बलरामपुर: भारत एक विविध परंपराओं का देश है. यहां पर विविध मान्यताओं के अनुसार, रीति-रिवाजों को माना जाता है, जिसके कारण तमाम क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट पहचान है. ऐसी ही विशिष्ट पहचान लिए जिले में 51 शक्तिपीठ में से एक देवीपाटन है. यहां पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां सती का पाटंबर गिरा था.
हालांकि हिन्दू परिवारों में बच्चों की शादी देवस्थानों में कारने की परंपरा रही है, लेकिन शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.
जानिए क्या है मान्यता
- मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर नगर में देवीपाटन शक्तिपीठ स्थित है.
- यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है.
- मान्यता है कि यहां मां सती का पाटंबर गिरा था.
- यहां दर्शन करने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं.
- परिवारिक मनौती वास्ता के चलते कई घरों के लोग अपने बच्चों की शादी विवाह मंदिर,देवस्थान पर कराते हैं.
- शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.
दर्शन मात्र से दांपत्य जीवन में रहती है खुशहाली
वैवाहिक रस्मों के लिए सदियों से यहां पर एल परंपरा चली आ रही है. जिस कारण से यहां के लोगों मंदिर परिसर में थोड़ी ही दूर पर एक कुएं की खुदाई करवाई थी,उस समय काल में इस स्थान को पूजा पाठ से सिद्ध करवाया गया था,और इसे वैवाहिक स्थल का दर्जा दिया था,तभी से यही पर लोग विवाह की रस्में पूरी करते हैं.वैवाहिक मंशा से शक्तिपीठ पहुंच रहे वर-वधू दोनों पक्ष इसी विवाहित कुएं पर विधि-विधान से विवाह कार्य संपन्न करवा कर मां पाटेश्वरी का दर्शन करके अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं.
इस कुएं को लेकर जोमान्यताएं है वो यह है कि जो मंदिर परिसर है वो कुआंरा है. मंदिर परिसर से दूर एक कुआं है उसी परिसर पर सबका विवाह संपन्न होता है. क्योंकि यहां सती माता की भ्रूण गिरा था. इसलिए यहां विवाह का कार्यक्रम नहीं होता है.
मातेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, पुरोहित, ग्राम कुल