बलरामपुर: जिले में केंद्र और राज्य सरकार के कानूनों के तहत माइनर रेप पीड़िताओं को चाहे जितने भी सहायता करने का वादा किया जा रहा हो, लेकिन जमीन पर यह वादे हमेशा धराशायी होते दिखाई देते हैं. प्रशासनिक संवेदनहीनता के चलते रेप पीड़िता तीन दिनों से घर की तलाश में ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है. इसके बावजूद उसको न तो अधिकारियों द्वारा आवास प्रदान किया जा रहा है और न ही माइनर रेप पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाएं दी जा रही हैं.
मामला गौरा चौराहा थाना क्षेत्र का है, जहां पाक्सो एक्ट के अन्तर्गत मामला दर्ज होने और पीड़िता के नाबालिग होने के कारण पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति को सुपुर्द कर दिया था. जिले में बाल कल्याण समिति के भंग होने से पीड़िता को अस्थायी तौर पर 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन के संरक्षण में दे दिया गया था. इस दौरान कोई व्यवस्था न होने पर पीड़िता को पुन: 24 घंटे के लिये चाइल्ड लाइन को सुपुर्द किया गया. जिसके बाद चाइल्ड लाइन में कोई आवासीय व्यवस्था न होने के चलते पीड़िता दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है.
किशोरी की उम्र 16 साल से कम है और चाइल्ड लाइन के नोडल अधिकारी अभी छुट्टी पर हैं. हमने उतरौला के एसडीएम जो चाइल्ड लाइन के प्रभारी अधिकारी हैं, उनसे ऑर्डर बनवा कर अपने पास 24 घंटे रखने का आदेश ले लिया था, लेकिन इससे ज्यादा अब हम नहीं रख सकते. किशोरी जिस लड़के के साथ गई थी, उसी के साथ जाना चाहती है, लेकिन यह टेक्निकल तौर पर कतई संभव नहीं है.
अमरेन्द्र कुमार, डीसी, चाइल्ड लाइन