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बलरामपुर: बाढ़ से प्रभावित हुए 300 से अधिक गांव, क्या बोल रहा प्रशासन

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Published : Jul 14, 2020, 9:48 AM IST

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में बारिश के कारण तराई इलाके में राप्ती नदी के साथ-साथ पहाड़ी नालों के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है. इससे से अधिक गांव प्रभावित हैं. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बारिश के कारण तराई इलाके में राप्ती नदी के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है.
बारिश के कारण तराई इलाके में राप्ती नदी के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है.

बलरामपुर: लगातार हो रही बारिश के कारण बलरामपुर जिले के तराई इलाके में राप्ती नदी के साथ-साथ पहाड़ी नालों के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है. राप्ती नदी इस वक्त अपने चेतावनी बिंदु 103.620 से तकरीबन 12 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिससे नदी के निकटवर्ती गांव अब बाढ़ के पानी और कटान से घिर गए हैं. तमाम निकटवर्ती गांव अब टापू नजर आ रहे हैं.

बता दें कि ललिया क्षेत्र के लौकहवा डीप पर तेजी से पानी बह रहा है, जिससे आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है. वहीं तुलसीपुर गौरा मार्ग पर स्थित दतरंगवा के पास बने डीप पर पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को जिला मुख्यालय से जुड़ने में समस्या हो रही है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक अमले द्वारा की गई तैयारियों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.

हर साल प्रभावित होती है 14 लाख की आबादी
बलरामपुर जिले की तकरीबन 14 लाख की आबादी हर साल बाढ़ के कारण किसी न किसी तरह से प्रभावित होती है. जिला प्रशासन बाढ़ की समस्याओं से राहत दिलाने के लिए मनरेगा, बाढ़ खंड और सिंचाई विभाग के माध्यम से बांध रिपेयरिंग, गांवों के जियो ट्यूब, बालू की बोरियां और अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से कटान रोकने का जुगाड़ करता है, जिसमें इन चीजों को लेकर करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं. इसके बाद नतीजा सिफर निकलता है.

300 से अधिक गांव प्रभावित
जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण राप्ती नदी और पहाड़ी नालों में उफान आया है. ललिया, शिवपुरा, महराजगंज तराई, हर्रैया सतघरवा, तुलसीपुर और उतरौला क्षेत्र के 300 से अधिक गांव प्रभावित हैं, जबकि राप्ती नदी और नालों के किनारे आने वाले तकरीबन 150 गांवों में बाढ़ अपनी विभीषिका दिखाने के लिए हुंकार भर रहा है. इस दौरान ग्रामीण न तो प्रशासनिक अमले की तैयारियों से खुश हैं और न ही उन्हें फौरी तौर पर किसी तरह की सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है.

बारिश के कारण तराई इलाके में राप्ती नदी के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है.

हर साल तबाह होती हैं फसलें
बलरामपुर-शिवपुरा मार्ग पर स्थित लौकहवा डिप पर सड़क से तकरीबन 3 से 4 फीट की ऊंचाई से पानी बह रहा है, जबकि डिप के बीचों-बीच में यह स्थिति और ज्यादा विकट हो जाती है. हरैया सतघरवा, ललिया, शिवपुरा, महराजगंज तराई और कोडरी घाट से सटे तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक गांवों में जलभराव की समस्या हो गई है. गांव दर गांव टापू में तब्दील होते जा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि तमाम तरह की समस्याएं बाढ़ के कारण पैदा होती हैं. हर साल इस क्षेत्र की हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो जाती है. हम लोग हर साल धान की रोपाई करते हैं, लेकिन हर साल बाढ़ से तबाह हो जाती है.

जिला प्रशासन समस्या से निपटने के लिए तैयार
डीएम कृष्णा करुणेश का कहना है कि जनपद में 34 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बड़े पैमाने पर राप्ती नदी कटान करती है. इनमें से 26 अति संवेदनशील जगहों की पहचान जांच के माध्यम से की गई थी. इन सभी जगहों पर पिछले एल साल से जिला प्रशासन ने बाढ़ रोकने के लिए तमाम तरह की व्यवस्थाएं की हैं. जहां-जहां टेंपरेरी तौर पर बाढ़ की समस्या पैदा हो रही है, वहां-वहां पर तहसील प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है.

डीएम ने कहा कि इसके साथ ही तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नजर रखने के लिए नियुक्त किया गया है, जिससे किसी भी तरह की जनहानि या धन हानि को रोका जा सके. जिला प्रशासन बाढ़ से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से निपटने के लिए बिलकुल तैयार है.

बलरामपुर: लगातार हो रही बारिश के कारण बलरामपुर जिले के तराई इलाके में राप्ती नदी के साथ-साथ पहाड़ी नालों के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है. राप्ती नदी इस वक्त अपने चेतावनी बिंदु 103.620 से तकरीबन 12 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिससे नदी के निकटवर्ती गांव अब बाढ़ के पानी और कटान से घिर गए हैं. तमाम निकटवर्ती गांव अब टापू नजर आ रहे हैं.

बता दें कि ललिया क्षेत्र के लौकहवा डीप पर तेजी से पानी बह रहा है, जिससे आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है. वहीं तुलसीपुर गौरा मार्ग पर स्थित दतरंगवा के पास बने डीप पर पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को जिला मुख्यालय से जुड़ने में समस्या हो रही है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक अमले द्वारा की गई तैयारियों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.

हर साल प्रभावित होती है 14 लाख की आबादी
बलरामपुर जिले की तकरीबन 14 लाख की आबादी हर साल बाढ़ के कारण किसी न किसी तरह से प्रभावित होती है. जिला प्रशासन बाढ़ की समस्याओं से राहत दिलाने के लिए मनरेगा, बाढ़ खंड और सिंचाई विभाग के माध्यम से बांध रिपेयरिंग, गांवों के जियो ट्यूब, बालू की बोरियां और अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से कटान रोकने का जुगाड़ करता है, जिसमें इन चीजों को लेकर करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं. इसके बाद नतीजा सिफर निकलता है.

300 से अधिक गांव प्रभावित
जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण राप्ती नदी और पहाड़ी नालों में उफान आया है. ललिया, शिवपुरा, महराजगंज तराई, हर्रैया सतघरवा, तुलसीपुर और उतरौला क्षेत्र के 300 से अधिक गांव प्रभावित हैं, जबकि राप्ती नदी और नालों के किनारे आने वाले तकरीबन 150 गांवों में बाढ़ अपनी विभीषिका दिखाने के लिए हुंकार भर रहा है. इस दौरान ग्रामीण न तो प्रशासनिक अमले की तैयारियों से खुश हैं और न ही उन्हें फौरी तौर पर किसी तरह की सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है.

बारिश के कारण तराई इलाके में राप्ती नदी के जलस्तर में बड़े पैमाने पर उफान आ रहा है.

हर साल तबाह होती हैं फसलें
बलरामपुर-शिवपुरा मार्ग पर स्थित लौकहवा डिप पर सड़क से तकरीबन 3 से 4 फीट की ऊंचाई से पानी बह रहा है, जबकि डिप के बीचों-बीच में यह स्थिति और ज्यादा विकट हो जाती है. हरैया सतघरवा, ललिया, शिवपुरा, महराजगंज तराई और कोडरी घाट से सटे तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक गांवों में जलभराव की समस्या हो गई है. गांव दर गांव टापू में तब्दील होते जा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि तमाम तरह की समस्याएं बाढ़ के कारण पैदा होती हैं. हर साल इस क्षेत्र की हजारों बीघा जमीन जलमग्न हो जाती है. हम लोग हर साल धान की रोपाई करते हैं, लेकिन हर साल बाढ़ से तबाह हो जाती है.

जिला प्रशासन समस्या से निपटने के लिए तैयार
डीएम कृष्णा करुणेश का कहना है कि जनपद में 34 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बड़े पैमाने पर राप्ती नदी कटान करती है. इनमें से 26 अति संवेदनशील जगहों की पहचान जांच के माध्यम से की गई थी. इन सभी जगहों पर पिछले एल साल से जिला प्रशासन ने बाढ़ रोकने के लिए तमाम तरह की व्यवस्थाएं की हैं. जहां-जहां टेंपरेरी तौर पर बाढ़ की समस्या पैदा हो रही है, वहां-वहां पर तहसील प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है.

डीएम ने कहा कि इसके साथ ही तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नजर रखने के लिए नियुक्त किया गया है, जिससे किसी भी तरह की जनहानि या धन हानि को रोका जा सके. जिला प्रशासन बाढ़ से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से निपटने के लिए बिलकुल तैयार है.

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