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बलरामपुर: प्रशासनिक अफसरों की अनदेखी से रेप पीड़िता को नहीं मिल रहा न्याय

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Published : Feb 9, 2020, 12:22 PM IST

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में माइनर रेप पीड़िता न्याय के लिए दर-दर भटक रही है. प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते पीड़िता तीन दिन से घर की तलाश में ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है.

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रेप पीड़िता को नहीं मिल रहा न्याय.

बलरामपुर: जिले में केंद्र और राज्य सरकार के कानूनों के तहत माइनर रेप पीड़िताओं को चाहे जितने भी सहायता करने का वादा किया जा रहा हो, लेकिन जमीन पर यह वादे हमेशा धराशायी होते दिखाई देते हैं. प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते रेप पीड़िता तीन दिनों से घर की तलाश में ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है. इसके बावजूद उसको न तो अधिकारियों द्वारा आवास प्रदान किया जा रहा है और न ही माइनर रेप पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाएं दी जा रही हैं.

रेप पीड़िता को नहीं मिल रहा न्याय.

मामला गौरा चौराहा थाना क्षेत्र का है, जहां पाक्सो एक्ट के अन्तर्गत मामला दर्ज होने और पीड़िता के नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति को सुपुर्द कर दिया था. जिले में बाल कल्याण समिति के भंग होने से पीड़िता को अस्थायी तौर पर 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन के संरक्षण में दे दिया गया था. इस दौरान कोई व्यवस्था न होने पर पीड़िता को पुन: 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन को सुपुर्द किया गया. जिसके बाद चाइल्ड लाइन में कोई आवासीय व्यवस्था न होने के चलते पीड़िता दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है.

किशोरी की उम्र 16 साल से कम है और चाइल्ड लाइन के नोडल अधिकारी अभी छुट्टी पर हैं. हमने उतरौला के एसडीएम जो चाइल्ड लाइन के प्रभारी अधिकारी हैं, उनसे ऑर्डर बनवा कर अपने पास 24 घंटे रखने का आदेश ले लिया था, लेकिन इससे ज्यादा अब हम नहीं रख सकते. किशोरी जिस लड़के के साथ गई थी, उसी के साथ जाना चाहती है, लेकिन यह टेक्निकल तौर पर कतई संभव नहीं है.
अमरेन्द्र कुमार, डीसी, चाइल्ड लाइन

बलरामपुर: जिले में केंद्र और राज्य सरकार के कानूनों के तहत माइनर रेप पीड़िताओं को चाहे जितने भी सहायता करने का वादा किया जा रहा हो, लेकिन जमीन पर यह वादे हमेशा धराशायी होते दिखाई देते हैं. प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते रेप पीड़िता तीन दिनों से घर की तलाश में ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है. इसके बावजूद उसको न तो अधिकारियों द्वारा आवास प्रदान किया जा रहा है और न ही माइनर रेप पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाएं दी जा रही हैं.

रेप पीड़िता को नहीं मिल रहा न्याय.

मामला गौरा चौराहा थाना क्षेत्र का है, जहां पाक्सो एक्ट के अन्तर्गत मामला दर्ज होने और पीड़िता के नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति को सुपुर्द कर दिया था. जिले में बाल कल्याण समिति के भंग होने से पीड़िता को अस्थायी तौर पर 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन के संरक्षण में दे दिया गया था. इस दौरान कोई व्यवस्था न होने पर पीड़िता को पुन: 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन को सुपुर्द किया गया. जिसके बाद चाइल्ड लाइन में कोई आवासीय व्यवस्था न होने के चलते पीड़िता दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है.

किशोरी की उम्र 16 साल से कम है और चाइल्ड लाइन के नोडल अधिकारी अभी छुट्टी पर हैं. हमने उतरौला के एसडीएम जो चाइल्ड लाइन के प्रभारी अधिकारी हैं, उनसे ऑर्डर बनवा कर अपने पास 24 घंटे रखने का आदेश ले लिया था, लेकिन इससे ज्यादा अब हम नहीं रख सकते. किशोरी जिस लड़के के साथ गई थी, उसी के साथ जाना चाहती है, लेकिन यह टेक्निकल तौर पर कतई संभव नहीं है.
अमरेन्द्र कुमार, डीसी, चाइल्ड लाइन

Intro:
केंद्र और राज्य सरकार के कानूनों के तहत माइनर रेप पीड़िताओं को चाहे जितने फायदे और सुविधाएं देने का वादा किया जा रहा हो। लेकिन जमीन पर यह वादे हमेशा धराशाई होते दिखते हैं। बलरामपुर जिले में प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते रेप पीड़िता नाबालिग लड़की तीन दिन से एक घर की तलाश में ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है। उसको ना तो अधिकारियों द्वारा आवास प्रदान किया जा रहा है और ना ही वह तमाम तरह की सुविधाएं जो माइनर रेप पीड़ितों को मिलनी चाहिए।
Body:मामला गौरा चौराहा थानाक्षेत्र जुड़ा हुआ है। यहां पाक्सो एक्ट के अन्तर्गत मामला दर्ज होने और पीड़िता के नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया था। लेकिन जिले में बाल कल्याण समिति के भंग हो जाने से पीड़िता को अस्थाई तौर पर 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन के संरक्षण में दे तो दिया गया। इस दौरान कोई व्यवस्था न होने पर पीडिता को पुन: 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया। चाइल्ड लाइन में कोई आवासीय व्यवस्था न होने के कारण पीडिता दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।

अधिकारियों की संवेदनहीनता के चलते तीन दिनो से यह रेप पीडिता चाइल्ड लाइन के कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगा रही है। Conclusion:अमरेन्द्र कुमार, डीसी, चाइल्ड लाइन ने इस मामले में बताया कि बालिका भी 16 साल से नीचे है और चाइल्डलाइन के नोडल अधिकारी अभी छुट्टी पर है। हमने उतरौला के एसडीएम जो चाइल्डलाइन के प्रभारी अधिकारी है। उन से आर्डर बनवा कर अपने पास 24 घंटे रखने का तो आदेश ले लिया था। लेकिन इससे ज्यादा हम नहीं रख सकते। बालिका जिस लड़के के साथ गई थी। उसी के साथ जाना चाहती है। लेकिन यह टेक्निकल तौर पर कतई संभव नहीं है। इसलिए हम जिलाधिकारी बलरामपुर से मिल कर उचित कार्रवाई की मांग करने जा रहे हैं।

इस मामले में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि मामला संज्ञान में है। उन्होंने कहा कि पीडिता अपने माँ-बाप के साथ जाना नहीं चाहती है। इसलिये उसे बालिका संरक्षण गृह लखनऊ भेजने का प्रयस किया जा रहा है।

बाइट क्रमशः :-
01 :- अमरेन्द्र कुमार, डीसी, चाइल्ड लाइन
2 :- अरुण कुमार शुक्ला, एडीएम, बलरामपुर
योगेन्द्र त्रिपाठी, 9839325432
(जिस लड़की ने काला दुपट्टा चेहरे पर बांध रखा है। वह रेप पीड़िता है। उसके साथ चाइल्ड लाइन के एक महिला और एक पुरुष, दो अधिकारी हैं।)
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