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बलरामपुर: बिना सेफ्टी किट के मौत के खंभों पर चढ़ते हैं बिजली कर्मचारी

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Published : Jan 2, 2020, 8:14 PM IST

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बिजली विभाग में टेंडर पास होने के बाद भी कर्मचारियों को सेफ्टी किट नहीं मिल पाया है. ये कर्मी अपनी जिम्मेदारीनिभा रहे हैं, लेकिन बिजली विभाग अपने ही द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है.

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कर्मचारियों को नहीं मिल रहा सेफ्टी किट.

बलरामपुर: घरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने और लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का दावा करने वाला बिजली विभाग खुद अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को अंधेरे में ढकेल रहा है. बिजली के खंभों पर चढ़े बिजली कर्मचारी अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं. बिजली विभाग अपने कर्मचारियों को सेफ्टी किट तक मुहैया नहीं करा पा रहा है. कर्मचारियों को सेफ्टी किट के नाम पर सिर्फ दिलासा मिलता है.

कर्मचारियों को नहीं मिल रहा सेफ्टी किट.


सेफ्टी किट के नाम पर मिलता है दिलासा
जिले के 4331 मजरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने का दावा करने वाला बिजली विभाग अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को भ्रष्टाचार की आग में झोंककर सेफ्टी किट तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसके लिए टेंडर पास नहीं किया गया है. टेंडर भी पास हुआ, बजट भी मिला लेकिन किसी लाइन मैन या कर्मचारी तक पिछले कई सालों से एक भी सेफ्टी किट नहीं पहुंच सका. हर साल कर्मचारियों को केवल दिलासा दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें-कोटा में बच्चों की मौत पर मायावती का प्रियंका पर हमला, कहा- सतर्क रहे जनता

कई बार पास हुआ ये सेफ्टी किट टेंडर
एक सेफ्टी किट में वह तमाम चीजें होती है जिसके जरिए किसी कर्मी को करंट न लगे या खंभों पर चढ़ने के दौरान वह पूरी तरह से लॉक हो. वह खंभों से गिरे न और उसकी सुरक्षा बरकरार रहे. एक सेफ्टी किट में सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, चैन (दो या तीन लाइन के तारों की शॉर्टिंग के लिए), प्लास, ग्लब्स, जूता, यूनिफॉर्म (जो शॉक अब्जॉर्बिंग) होता है.

बिजली विभाग नहीं उतर पा रहा सुरक्षा मानकों पर खरा
जिले में तीन विद्युत प्रखण्ड हैं. बलरामपुर, तुलसीपुर, उतरौला में 318 संविदाकर्मी तैनात हैं. तकरीबन 200 की संख्या में सरकारी कर्मी तैनात हैं. जिन पर लोगों को निर्बाध बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी है. ये कर्मी अपनी जिम्मेदारी तो निभा रहे हैं लेकिन बिजली विभाग अपने ही द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है.

आज तक एक नहीं मिला सेफ्टी किट
कर्मचारी हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि हम लोगों को बिना फैसटिकट के ही खंभों पर चढ़ना पड़ता है. कई बार तो जरूरी सामान भी नहीं मिलते. फिर भी 11000 और 33000 की लाइनों पर चढ़कर बिजली सही करनी पड़ती है. कर्मचारियों का तो यहां तक दावा है कि हमें सेफ्टी किट उपलब्ध करवाने के पिछले वर्षों में चार बार टेंडर कराया जा चुका है.
लेकिन किसी भी कर्मचारी को आज तक एक भी सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है. विभाग के लोग बताते है कि एक सेफ्टी किट में तकरीबन आधा दर्जन चीजें होती हैं. उसकी लागत डेढ़ से दो हजार पड़ती है. फिर भी विभाग सेफ्टी किट मुहैया न करवाकर तकरीबन 500 कर्मचारियों की जिंदगी से खेलने का काम कर रहा है.

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अभी हाल ही में बिजली विभाग संविदा कर्मी के तौर पर ज्वाइन किया है. लेकिन कोई भी सेफ्टी किट हमें अभी तक मुहैया नहीं करवाई गई है. मेरी जानकारी में अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन खंभों पर चढ़कर काम करना वाकई में हादसों को दावत देने जैसा है.
-राजकुमार, कर्मी

सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती. में सर्विस प्रोवाइडर से बात करूंगा और उन्हें लेटर लिखूंगा कि जल्द से जल्द कर्मियों को सेफ्टी किट उपलब्ध करवाई जाए.
-ललित कुमार, अधीक्षण अभियंता, विद्युत विभाग

बलरामपुर: घरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने और लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का दावा करने वाला बिजली विभाग खुद अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को अंधेरे में ढकेल रहा है. बिजली के खंभों पर चढ़े बिजली कर्मचारी अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं. बिजली विभाग अपने कर्मचारियों को सेफ्टी किट तक मुहैया नहीं करा पा रहा है. कर्मचारियों को सेफ्टी किट के नाम पर सिर्फ दिलासा मिलता है.

कर्मचारियों को नहीं मिल रहा सेफ्टी किट.


सेफ्टी किट के नाम पर मिलता है दिलासा
जिले के 4331 मजरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने का दावा करने वाला बिजली विभाग अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को भ्रष्टाचार की आग में झोंककर सेफ्टी किट तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसके लिए टेंडर पास नहीं किया गया है. टेंडर भी पास हुआ, बजट भी मिला लेकिन किसी लाइन मैन या कर्मचारी तक पिछले कई सालों से एक भी सेफ्टी किट नहीं पहुंच सका. हर साल कर्मचारियों को केवल दिलासा दिया जाता है.

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कई बार पास हुआ ये सेफ्टी किट टेंडर
एक सेफ्टी किट में वह तमाम चीजें होती है जिसके जरिए किसी कर्मी को करंट न लगे या खंभों पर चढ़ने के दौरान वह पूरी तरह से लॉक हो. वह खंभों से गिरे न और उसकी सुरक्षा बरकरार रहे. एक सेफ्टी किट में सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, चैन (दो या तीन लाइन के तारों की शॉर्टिंग के लिए), प्लास, ग्लब्स, जूता, यूनिफॉर्म (जो शॉक अब्जॉर्बिंग) होता है.

बिजली विभाग नहीं उतर पा रहा सुरक्षा मानकों पर खरा
जिले में तीन विद्युत प्रखण्ड हैं. बलरामपुर, तुलसीपुर, उतरौला में 318 संविदाकर्मी तैनात हैं. तकरीबन 200 की संख्या में सरकारी कर्मी तैनात हैं. जिन पर लोगों को निर्बाध बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी है. ये कर्मी अपनी जिम्मेदारी तो निभा रहे हैं लेकिन बिजली विभाग अपने ही द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है.

आज तक एक नहीं मिला सेफ्टी किट
कर्मचारी हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि हम लोगों को बिना फैसटिकट के ही खंभों पर चढ़ना पड़ता है. कई बार तो जरूरी सामान भी नहीं मिलते. फिर भी 11000 और 33000 की लाइनों पर चढ़कर बिजली सही करनी पड़ती है. कर्मचारियों का तो यहां तक दावा है कि हमें सेफ्टी किट उपलब्ध करवाने के पिछले वर्षों में चार बार टेंडर कराया जा चुका है.
लेकिन किसी भी कर्मचारी को आज तक एक भी सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है. विभाग के लोग बताते है कि एक सेफ्टी किट में तकरीबन आधा दर्जन चीजें होती हैं. उसकी लागत डेढ़ से दो हजार पड़ती है. फिर भी विभाग सेफ्टी किट मुहैया न करवाकर तकरीबन 500 कर्मचारियों की जिंदगी से खेलने का काम कर रहा है.

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अभी हाल ही में बिजली विभाग संविदा कर्मी के तौर पर ज्वाइन किया है. लेकिन कोई भी सेफ्टी किट हमें अभी तक मुहैया नहीं करवाई गई है. मेरी जानकारी में अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन खंभों पर चढ़कर काम करना वाकई में हादसों को दावत देने जैसा है.
-राजकुमार, कर्मी

सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती. में सर्विस प्रोवाइडर से बात करूंगा और उन्हें लेटर लिखूंगा कि जल्द से जल्द कर्मियों को सेफ्टी किट उपलब्ध करवाई जाए.
-ललित कुमार, अधीक्षण अभियंता, विद्युत विभाग

Intro:(मोजो फ़ोन खराब होने के कारण यह विशेष खबर रैप से भेजी जा रही है। मोजो में खराबी की सूचना उच्च अधिकारियों को मेल के माध्यम से दी जा चुकी है। कृपया संज्ञान लें। )




वीओ :- घरों तक निर्बाध बिजली पहुंचाने और लोगों के जिंदगी में रोशनी भरने का दावा करने वाला बिजली विभाग खुद अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को अंधेरे में ढकेल रहा है. खंभों दर खंभों पर चढ़े बिजली कर्मचारी अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर कर न केवल अपनी जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं बल्कि उनको किसी अनहोनी के बाद किसी तरह की आर्थिक सहायता भी नहीं मिलती।
कर्मचारी बताते हैं कि हम लोगों को बिना फैसटिकट के ही खंभों पर चढ़ना पड़ता है। कई बार तो जरूरी साजो-सामान भी नहीं मिलते फिर भी 11000 और 33000 की लाइनों पर चढ़कर बिजली सही करनी पड़ती है। कर्मचारियों का तो यहां तक दावा है कि हमें सेफ्टी किट उपलब्ध करवाने के पिछले वर्षों में चार बार टेंडर कराया जा चुका है। लेकिन किसी भी कर्मचारी को आज तक एक भी सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है। विभाग के लोग बताते हैं कि एक सेफ्टी किट में तकरीबन आधा दर्जन चीजें होती हैं। उसकी लागत डेढ़ से दो हजार पड़ती है। फिर भी विभाग सेफ्टी किट मुहैया ना करवाकर तकरीबन 500 कर्मचारियों की जिंदगी से खेलने का काम करता है।Body:वेब कॉपी :- बलरामपुर जिले के 4331 मजरों तक निर्बाध बिजली पहुँचाने का दावा करने वाला अपने ही कर्मचारियों के भविष्य को भ्रष्टाचार की आग झोंककर सेफ्टी किट तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए टेंडर नहीं किया गया। टेंडर भी हुआ, बजट भी मिला लेकिन किसी लाइन मैन या कर्मचारी तक पिछले कई सालों से एक भी सेफ्टी किट नहीं पहुंच सका। हर साल कर्मचारियों को केवल दिलासा दिया जाता है और कुछ नहीं।
जिले में तीन विद्युत प्रखड हैं। बलरामपुर, तुलसीपुर, उतरौला में 318 संविदा कर्मी तैनात है तो तकरीबन 200 की संख्या में सरकारी कर्मी तैनात हैं। जिनपर लोगों को निर्बाध बिजली पहुँचाने की जिम्मेदारी है। ये कर्मी अपनी जिम्मेदारी तो निभा रहे हैं। लेकिन बिजली विभाग अपने ही द्वारा तय किए सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है।Conclusion:बलरामपुर में संविदा कर्मी के तौर पर काम करने वाले हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि आज तक 6 वर्षों में इन्हें एक भी बार भी सेफ्टी किट मुहैया नहीं करवाया गया है। वह आगे कहते हैं कि पिछले सालों में चार बार टेंडर करवाया जा चुका है लेकिन आज तक कर्मियों को सेफ्टी किट उपलब्ध तक नहीं हो सका है।
वह बताते हैं कि उनके ससुर रवि प्रकाश श्रीवास्तव ने 17 साल लगभग बिजली विभाग में काम किया और एक दिन काम करते हुए ही करंट लगने के कारण उनका हाथ झुलस गया। वह हाथ काटना पड़ा और नौ-दस महीने के भीतर ही उनकी मौत हो गई। तब से लेकर आज तक हम लोग मुआवजे के लिए दौड़ रहे हैं लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं उपलब्ध करवाया जा सका है। विभाग द्वारा कर्मियों को आर्थिक तौर पर शोषित किया जाता है।

वही राजकुमार बताते हैं कि मैंने अभी हाल ही में बिजली विभाग संविदा कर्मी के तौर पर ज्वाइन किया है। लेकिन कोई भी सेफ्टी किट हमें अभी तक मुहैया नहीं करवाई गई है। वह कहते हैं कि मेरी जानकारी में अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना तो नहीं हुई लेकिन खंभों पर चढ़कर काम करना वाकई में हादसों को दावत देने जैसा है।
वही, बलरामपुर-श्रावस्ती के अधीक्षण अभियंता ललित कुमार से जब सेफ्टी किट उपलब्ध करवाने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती। मैं सर्विस प्रोवाइडर से बात करूंगा और उन्हें लेटर लिख लूंगा कि जल्द से जल्द कर्मियों को शक्ति के उपलब्ध करवाई जाए।
हम आपको बताते चलें कि एक सेफ्टी किट में वह तमाम चीजें होती है जिसके जरिए किसी कर्मी को करंट ना लगे या खंभों पर चढ़ने के दौरान वह पूरी तरह से लॉक हो वह खंभों से गिरे ना और उसकी सुरक्षा बरकरार रहे। एक सेफ्टी किट में सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, चैन (दो या तीन लाइन के तारों की शॉर्टिंग के लिए), पलास, ग्लब्स, जूता, यूनिफॉर्म (जो शॉक अब्जॉर्बिंग होता है) होता है।

बाईट क्रमशः :-
हिमांशु श्रीवास्तव, कर्मी
राजकुमार, कर्मी,
ललित कुमार, अधीक्षण अभियंता, विद्युत विभाग
योगेंद्र त्रिपाठी, 9839325432
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