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जानिए क्या है सिद्ध शक्तिपीठ देवी पाटन की लोक जीवन में मान्यता और महत्ता

यूपी के बलरामपुर में स्थित शक्तिपीठ देवीपाटन स्थित है. यहां वर्षों से एक परंपरा चली आ रही है. मान्यता है कि यहां मंदिर परिसर में मां सती का पाटंबर गिरा था. इसलिए यहां मंदिर परिसर में आज तक कोई विवाह नहीं करवाया गया.

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Published : Jul 14, 2019, 11:32 AM IST

देवीपाटन शक्तिपीठ

बलरामपुर: भारत एक विविध परंपराओं का देश है. यहां पर विविध मान्यताओं के अनुसार, रीति-रिवाजों को माना जाता है, जिसके कारण तमाम क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट पहचान है. ऐसी ही विशिष्ट पहचान लिए जिले में 51 शक्तिपीठ में से एक देवीपाटन है. यहां पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां सती का पाटंबर गिरा था.

बलरामपुर में स्थित है शक्तिपीठ देवीपाटन.

हालांकि हिन्दू परिवारों में बच्चों की शादी देवस्थानों में कारने की परंपरा रही है, लेकिन शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.

जानिए क्या है मान्यता

  • मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर नगर में देवीपाटन शक्तिपीठ स्थित है.
  • यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है.
  • मान्यता है कि यहां मां सती का पाटंबर गिरा था.
  • यहां दर्शन करने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं.
  • परिवारिक मनौती वास्ता के चलते कई घरों के लोग अपने बच्चों की शादी विवाह मंदिर,देवस्थान पर कराते हैं.
  • शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.


दर्शन मात्र से दांपत्य जीवन में रहती है खुशहाली


वैवाहिक रस्मों के लिए सदियों से यहां पर एल परंपरा चली आ रही है. जिस कारण से यहां के लोगों मंदिर परिसर में थोड़ी ही दूर पर एक कुएं की खुदाई करवाई थी,उस समय काल में इस स्थान को पूजा पाठ से सिद्ध करवाया गया था,और इसे वैवाहिक स्थल का दर्जा दिया था,तभी से यही पर लोग विवाह की रस्में पूरी करते हैं.वैवाहिक मंशा से शक्तिपीठ पहुंच रहे वर-वधू दोनों पक्ष इसी विवाहित कुएं पर विधि-विधान से विवाह कार्य संपन्न करवा कर मां पाटेश्वरी का दर्शन करके अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं.

इस कुएं को लेकर जोमान्यताएं है वो यह है कि जो मंदिर परिसर है वो कुआंरा है. मंदिर परिसर से दूर एक कुआं है उसी परिसर पर सबका विवाह संपन्न होता है. क्योंकि यहां सती माता की भ्रूण गिरा था. इसलिए यहां विवाह का कार्यक्रम नहीं होता है.
मातेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, पुरोहित, ग्राम कुल

बलरामपुर: भारत एक विविध परंपराओं का देश है. यहां पर विविध मान्यताओं के अनुसार, रीति-रिवाजों को माना जाता है, जिसके कारण तमाम क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट पहचान है. ऐसी ही विशिष्ट पहचान लिए जिले में 51 शक्तिपीठ में से एक देवीपाटन है. यहां पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां सती का पाटंबर गिरा था.

बलरामपुर में स्थित है शक्तिपीठ देवीपाटन.

हालांकि हिन्दू परिवारों में बच्चों की शादी देवस्थानों में कारने की परंपरा रही है, लेकिन शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.

जानिए क्या है मान्यता

  • मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर नगर में देवीपाटन शक्तिपीठ स्थित है.
  • यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है.
  • मान्यता है कि यहां मां सती का पाटंबर गिरा था.
  • यहां दर्शन करने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं.
  • परिवारिक मनौती वास्ता के चलते कई घरों के लोग अपने बच्चों की शादी विवाह मंदिर,देवस्थान पर कराते हैं.
  • शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है.


दर्शन मात्र से दांपत्य जीवन में रहती है खुशहाली


वैवाहिक रस्मों के लिए सदियों से यहां पर एल परंपरा चली आ रही है. जिस कारण से यहां के लोगों मंदिर परिसर में थोड़ी ही दूर पर एक कुएं की खुदाई करवाई थी,उस समय काल में इस स्थान को पूजा पाठ से सिद्ध करवाया गया था,और इसे वैवाहिक स्थल का दर्जा दिया था,तभी से यही पर लोग विवाह की रस्में पूरी करते हैं.वैवाहिक मंशा से शक्तिपीठ पहुंच रहे वर-वधू दोनों पक्ष इसी विवाहित कुएं पर विधि-विधान से विवाह कार्य संपन्न करवा कर मां पाटेश्वरी का दर्शन करके अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं.

इस कुएं को लेकर जोमान्यताएं है वो यह है कि जो मंदिर परिसर है वो कुआंरा है. मंदिर परिसर से दूर एक कुआं है उसी परिसर पर सबका विवाह संपन्न होता है. क्योंकि यहां सती माता की भ्रूण गिरा था. इसलिए यहां विवाह का कार्यक्रम नहीं होता है.
मातेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, पुरोहित, ग्राम कुल

Intro:भारत एक विविध परंपराओं का देश है। यहां पर विविध मान्यताओं के अनुसार रीति-रिवाजों को माना जाता है। जिसके कारण तमाम क्षेत्रों की अपनी विशिष्ट पहचान है। यहां सदियों से चली आ रही एक अनूठी परंपरा है, जो विवाहित जोड़ों द्वारा देवीपाटन शक्तिपीठ के किला परिसर में निभाई जाती है।


Body:बलरामपुर जिले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर तुलसीपुर नगर में 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ देवी पाटन स्थित है। यहां पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां सती का पट गिरा था। यह दर्शन पूजन के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से श्रद्धालुओं का हुजूम हमेशा लगा रहता है परिवारिक मनौती वास्ता के चलते कई घरों के लोग अपने बच्चों की शादी विवाह मंदिर व देवस्थान ऊपर कराते हैं। लेकिन शक्तिपीठ देवीपाटन में आज तक एक भी विवाह नहीं करवाया गया, क्योंकि यह शक्तिपीठ अविवाहित है।
मंदिर पर विवाह का आशीर्वाद लेने की इच्छा से इस शक्तिपीठ पर तो लोग पहुंचते हैं। लेकिन यहां पर कोई भी अपने बच्चों की शादी नहीं करवाता है। श्रद्धालुओं की एक अनूठी परंपरा है, जिससे यहां पर किला क्षेत्र में रहने वाले सभी भाषणों को गुजरना पड़ता है। शक्तिपीठ के बारे में मान्यता है कि जा स्थान पूरी तरह से अविवाहित है। इस स्थान पर शादी विवाह कभी करवाई ही नहीं जा सकती।
वैवाहिक रस्मों के लिए सदियों से यहां पर एल परंपरा चली आ रही है। जिस कारण से यहां के लोगों मंदिर परिसर में थोड़ी ही दूर पर एक कुएं की खुदाई करवाई थी। उस समय काल में इस स्थान को पूजा पाठ से इसे सिद्ध करवाया गया था। और इसे वैवाहिक स्थल का दर्जा दिया था। तभी से यही पर लोग विवाह की रस्में पूरी करते हैं। वैवाहिक मंशा से शक्तिपीठ पहुंच रहे वर-वधू दोनों पक्ष इसी विवाहित कुए पर विधि-विधान न से विवाह कार्य संपन्न करवा कर मां पाटेश्वरी का दर्शन करके अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं।


Conclusion:इस बारे में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि स्वामी दयाल गुप्ता बताते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके बारे में किसी को नहीं पता कि इसकी शुरुआत कब हुई। लेकिन पीठ के आसपास रह रहे लोग अपने लड़के-लड़कियों का विवाह अपने घरों में ना करवाकर इसी स्थल पर करवाते हैं। यहां पर मंडप बनता है। यहीं पर फेरे होते हैं। वह अन्य सभी वैवाहिक रस्मों रिवाज को पूरी रिलीज से निभाया जाता है।

बाईट 01 :- ग्राम कुल पुरोहित मातेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
बाईट 02 :- प्रधान प्रतिनिधि स्वामी दयाल गुप्ता, देवीपाटन ग्रामसभा
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