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बलरामपुर में बगैर शिक्षकों के ही पढ़ाई कर रहे हजारों बच्चे

यूपी के बलरामपुर में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का खस्ताहाल है, शिक्षक स्कूलों से नदारद रहते हैं. जिले में 500 से अधिक विद्यालयों में शिक्षक किसी न किसी बहाने आए दिन गायब रहते हैं.

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Published : Aug 11, 2019, 1:13 PM IST

अभिभावक राजाराम मौर्य.

बलरामपुर: प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए राज्य और केंद्र की सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन जमीन पर जब स्थिति देखने उतरिए तो बेहद बदरंग ही नजर आती है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों की होती है. लेकिन जिले के दूरस्थ इलाकों में स्थित तमाम परिषदीय स्कूलों से शिक्षक या तो बेसिक शिक्षा विभाग की कृपा से नदारद रहते हैं या स्कूलों में नाम मात्र ही आते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल खड़े होना लाजमी है.

शिक्षकों के अभाव में राम भरोसे चलते विद्यालय.

जानिए क्या है पूरा मामला

  • जिले में कुल 9 ब्लॉक हैं.
  • ब्लॉकों की 801 ग्राम सभाओं में 1575 प्राथमिक विद्यालय 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थित हैं.
  • प्राथमिक विद्यालयों में कुल 3629 शिक्षक कार्यरत हैं.
  • उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कुल 1264 शिक्षक कार्यरत है, जबकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की संख्या 1830 है.
  • प्राथमिक विद्यालयों में अनुदेशकों की संख्या 148 है.
  • वहीं 500 से अधिक विद्यालयों में शिक्षक किसी न किसी बहाने से आए दिन गायब रहते हैं.

बलरामपुर जिला प्रशासन के के अनुसार अभी जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने 80 से अधिक विद्यालयों में शिक्षकों के उपस्थित की जांच करवाई है. जांच के बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की बात भी कही जा रही है.

पढ़ें:.समाज के लिए नजीर है सैकड़ों साल पुरानी देवीपाटन शक्तिपीठ की 'गोशाला'

वहीं जब ईटीवी भारत ने इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति तो नहीं होगी कि कोई शिक्षक छह-छह महीने न आए. लेकिन अगर आप कह रहे हैं तो हम लोग जांच करवा लेंगे. जांच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

जिले के दूरस्थ इलाकों में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लगातार अनुपस्थित होने की शिकायतें मिल रही है. जिलास्तरीय टीम लगातार इस बात को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है. अगर कोई शिक्षक पहली बार अनुपस्थित पाया जाता है तो उसे नोटिस देकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन अगर वह कई बार अनुपस्थित मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर: प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए राज्य और केंद्र की सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन जमीन पर जब स्थिति देखने उतरिए तो बेहद बदरंग ही नजर आती है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों की होती है. लेकिन जिले के दूरस्थ इलाकों में स्थित तमाम परिषदीय स्कूलों से शिक्षक या तो बेसिक शिक्षा विभाग की कृपा से नदारद रहते हैं या स्कूलों में नाम मात्र ही आते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल खड़े होना लाजमी है.

शिक्षकों के अभाव में राम भरोसे चलते विद्यालय.

जानिए क्या है पूरा मामला

  • जिले में कुल 9 ब्लॉक हैं.
  • ब्लॉकों की 801 ग्राम सभाओं में 1575 प्राथमिक विद्यालय 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थित हैं.
  • प्राथमिक विद्यालयों में कुल 3629 शिक्षक कार्यरत हैं.
  • उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कुल 1264 शिक्षक कार्यरत है, जबकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की संख्या 1830 है.
  • प्राथमिक विद्यालयों में अनुदेशकों की संख्या 148 है.
  • वहीं 500 से अधिक विद्यालयों में शिक्षक किसी न किसी बहाने से आए दिन गायब रहते हैं.

बलरामपुर जिला प्रशासन के के अनुसार अभी जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने 80 से अधिक विद्यालयों में शिक्षकों के उपस्थित की जांच करवाई है. जांच के बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की बात भी कही जा रही है.

पढ़ें:.समाज के लिए नजीर है सैकड़ों साल पुरानी देवीपाटन शक्तिपीठ की 'गोशाला'

वहीं जब ईटीवी भारत ने इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद से बात की तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति तो नहीं होगी कि कोई शिक्षक छह-छह महीने न आए. लेकिन अगर आप कह रहे हैं तो हम लोग जांच करवा लेंगे. जांच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

जिले के दूरस्थ इलाकों में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लगातार अनुपस्थित होने की शिकायतें मिल रही है. जिलास्तरीय टीम लगातार इस बात को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है. अगर कोई शिक्षक पहली बार अनुपस्थित पाया जाता है तो उसे नोटिस देकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन अगर वह कई बार अनुपस्थित मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:प्रथमिक शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए राज्य और केंद्र की सरकार है दावे चाहे जितना कर ले. लेकिन जमीन पर जब स्थिति देखने उतरिए तो बेहद बदरंग ही नजर आती है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्कूलों में तैनात गुरुजनों की होती है. लेकिन जिले के दूरस्थ इलाकों में पड़ने वाले तमाम परिषदीय स्कूलों से गुरुजन या तो बेसिक शिक्षा विभाग की कृपा से नदारद रहते हैं या स्कूलों में नाम मात्र ही आते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल खड़े होना लाजमी है. यहां पर पड़ने वाले बच्चे ना तो मामूली जोड़-घटाव कर पाते हैं. और ना ही उन्हें भाषाई ज्ञान ही है. जिले के कई विद्यालय शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की ऊपर ही चलाए जा रहे हैं.


Body:बलरामपुर जिले में कुल 9 ब्लॉक हैं. इन ब्लॉकों के 801 ग्राम सभाओं में 1575 प्राथमिक विद्यालय 646 उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थित है. अगर शिक्षकों की की संख्या की बात की जाए तो बलरामपुर जिले के प्राथमिक विद्यालयों में कुल 3629 शिक्षक कार्यरत है. वहीं, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कुल 1264 शिक्षक कार्यरत है. जबकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की संख्या 1830 है और प्राथमिक विद्यालयों में ही अनुदेशकों की संख्या 148 है. इनमें से कम से कम 500 सौ से अधिक विद्यालयों में शिक्षक किसी न किसी बहाने से आए दिन गायब रहते हैं. बलरामपुर जिला प्रशासन के एक सूत्र के अनुसार अभी जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश द्वारा 80 से अधिक विद्यालयों में शिक्षकों के उपस्थित की जांच करवाई जा रही है। जांच के बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की बात भी कही जा रही है।
लेकिन दूरस्थ इलाकों में पड़ने वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अधिक शिक्षकों की गैर-हाजिरी न केवल जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है. बल्कि जिम्मेदारों के ऊपर गरीब बच्चों के भविष्य से खेलने का आरोप भी मढ़ती है.
जब हमने इसी स्थिति को देखने के लिए श्रीदत्तगंज ब्लॉक में पड़ने वाले दूरस्थ प्राथमिक विद्यालय मझारी का रुख किया तो वहां पर स्थिति वाकई में बदरंग नजर आई. यहां पर एक शिक्षिका जो पिछले नवंबर से ही स्कूल से गायब हैं. बताया जा रहा है कि वह मैटरनिटी लीव पर है. लेकिन लोगों का कहना है कि जॉइनिंग के दिन उन्हें केवल देखा गया था. उसके बाद से वह अपने स्कूल में नहीं दिखाई दीं. वहीं, प्राथमिक विद्यालय मझारी में ही एक और शिक्षक के लगातार 6 महीने से गायब रहने की सूचना है. इनके बारे में बताया जा रहा है कि यह चिकित्सीय अवकाश पर हैं


Conclusion:इस बारे में बात करते हुए प्राथमिक विद्यालय मझारी में पांचवीं की छात्रा खुशबू ने हमसे कहा कि स्कूल में 4 शिक्षक कार्यरत है, जिनमें से 2 शिक्षक तो आते हैं. जबकि दो नहीं आते. पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं हो रही है.
मझारी ग्रामसभा के प्रधान अशोक सिंह आरोप लगाते हुए कहते हैं कि पिछले कई महीनों से यहां पर 2 शिक्षक लगातार अनुपस्थित है. यह बिल्कुल इस तरह है कि जैसे बच्चों के भविष्य से खेला जा रहा हो. ग्रामीणों में इस बाबत काफी आक्रोश भी है. हम लोगों ने कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
वहीं, इसी स्कूल में अपने बच्चों की पढ़ाई करवाने वाले अभिभावक राजाराम मौर्य कहते हैं कि शिक्षकों के ना आने से न केवल बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. बल्कि स्कूल में पूरी तरह से बर्बाद होता जा रहा है। यहां पर बच्चों को ना तो सुविधाएं मिल पा रही हैं. ना ही पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था. ऐसे में हम लोग प्राथमिक विद्यालयों को छोड़कर प्राइवेट विद्यालयों की तरफ बढ़ रहे हैं. स्थिति यही रह गई तो जिले में नामांकन का स्तर लगातार घटता चला जाएगा.
वहीं जब हमने इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिहर प्रसाद से बात किया तो उन्होंने हंसकर जवाब देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति तो नहीं होगी कि कोई शिक्षक छह-छह महीने ना आए लेकिन अगर आप कह रहे हैं तो हम लोग जांच करवा लेंगे. जांच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
वहीं इस मामले पर जब हमने जिला अधिकारी कृष्णा करुणेश से बात किया तो उन्होंने कहा कि जिले के दूरस्थ इलाकों में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लगातार अनुपस्थित होने की शिकायतें मिल रही है. जिलास्तरीय टीम लगातार इस बात को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है. अगर कोई शिक्षक पहली बार अनुपस्थित पाया जाता है तो उसे नोटिस देकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन अगर वह कई बार अनुपस्थित मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
अधिकारी दावे कुछ भी करें लेकिन जमीन पर स्थिति बेहद खराब है. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले तकरीबन सवा दो लाख बच्चों का भविष्य पूरी तरह से अधर में लटका नजर आता है. ना तो उनका कोर्स पूरा हो पाता है. ना ही उनकी शैक्षिक गुणवत्ता में कोई इजाफा हो पाता है. ऐसे में पढ़े बलरामपुर, बढ़े बलरामपुर कार्यक्रम का दावा पूरी तरह से कोरा नज़र आता है.
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