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बलरामपुर में ग्रामीण बोले- बह जाएगा गांव, मंत्री जी बोले- ऑल इज वेल...

यूपी के बलरामपुर में एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे सूबे के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि बाढ़ को देखते हुए हमने 6 महीने का काम लॉकडाउन के दौरान महज 2 महीने में निपटाया है. इससे जनता को जरूर फायदा होगा. वहीं उनके जाते ही ग्रामीणों ने उनके दावों की हवा निकाल दी. ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र के तकरीबन 50 गांव बाढ़ की भीषण समस्या से पिछले कई सालों से झूझ रहे हैं, लेकिन बाढ़ राहत विभाग महज खानापूर्ति करके काम चला रहा है.

बाढ़ की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह
बाढ़ की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह
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Published : Jul 15, 2020, 12:41 AM IST

बलरामपुर: सूबे के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह जिले के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बेल्हा-चरनगहिया नोज और बांध का दौरा किया. यहां पर उन्होंने सिंचाई विभाग और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किए जा रहे कामों का निरीक्षण किया. इसके साथ ही उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि बाढ़ के समय जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी तरह की समस्या आम लोगों के साथ नहीं आने देगी. वहीं उनके जाने के बाद ही बेल्हा और चरनगहिया ग्राम सभा की गुस्साई भीड़ ने मीडिया के सामने अधिकारियों और जलशक्ति मंत्री के दावों की पोल खोल दी.

बाढ़ की स्थिति.
बाढ़ की स्थिति.


'राप्ती नदी के कटान से बड़े पैमाने पर होगा खतरा'
ग्रामीणों ने कहा कि तकरीबन 6 करोड़ रुपये लगाकर जिस तरह से इस बांध की रिपेयरिंग की जा रही है, उससे कुछ फायदा नहीं होने वाले है. राप्ती नदी के कटान के कारण गांव में पानी भर सकता है. इनके नोज और जियो ट्यूब अभी से नीचे से मिट्टी छोड़ चुके हैं.

बाढ़ खंड द्वारा की गई कवायद बिलकुल मुफीद साबित होती नहीं दिख रही है. यहां पर ठेकेदार जब 100 बोरी डालते हैं तो उसे 10,000 बोरी बालू दिखाने की कोशिश करते हैं. कटान से बेल्हा मोड़ से लेकर बिस्कोहर बाजार तक के लोगों को खतरा है. अगर राप्ती नदी का कटान शुरू रहा तो बड़े पैमाने पर गांव में धन-जन हानि होगी.

बाढ़ की तैयारियों को लेकर ग्रामीणों में रोष.

'बांध का कुछ हिस्सा भी धंसा'
ग्रामीणों ने बताया कि राप्ती नदी का कटान जारी है. सड़क से नदी का कटान स्थल महज 2 मीटर ही बचा है. अगर नदी को अभी सही दिशा नहीं दी गई तो यहां से लेकर बिस्कोहर तक के गांवों में पानी घुस सकता है. वहीं अधिकारी केवल बांस और बल्लियों में बोरियां डालकर काम चला रहे हैं.

कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि जिस बांध का निरीक्षण मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह करके गए हैं, वहां पर कुछ दूर आगे चलकर ही कटान हुआ है. बांध का कुछ हिस्सा भी धंस गया है. नदी का प्रवाह अगर तेज हुआ तो बड़ी आफत आ सकती है. क्षेत्र के तकरीबन 50 गांव बाढ़ की भीषण समस्या से पिछले कई सालों से झूझ रहे हैं, लेकिन बाढ़ राहत विभाग महज खानापूर्ति करके काम चला रहा है.

'6 महीने का काम लॉकडाउन के दौरान महज 2 महीने में हुआ'
मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बार बाढ़ का काम बहुत पहले शुरू कर दिया गया था, जिससे ग्रामीणों को फायदा होगा. कटान को रोकने के लिए बहुत सारे काम किए गए हैं. हमने 6 महीने का काम लॉकडाउन के दौरान महज 2 महीने में निपटाया है.

बलरामपुर: सूबे के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह जिले के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बेल्हा-चरनगहिया नोज और बांध का दौरा किया. यहां पर उन्होंने सिंचाई विभाग और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किए जा रहे कामों का निरीक्षण किया. इसके साथ ही उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि बाढ़ के समय जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी तरह की समस्या आम लोगों के साथ नहीं आने देगी. वहीं उनके जाने के बाद ही बेल्हा और चरनगहिया ग्राम सभा की गुस्साई भीड़ ने मीडिया के सामने अधिकारियों और जलशक्ति मंत्री के दावों की पोल खोल दी.

बाढ़ की स्थिति.
बाढ़ की स्थिति.


'राप्ती नदी के कटान से बड़े पैमाने पर होगा खतरा'
ग्रामीणों ने कहा कि तकरीबन 6 करोड़ रुपये लगाकर जिस तरह से इस बांध की रिपेयरिंग की जा रही है, उससे कुछ फायदा नहीं होने वाले है. राप्ती नदी के कटान के कारण गांव में पानी भर सकता है. इनके नोज और जियो ट्यूब अभी से नीचे से मिट्टी छोड़ चुके हैं.

बाढ़ खंड द्वारा की गई कवायद बिलकुल मुफीद साबित होती नहीं दिख रही है. यहां पर ठेकेदार जब 100 बोरी डालते हैं तो उसे 10,000 बोरी बालू दिखाने की कोशिश करते हैं. कटान से बेल्हा मोड़ से लेकर बिस्कोहर बाजार तक के लोगों को खतरा है. अगर राप्ती नदी का कटान शुरू रहा तो बड़े पैमाने पर गांव में धन-जन हानि होगी.

बाढ़ की तैयारियों को लेकर ग्रामीणों में रोष.

'बांध का कुछ हिस्सा भी धंसा'
ग्रामीणों ने बताया कि राप्ती नदी का कटान जारी है. सड़क से नदी का कटान स्थल महज 2 मीटर ही बचा है. अगर नदी को अभी सही दिशा नहीं दी गई तो यहां से लेकर बिस्कोहर तक के गांवों में पानी घुस सकता है. वहीं अधिकारी केवल बांस और बल्लियों में बोरियां डालकर काम चला रहे हैं.

कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि जिस बांध का निरीक्षण मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह करके गए हैं, वहां पर कुछ दूर आगे चलकर ही कटान हुआ है. बांध का कुछ हिस्सा भी धंस गया है. नदी का प्रवाह अगर तेज हुआ तो बड़ी आफत आ सकती है. क्षेत्र के तकरीबन 50 गांव बाढ़ की भीषण समस्या से पिछले कई सालों से झूझ रहे हैं, लेकिन बाढ़ राहत विभाग महज खानापूर्ति करके काम चला रहा है.

'6 महीने का काम लॉकडाउन के दौरान महज 2 महीने में हुआ'
मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बार बाढ़ का काम बहुत पहले शुरू कर दिया गया था, जिससे ग्रामीणों को फायदा होगा. कटान को रोकने के लिए बहुत सारे काम किए गए हैं. हमने 6 महीने का काम लॉकडाउन के दौरान महज 2 महीने में निपटाया है.

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