला खान कहते हैं कि इस परियोजना को शुरू हुई 5 साल बीत चुके हैं। लेकिन ग्रामीणों को दो-तीन दिन के अलावा कभी पानी नसीब नहीं हुआ। काफी ग्रामीणों ने अपने नाल तक उखाड़ दिए हैं। इस कारण से तमाम तरह की समस्याएं पैदा हो रही है।
● वही कुल्लू खान कहते हैं कि इस ग्राम सभा में परियोजना को शुरू हुए, 5 साल बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक पानी नसीब नहीं हुआ पूरी परियोजना में काफी गड़बड़ी है। चीजों को ताक पर रखते हुए काम किया गया है पाइपलाइन को नकटी नाले के भीतर से गुजारा जा रहा है, जिससे हमें जब भी पानी मिलेगा तो गंदा पानी ही मिलेगा। जो पीने योग्य कभी नहीं होगा।
● वही इसी ग्राम सभा की रहने वाली शकीला कहती हैं कि हमारे घरों में लगे नल तक सूख चुके हैं। डेढ़ सौ दो सौ फीट के नीचे से पानी ही नहीं आ रहा है। ऐसे में हम लोगों को तमाम तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। जब आदमी कमाने के लिए बाहर चले जाते हैं तो हम औरतों को 500 मीटर दूर लगे सरकारी नल से पानी भर कर लाना पड़ता है जिससे काफी समस्या हो रही है। रही बात जो टंकी हमारे यहां लगाई गई है वह खुद एक बड़ी समस्या का कारण बन रही है।
● जिले में कुछ 26 पेयजल आपूर्ति परियोजनाएं शुरू की गई हैं। जिनमें 3 परियोजनाओं पर 95 % काम पूरा किया जा चुका है। 13 परियोजनाओं पर 66 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है। 4 परियोजनाओं पर 33 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका है।
●वहीं, जिले में 21 में से 15 ओवरहेड टैंक्स क्रियाशील है। 5 आंशिक रूप से क्रियाशील हैं। जबकि एक की लागत बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है।


Conclusion:इस मामले पर ईटीवी से बात करते हुए जल निगम के अधिशासी अधिकारी मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि इस वित्त वर्ष में हमारा लक्ष्य है कि 10 परियोजनाओं को पूरी तरह कंप्लीट कर लिया जाए और ग्रामीणों को जलापूर्ति सुनिश्चित कर दी जाए।
वही तुलसीपुर ग्रामीण जैसे अन्य ग्रामसभाओं की समस्या पर बोलते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने ईटीवी से कहा कि हम आने वाले समय में देख रहे हैं कि जिन ग्राम सभाओं में ओवरहेड टैंक के जरिए जलापूर्ति की जानी है। वह सुनिश्चित हो सके अगर कहीं भी प्रॉब्लम आ रही है तो हम उसको खुद मॉनिटर करके सुलझाने की कोशिश करेंगे।
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