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फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध फीस की वसूली का वीडियो वायरल - बलरामपुर क्राइम

बलरामपुर जिले में सरकार द्वारा पोषित मदरसे में अवैध रूप से फीस वसूली का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में छात्र व अभिभावक 250 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की अवैध वसूली की बात स्वीकार कर रहे हैं.

फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध फीस की वसूली का वीडियो वायरल
फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध फीस की वसूली का वीडियो वायरल
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Published : Sep 1, 2021, 8:53 PM IST

बलरामपुर : केंद्र और यूपी सरकार भले ही अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए लगातार प्रयास कर रही हो. लेकिन सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों के छात्र-छात्राओं से लगातार अवैध फीस वसूली की जा रही है. बलरामपुर जिले से मदरसे में फीस वसूली का ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मदरसे में अवैध फीस वसूली का वीडियो वायरल होने के बाद जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने मामले का संज्ञान लेकर मदरसा प्रशासन और प्राचार्य को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है.

मामला बलरामपुर जिले के पचपेड़वा का बताया जा रहा है. यहां पर वर्षों से संचालित फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसा में दीनी तालीम के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं से एडमिशन व फीस के नाम पर अवैध रूप फीस वसूली की जा रही है. फीस वसूली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में छात्र और अभिभावकों से फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में प्रवेश व पढ़ाई-लिखाई के नाम पर 250 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की वसूली की बात कही जा रही है. मदरसों में हो रही अवैध वसूली के कारण कई छात्र-छात्राओं ने पैसे के आभाव में पढ़ाई छोड़ दी है. वहीं कई छात्र-छात्रों के अभिभावक उधार लेकर पढ़ाई का खर्च चुका रहे हैं.

फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध फीस की वसूली का वीडियो वायरल

अभिभावक बताते हैं कि वह गरीब तबके से आते हैं और अपने बच्चों को तालीम हासिल करवाना चाहते हैं, लेकिन फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसा लगातार उनका शोषण कर रहा है. जब इस मामले पर ईटीवी भारत ने जिला अल्पसंख्यक अधिकारी पवन सिंह से बात की, तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसे किसी भी तरह की फीस नहीं ले सकते हैं. मदरसों में दी जाने वाली किसी भी तरह की तालीम पूरी तरह से छात्र-छात्राओं को निशुल्क प्रदान की जाती है. उन्होंने कहा कि अगर मान्यता प्राप्त मदरसे फीस लेना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें जिला अल्पसंख्यक कार्यालय से अनुमोदन लेना होता है और फीस-स्ट्रक्चर को पास कराना होता है.

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने पवन सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से पचपेड़वा के फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध रूप से फीस वसूली का मामला सामने आया है. इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यालय द्वारा प्रबंधकीय समिति व प्राचार्य को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है. यदि मदरसा प्रशासन की ओर से समय सीमा के अंदर उचित जवाब नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि बलरामपुर जिले में 282 मदरसे सरकार और मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से 25 मदरसे राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. इनमें से बड़ी संख्या में मदरसों में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित की जाने वाली मदरसा आधुनिकीकरण योजना भी लागू है. कक्षा 1 से 8 तक संचालित होने वाले सभी मदरसों में मिड डे मील परियोजना भी लागू है. यहां के मदरसों में तकरीबन 2 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं.

इसे पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2022 : बीजेपी के साथ बनाएंगे सरकार, 70 सीटों की करेंगे डिमांड : संजय निषाद

बलरामपुर : केंद्र और यूपी सरकार भले ही अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए लगातार प्रयास कर रही हो. लेकिन सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों के छात्र-छात्राओं से लगातार अवैध फीस वसूली की जा रही है. बलरामपुर जिले से मदरसे में फीस वसूली का ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मदरसे में अवैध फीस वसूली का वीडियो वायरल होने के बाद जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने मामले का संज्ञान लेकर मदरसा प्रशासन और प्राचार्य को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है.

मामला बलरामपुर जिले के पचपेड़वा का बताया जा रहा है. यहां पर वर्षों से संचालित फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसा में दीनी तालीम के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं से एडमिशन व फीस के नाम पर अवैध रूप फीस वसूली की जा रही है. फीस वसूली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में छात्र और अभिभावकों से फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में प्रवेश व पढ़ाई-लिखाई के नाम पर 250 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की वसूली की बात कही जा रही है. मदरसों में हो रही अवैध वसूली के कारण कई छात्र-छात्राओं ने पैसे के आभाव में पढ़ाई छोड़ दी है. वहीं कई छात्र-छात्रों के अभिभावक उधार लेकर पढ़ाई का खर्च चुका रहे हैं.

फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध फीस की वसूली का वीडियो वायरल

अभिभावक बताते हैं कि वह गरीब तबके से आते हैं और अपने बच्चों को तालीम हासिल करवाना चाहते हैं, लेकिन फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसा लगातार उनका शोषण कर रहा है. जब इस मामले पर ईटीवी भारत ने जिला अल्पसंख्यक अधिकारी पवन सिंह से बात की, तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसे किसी भी तरह की फीस नहीं ले सकते हैं. मदरसों में दी जाने वाली किसी भी तरह की तालीम पूरी तरह से छात्र-छात्राओं को निशुल्क प्रदान की जाती है. उन्होंने कहा कि अगर मान्यता प्राप्त मदरसे फीस लेना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें जिला अल्पसंख्यक कार्यालय से अनुमोदन लेना होता है और फीस-स्ट्रक्चर को पास कराना होता है.

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने पवन सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से पचपेड़वा के फ़ज़ल-ए-रहमानिया मदरसे में अवैध रूप से फीस वसूली का मामला सामने आया है. इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यालय द्वारा प्रबंधकीय समिति व प्राचार्य को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है. यदि मदरसा प्रशासन की ओर से समय सीमा के अंदर उचित जवाब नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि बलरामपुर जिले में 282 मदरसे सरकार और मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से 25 मदरसे राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. इनमें से बड़ी संख्या में मदरसों में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित की जाने वाली मदरसा आधुनिकीकरण योजना भी लागू है. कक्षा 1 से 8 तक संचालित होने वाले सभी मदरसों में मिड डे मील परियोजना भी लागू है. यहां के मदरसों में तकरीबन 2 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं.

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