बलरामपुर: घरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने और लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का दावा करने वाला बिजली विभाग खुद अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को अंधेरे में ढकेल रहा है. बिजली के खंभों पर चढ़े बिजली कर्मचारी अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं. बिजली विभाग अपने कर्मचारियों को सेफ्टी किट तक मुहैया नहीं करा पा रहा है. कर्मचारियों को सेफ्टी किट के नाम पर सिर्फ दिलासा मिलता है.
सेफ्टी किट के नाम पर मिलता है दिलासा
जिले के 4331 मजरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने का दावा करने वाला बिजली विभाग अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को भ्रष्टाचार की आग में झोंककर सेफ्टी किट तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसके लिए टेंडर पास नहीं किया गया है. टेंडर भी पास हुआ, बजट भी मिला लेकिन किसी लाइन मैन या कर्मचारी तक पिछले कई सालों से एक भी सेफ्टी किट नहीं पहुंच सका. हर साल कर्मचारियों को केवल दिलासा दिया जाता है.
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कई बार पास हुआ ये सेफ्टी किट टेंडर
एक सेफ्टी किट में वह तमाम चीजें होती है जिसके जरिए किसी कर्मी को करंट न लगे या खंभों पर चढ़ने के दौरान वह पूरी तरह से लॉक हो. वह खंभों से गिरे न और उसकी सुरक्षा बरकरार रहे. एक सेफ्टी किट में सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, चैन (दो या तीन लाइन के तारों की शॉर्टिंग के लिए), प्लास, ग्लब्स, जूता, यूनिफॉर्म (जो शॉक अब्जॉर्बिंग) होता है.
बिजली विभाग नहीं उतर पा रहा सुरक्षा मानकों पर खरा
जिले में तीन विद्युत प्रखण्ड हैं. बलरामपुर, तुलसीपुर, उतरौला में 318 संविदाकर्मी तैनात हैं. तकरीबन 200 की संख्या में सरकारी कर्मी तैनात हैं. जिन पर लोगों को निर्बाध बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी है. ये कर्मी अपनी जिम्मेदारी तो निभा रहे हैं लेकिन बिजली विभाग अपने ही द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है.
आज तक एक नहीं मिला सेफ्टी किट
कर्मचारी हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि हम लोगों को बिना फैसटिकट के ही खंभों पर चढ़ना पड़ता है. कई बार तो जरूरी सामान भी नहीं मिलते. फिर भी 11000 और 33000 की लाइनों पर चढ़कर बिजली सही करनी पड़ती है. कर्मचारियों का तो यहां तक दावा है कि हमें सेफ्टी किट उपलब्ध करवाने के पिछले वर्षों में चार बार टेंडर कराया जा चुका है.
लेकिन किसी भी कर्मचारी को आज तक एक भी सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है. विभाग के लोग बताते है कि एक सेफ्टी किट में तकरीबन आधा दर्जन चीजें होती हैं. उसकी लागत डेढ़ से दो हजार पड़ती है. फिर भी विभाग सेफ्टी किट मुहैया न करवाकर तकरीबन 500 कर्मचारियों की जिंदगी से खेलने का काम कर रहा है.
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अभी हाल ही में बिजली विभाग संविदा कर्मी के तौर पर ज्वाइन किया है. लेकिन कोई भी सेफ्टी किट हमें अभी तक मुहैया नहीं करवाई गई है. मेरी जानकारी में अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन खंभों पर चढ़कर काम करना वाकई में हादसों को दावत देने जैसा है.
-राजकुमार, कर्मी
सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती. में सर्विस प्रोवाइडर से बात करूंगा और उन्हें लेटर लिखूंगा कि जल्द से जल्द कर्मियों को सेफ्टी किट उपलब्ध करवाई जाए.
-ललित कुमार, अधीक्षण अभियंता, विद्युत विभाग