बलरामपुर: बाढ़ का पानी हर साल जिले में भारी तबाही मचाता है. बाढ़ के लिहाज से बलरामपुर जिला एक अति संवेदनशील जिला है. यहां पर हर साल नेपाल के नाले और नेपाल से उतरने वाली नदियां बड़ी मात्रा में जल तबाही फैलाती हैं. जिले में जब भी बाढ़ आती है, तो सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो जाते हैं. सरकार द्वारा इन बेघर लोगों को न केवल आर्थिक सहायता देने की योजना है, बल्कि पिछले साल से इन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन का पट्टा देकर घर देने की योजना भी लागू की थी.
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हर साल तबाही मचाती है बाढ़
- जिले के ग्रामीण इलाकों की आबादी तकरीबन 21 लाख है.
- जिले में नदी और नालों के किनारे बसे गांवों की संख्या तकरीबन 200 से ऊपर है.
- यह सभी गांव नदी के मुहाने पर बसे हुए हैं, यहां पर हर साल नदी का बढ़ता जलस्तर भारी तबाही मचाता है.
- कई गांवों में तो कटान इस कदर होती है कि लोगों के पास जीने लायक भी सामान नहीं बचता.
- जिन लोगों के मकान बाढ़ की तबाही में खत्म हो जाते हैं, उनके लिए सरकार ने तमाम तरह की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जिले में यह लागू होती दिखाई नहीं देती.
नारायणपुर मझारी गांव हर साल झेलता है बाढ़ की समस्या
नदी के मुहाने पर बसा सदर तहसील का गांव नारायणपुर मझारी बाढ़ की समस्या से हर साल प्रभावित होता है. जिला प्रशासन में सिंचाई विभाग के द्वारा गांव के चारों ओर एक बांध बनवाया है, जिससे गांव के अंदर बाढ़ का पानी तो नहीं घुसता, लेकिन जब बांध नहीं बना था, उससे पहले सैकड़ों लोग बेघर हुए थे. जिनमें से कई लोग आज भी बंधे पर ही रहने के लिए मजबूर हैं. उन्हें न तो सरकार द्वारा जमीन मुहैया करवाई गई और न ही मुख्यमंत्री आवास योजना द्वारा घर दिया गया.
मझारी के रहने वाले बुधई बताते हैं कि तकरीबन 3 साल में आई बाढ़ में उनका घर नदी में पूरी तरह से बह गया. उनके साथ कई लोगों का घर भी नदी के कटान के कारण बह गया था. अब वह नदी किनारे ही एक फूस का मकान बनाकर रहते हैं. जहां पर उन्हें कई तरह के खतरे हैं. प्रशासन के पास इन्होंने कई बार गुहार भी लगाई गई, लेकिन जिले का कोई आला अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है.
इस साल उतरौला तहसील के बभनपुरवा और सदर तहसील के कई गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित थे. जहां पर नदी द्वारा भारी कटान किया गया है. इन सभी गांवों के बाशिंदों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की योजना बनाई जा रही है. इसके साथ ही जो लोग बेघर हुए हैं. उन्हें एक लाख की आर्थिक सहायता भी की जाएगी. इसके लिए सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह इस महीने के लास्ट तक ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करते हुए जमीन का पट्टा दिलवाने का काम करे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी