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बलरामपुर: बाढ़ के कारण बेघर हुए लोगों को भागीरथी का इंतजार

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में हर साल बाढ़ भारी तबाही मचाती है. इस जिले में नदी और नालों के किनारे बसे गांवों की संख्या तकरीबन 200 से ऊपर है. हर साल यहां बाढ़ का पानी भारी तबाही मचाता है. इसके लिए सरकार ने तमाम तरह की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जिले में यह लागू होती दिखाई नहीं देती.

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Published : Aug 28, 2019, 8:24 AM IST

बलरामपुर में बाढ़ के कारण बेघर हुए लाखों लोग.

बलरामपुर: बाढ़ का पानी हर साल जिले में भारी तबाही मचाता है. बाढ़ के लिहाज से बलरामपुर जिला एक अति संवेदनशील जिला है. यहां पर हर साल नेपाल के नाले और नेपाल से उतरने वाली नदियां बड़ी मात्रा में जल तबाही फैलाती हैं. जिले में जब भी बाढ़ आती है, तो सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो जाते हैं. सरकार द्वारा इन बेघर लोगों को न केवल आर्थिक सहायता देने की योजना है, बल्कि पिछले साल से इन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन का पट्टा देकर घर देने की योजना भी लागू की थी.

बलरामपुर में बाढ़ के कारण बेघर हुए लाखों लोग.

इसे भी पढ़ें- बलिया: गंगा का बढ़ा जलस्तर, ग्रामीण इलाकों की सड़कें क्षतिग्रस्त

हर साल तबाही मचाती है बाढ़

  • जिले के ग्रामीण इलाकों की आबादी तकरीबन 21 लाख है.
  • जिले में नदी और नालों के किनारे बसे गांवों की संख्या तकरीबन 200 से ऊपर है.
  • यह सभी गांव नदी के मुहाने पर बसे हुए हैं, यहां पर हर साल नदी का बढ़ता जलस्तर भारी तबाही मचाता है.
  • कई गांवों में तो कटान इस कदर होती है कि लोगों के पास जीने लायक भी सामान नहीं बचता.
  • जिन लोगों के मकान बाढ़ की तबाही में खत्म हो जाते हैं, उनके लिए सरकार ने तमाम तरह की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जिले में यह लागू होती दिखाई नहीं देती.

नारायणपुर मझारी गांव हर साल झेलता है बाढ़ की समस्या
नदी के मुहाने पर बसा सदर तहसील का गांव नारायणपुर मझारी बाढ़ की समस्या से हर साल प्रभावित होता है. जिला प्रशासन में सिंचाई विभाग के द्वारा गांव के चारों ओर एक बांध बनवाया है, जिससे गांव के अंदर बाढ़ का पानी तो नहीं घुसता, लेकिन जब बांध नहीं बना था, उससे पहले सैकड़ों लोग बेघर हुए थे. जिनमें से कई लोग आज भी बंधे पर ही रहने के लिए मजबूर हैं. उन्हें न तो सरकार द्वारा जमीन मुहैया करवाई गई और न ही मुख्यमंत्री आवास योजना द्वारा घर दिया गया.

मझारी के रहने वाले बुधई बताते हैं कि तकरीबन 3 साल में आई बाढ़ में उनका घर नदी में पूरी तरह से बह गया. उनके साथ कई लोगों का घर भी नदी के कटान के कारण बह गया था. अब वह नदी किनारे ही एक फूस का मकान बनाकर रहते हैं. जहां पर उन्हें कई तरह के खतरे हैं. प्रशासन के पास इन्होंने कई बार गुहार भी लगाई गई, लेकिन जिले का कोई आला अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है.

इस साल उतरौला तहसील के बभनपुरवा और सदर तहसील के कई गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित थे. जहां पर नदी द्वारा भारी कटान किया गया है. इन सभी गांवों के बाशिंदों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की योजना बनाई जा रही है. इसके साथ ही जो लोग बेघर हुए हैं. उन्हें एक लाख की आर्थिक सहायता भी की जाएगी. इसके लिए सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह इस महीने के लास्ट तक ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करते हुए जमीन का पट्टा दिलवाने का काम करे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

बलरामपुर: बाढ़ का पानी हर साल जिले में भारी तबाही मचाता है. बाढ़ के लिहाज से बलरामपुर जिला एक अति संवेदनशील जिला है. यहां पर हर साल नेपाल के नाले और नेपाल से उतरने वाली नदियां बड़ी मात्रा में जल तबाही फैलाती हैं. जिले में जब भी बाढ़ आती है, तो सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो जाते हैं. सरकार द्वारा इन बेघर लोगों को न केवल आर्थिक सहायता देने की योजना है, बल्कि पिछले साल से इन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन का पट्टा देकर घर देने की योजना भी लागू की थी.

बलरामपुर में बाढ़ के कारण बेघर हुए लाखों लोग.

इसे भी पढ़ें- बलिया: गंगा का बढ़ा जलस्तर, ग्रामीण इलाकों की सड़कें क्षतिग्रस्त

हर साल तबाही मचाती है बाढ़

  • जिले के ग्रामीण इलाकों की आबादी तकरीबन 21 लाख है.
  • जिले में नदी और नालों के किनारे बसे गांवों की संख्या तकरीबन 200 से ऊपर है.
  • यह सभी गांव नदी के मुहाने पर बसे हुए हैं, यहां पर हर साल नदी का बढ़ता जलस्तर भारी तबाही मचाता है.
  • कई गांवों में तो कटान इस कदर होती है कि लोगों के पास जीने लायक भी सामान नहीं बचता.
  • जिन लोगों के मकान बाढ़ की तबाही में खत्म हो जाते हैं, उनके लिए सरकार ने तमाम तरह की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जिले में यह लागू होती दिखाई नहीं देती.

नारायणपुर मझारी गांव हर साल झेलता है बाढ़ की समस्या
नदी के मुहाने पर बसा सदर तहसील का गांव नारायणपुर मझारी बाढ़ की समस्या से हर साल प्रभावित होता है. जिला प्रशासन में सिंचाई विभाग के द्वारा गांव के चारों ओर एक बांध बनवाया है, जिससे गांव के अंदर बाढ़ का पानी तो नहीं घुसता, लेकिन जब बांध नहीं बना था, उससे पहले सैकड़ों लोग बेघर हुए थे. जिनमें से कई लोग आज भी बंधे पर ही रहने के लिए मजबूर हैं. उन्हें न तो सरकार द्वारा जमीन मुहैया करवाई गई और न ही मुख्यमंत्री आवास योजना द्वारा घर दिया गया.

मझारी के रहने वाले बुधई बताते हैं कि तकरीबन 3 साल में आई बाढ़ में उनका घर नदी में पूरी तरह से बह गया. उनके साथ कई लोगों का घर भी नदी के कटान के कारण बह गया था. अब वह नदी किनारे ही एक फूस का मकान बनाकर रहते हैं. जहां पर उन्हें कई तरह के खतरे हैं. प्रशासन के पास इन्होंने कई बार गुहार भी लगाई गई, लेकिन जिले का कोई आला अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है.

इस साल उतरौला तहसील के बभनपुरवा और सदर तहसील के कई गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित थे. जहां पर नदी द्वारा भारी कटान किया गया है. इन सभी गांवों के बाशिंदों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की योजना बनाई जा रही है. इसके साथ ही जो लोग बेघर हुए हैं. उन्हें एक लाख की आर्थिक सहायता भी की जाएगी. इसके लिए सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह इस महीने के लास्ट तक ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करते हुए जमीन का पट्टा दिलवाने का काम करे.
-कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी

Intro:बाढ़ का पानी हर साल बलरामपुर जिले में भारी तबाही मचाता है। उफनाती नदियों-नालों का जलस्तर कभी किसी का घर बहा ले जाता है। तो कभी किसी का कोई अपना खो जाता है। बाढ़ के लिहाज से बलरामपुर जिला एक अति संवेदनशील जिला है। यहां पर हर साल नेपाल के नाले और नेपाल से उतरने वाली नदियां बड़ी मात्रा में जल तबाही फैलाती है। बलरामपुर जिले में जब भी बाढ़ आता है, तो सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो जाए करते हैं। सरकार द्वारा इन बेघर लोगों को न केवल आर्थिक सहायता देने की योजना है। बल्कि पिछले ही साल सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी जमीन का पट्टा देकर घर देने की योजना भी लागू की थी। जिले में पिछले साल और इस साल बाढ़ तो विभीषिका उस तरह से नहीं फैली। लेकिन इससे पहले वाले सालों में जो लोग बेघर हुए हैं। वह आज भी अपने लिए भागीरथी का इंतजार कर रहे हैं। जो आए और उनके बेघर होने के दुख को खत्म कर दे।


Body:बलरामपुर जिले के ग्रामीण इलाकों की आबादी तकरीबन 21 लाख है। और जिले में नदी व नालों के किनारे बसे गांवों की संख्या तकरीबन 200 से ऊपर है। यह सभी गांव नदी के मुहाने पर बसे हुए हैं। यहां पर हर साल नदी का बढ़ता जलस्तर भारी तबाही मचाता है। लोग अपने घरों से बेघर हो जाए करते हैं। कई गांवों में तो कटान इस कदर होती है कि लोगों के पास जीने लायक भी सामान नहीं बचता। जिन लोगों के पक्के या फूस के मकान बाढ़ की तबाही में खत्म हो जाए करते हैं। उनके लिए सरकार ने तमाम तरह की योजनाएं बनाई हैं। लेकिन बलरामपुर जिले में यह लागू होती दिखाई नहीं देती।
नदी के मुहाने पर बसा सदर तहसील का गांव नारायणपुर मझारी बाढ़ की समस्या से हर साल 2-4 होता है। जिला प्रशासन में सिंचाई विभाग के द्वारा गांव के चारों ओर एक बांध बनवाया है, जिससे गांव के अंदर बाढ़ का पानी तो नहीं घुसता। लेकिन जब बांध नहीं बना था, उससे पहले सैकड़ों लोग बेघर हुए थे। जिनमें से कई लोग आज भी बंधे पर ही रहने के लिए मजबूर हैं। उन्हें ना तो सरकार द्वारा जमीन मुहैया करवाई गई और ना ही मुख्यमंत्री आवास योजना द्वारा घर दिया गया।
मझारी के रहने वाले बुधई बताते हैं कि तकरीबन 3 साल भर में आई बाढ़ में उनका घर नदी में पूरी तरह से बह गया गया। उन्हें के साथ कई लोगों का घर भी नदी के कटान के कारण बह गया था। अब वह नदी किनारे ही एक फूस मकान बनाकर रहते हैं। जहां पर उन्हें कई तरह के खतरे हैं। प्रशासन के पास इन्होंने कई बार गुहार भी लगाई गई लेकिन जिले का कोई आला अधिकारी उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है।


Conclusion:वही जब इस मामले में हमने जिलाधिकारी कृष्णा करने से बात की तो उन्होंने कहा कि इस साल उतरौला तहसील के बभनपुरवा और बलरामपुर सदर तहसील के कई गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित थे। जहां पर नदी द्वारा भारी कटान किया गया है। इन सभी गांवों के बाशिंदों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर देने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही जो लोग बेघर हुए हैं। उन्हें ₹100000 की आर्थिक सहायता भी की जाएगी।
उन्होंने इसके लिए सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह इस महीने के लास्ट तक ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करते हुए जमीन का पट्टा दिलवाने का काम करे। जो बाढ़ के कारण बेघर हो गए हैं, उन्हें हम मुख्यमंत्री आवास योजना से लाभान्वित करके घर देने का काम करेंगे।

बाईट क्रमशः :-
बुधई, ग्रामीण
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी बलरामपुर
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