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श्रावस्ती लोकसभा सीट: कभी था भाजपा का गढ़, इस बार मिली करारी हार - bjp's reason of losing in sravasti

श्रावस्ती लोकसभा सीट, जहां किसी समय भाजपा का पांव जमा हुआ था, लेकिन आज की स्थति कुछ और ही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा की हार का कारण स्पष्ट होता है.

वरिष्ठ पत्रकार सलीम सिद्दीकी
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Published : May 25, 2019, 8:50 PM IST

बलरामपुर : पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के अजेय नेता नरेंद्र मोदी का जादू एक बार फिर से सिर चढ़कर बोला. लेकिन भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के गढ़ कहे जाने वाले बलरामपुर सीट श्रावस्ती लोकसभा सीट में भाजपा खुद को बचाने में नाकामयाब रही. जीत का अंतर भले ही कम हो, लेकिन हर गली चौराहे पर चर्चा यहीं है कि पूर्व सांसद व भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा को उनके ही अपनों ने भीतर घात करके चुनाव हरा दिया.

चुनावी मुद्दे पर चर्चा करते वरिष्ठ पत्रकार
  • श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की हार का कारण भीतरघात है. मतों के प्रतिशत पर नजर डालें तो कांग्रेस के प्रत्याशी ने भाजपा को करारी मात दी.
  • लोकसभा के गठन के लिए आए चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दद्दन मिश्रा को कुल 4,36,451 वोट मिले और जबकि इन्हें हराने वाले बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार राम शिरोमणि वर्मा को 4,41,771 वोट मिले.
  • वहीं अगर कांग्रेस से प्रत्याशी धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू को 58,042 मतों की प्राप्ती हुई.

वरिष्ठ पत्रकार सलीम सिद्दीकी ने ईटीवी से कहा कि चुनावों को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है. पहला राष्ट्रीय स्तर का हिस्सा है, वहीं दूसरा क्षेत्रीय स्तर का हिस्सा. इस बार उत्तर प्रदेश में जो लोकसभा चुनाव लड़ा गया उसमें दो धाराएं थी. पहली धारा भाजपा के पक्ष में थी तो दूसरी भाजपा के अगेंस्ट थी. इसी पर चुनाव पूरे प्रदेश और देश में लड़ा गया. वहीं कांग्रेस के परिपेक्ष में बात करते हुए वह कहते हैं कि पूरे देश में कांग्रेस के पास संगठन स्थल की मजबूती नहीं है. उनका बूथ लेबल का कार्यकर्ता बिल्कुल एक्टिव नहीं है. इस वजह से कांग्रेस की तो पहले भी स्थिति सही नहीं थी और इस बार भी स्थिति जस की तस बनी रह गई. हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका की मेहनत साफ दिखाई देती है, लेकिन बलरामपुर में जो वोट कांग्रेस को मिले हैं, वह धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू के अपने वोट हैं.

बलरामपुर : पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के अजेय नेता नरेंद्र मोदी का जादू एक बार फिर से सिर चढ़कर बोला. लेकिन भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के गढ़ कहे जाने वाले बलरामपुर सीट श्रावस्ती लोकसभा सीट में भाजपा खुद को बचाने में नाकामयाब रही. जीत का अंतर भले ही कम हो, लेकिन हर गली चौराहे पर चर्चा यहीं है कि पूर्व सांसद व भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा को उनके ही अपनों ने भीतर घात करके चुनाव हरा दिया.

चुनावी मुद्दे पर चर्चा करते वरिष्ठ पत्रकार
  • श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की हार का कारण भीतरघात है. मतों के प्रतिशत पर नजर डालें तो कांग्रेस के प्रत्याशी ने भाजपा को करारी मात दी.
  • लोकसभा के गठन के लिए आए चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दद्दन मिश्रा को कुल 4,36,451 वोट मिले और जबकि इन्हें हराने वाले बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार राम शिरोमणि वर्मा को 4,41,771 वोट मिले.
  • वहीं अगर कांग्रेस से प्रत्याशी धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू को 58,042 मतों की प्राप्ती हुई.

वरिष्ठ पत्रकार सलीम सिद्दीकी ने ईटीवी से कहा कि चुनावों को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है. पहला राष्ट्रीय स्तर का हिस्सा है, वहीं दूसरा क्षेत्रीय स्तर का हिस्सा. इस बार उत्तर प्रदेश में जो लोकसभा चुनाव लड़ा गया उसमें दो धाराएं थी. पहली धारा भाजपा के पक्ष में थी तो दूसरी भाजपा के अगेंस्ट थी. इसी पर चुनाव पूरे प्रदेश और देश में लड़ा गया. वहीं कांग्रेस के परिपेक्ष में बात करते हुए वह कहते हैं कि पूरे देश में कांग्रेस के पास संगठन स्थल की मजबूती नहीं है. उनका बूथ लेबल का कार्यकर्ता बिल्कुल एक्टिव नहीं है. इस वजह से कांग्रेस की तो पहले भी स्थिति सही नहीं थी और इस बार भी स्थिति जस की तस बनी रह गई. हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका की मेहनत साफ दिखाई देती है, लेकिन बलरामपुर में जो वोट कांग्रेस को मिले हैं, वह धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू के अपने वोट हैं.

Intro:पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के अजेय नेता नरेंद्र मोदी का जादू एक बार फिर से सिर चढ़कर बोला। लेकिन भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के गढ़ कहे जाने वाले बलरामपुर सीट श्रावस्ती लोकसभा सीट में भाजपा खुद को बचाने में नाकामयाब रही। जीत का अंतर भले ही कम हो लेकिन हर गली चौराहे पर चर्चा यही है कि पूर्व सांसद व भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा को उनके ही अपनों ने भीतर घात करके चुनाव हरा दिया।


Body:अगर सत्ता में लोकसभा के गठन के लिए आय चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दद्दन मिश्रा को कुल 4,36,451 वोट मिले। अगर इनके वोट परसेंटेज को देखा जाए तो वह 43.78 फ़ीसदी बैठता है। जबकि इन्हें हराने वाले बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार राम शिरोमणि वर्मा को 4,41,771 वोट मिले। अगर राम शिरोमणि वर्मा के वोट प्रतिशत को देखा जाए तो उन्हें 44.31% जनता ने पसंद किया। इस तरह राम शिरोमणि वर्मा ने दद्दन मिश्रा को कुल 5320 वोटों से मात दी।
वहीं अगर कांग्रेस से प्रत्याशी धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू के कुल वोटों की गणना की जाए तो उन्हें 58,042 के साथ 5.82 प्रतिशत लोगों ने पसंद करने का काम किया।
इसी तरह श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे सात अन्य उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र के लिए 1.72% जनता ने 17108 मतों के लिए नोटा का बटन दबाने का काम किया।
अगर जमानत जप्त हुए प्रत्याशियों में बात की जाए तो कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया से उम्मीदवार नब्बन खान को 12,662 वोट मिले, जो 1.27% होता है। वहीं शिवसेना से उम्मीदवार राजावत सिंह को 7479 वोट मिले, जो 0.75% होता है। वही, हिंदुस्तान निर्माण दल से चुनाव लड़ रहे राम कुमार पांडे को 4325 मत मिले, जो 0.43% होता है। हनुमान प्रसाद मिश्रा किसान मजदूर संघर्ष पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे, जिन्हें 3165 मत मिले, जो 0.3% होता है। इसी तरह उग्रसेन सिंह को इंडिपेंडेंट उम्मीदवार थे, उन्हें 0.711% मत ही हासिल हो सके। निर्दल उम्मीदवार बालमुकुंद को भी 0.54% मत ही हासिल हो सका। जबकि अर्जुन नाम के निर्दलीय प्रत्याशी को भी 0.35% मत हासिल हुए।


Conclusion:सबसे ज्यादा चौंकाने वाली जा रही कि भाजपा यहां से अच्छा चुनाव लड़ने के बावजूद भी हार गई इस बारे में बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सलीम सिद्दीकी ने ईटीवी से कहा कि चुनावों को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है पहला राष्ट्रीय स्तर का हिस्सा है वही दूसरा क्षेत्रीय स्तर का हिस्सा। इस बार उत्तर प्रदेश में जो लोकसभा चुनाव लड़ा गया उसमें दो धाराएं थी। पहला पहली धारा भाजपा के पक्ष में थी तो दूसरी धारा भाजपा के अगेंस्ट थी। इसी पर चुनाव पूरे प्रदेश और देश में लड़ा गया।
श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र भाजपा के द्वारा हारे जाने पर वह कहते हैं कि पूरे देश में जब मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा था तो ऐसा नहीं था कि यहां पर किसी और के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा था। असल में, भाजपा के यहां से चुनाव हारने का मुख्य कारण यह है कि प्रत्याशी दद्दन मिश्रा के अपनों ने ही भितरघात करने का काम किया है और वह अपने ही घर से (भिनगा और श्रावस्ती, जहां के मूल निवासी हैं पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा) चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे।
वहीं कांग्रेस के परिपेक्ष में बात करते हुए वह कहते हैं कि पूरे देश में कांग्रेस के पास संगठन स्थल की मजबूती नहीं है। उनका बूथ लेबल का कार्यकर्ता बिल्कुल एक्टिव नहीं है। इस वजह से कांग्रेस की तो पहले भी स्थिति सही नहीं थी और इस बार भी स्थिति जस की तस बनी रहे गई। हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका की मेहनत साफ दिखाई देती है। लेकिन बलरामपुर में जो वोट कांग्रेस को मिले हैं, वह धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू के अपने वोट हैं।
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