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बलरामपुर: तमाम परियोजनाओं के बाद भी नहीं नसीब हो रहा स्वच्छ पेयजल

यूपी के बलरामपुर जिले में स्वच्छ पेयजल एक बड़ी समस्या है. तमाम सरकारी परियोजनाएं शुरू होने के बाद भी यहां लोगों को इस समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है.

बलरामपुर में स्वच्छ पेयजल की समस्या
बलरामपुर में स्वच्छ पेयजल की समस्या
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Published : Nov 17, 2020, 2:20 AM IST

बलरामपुर: नेपाल की तलहटी में बसा बलरामपुर जिला तराई वाला इलाका है. यहां पानी की समस्या लोगों के सामने हमेशा बनी रहती है. प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम सहित उत्तर प्रदेश सरकार की हर घर नल योजना के जरिए लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने की मंशा पर काम करना शुरू किया गया. लेकिन, जिले में यह योजना परवान चढ़ती दिखाई नहीं देती. जिले में तकरीबन 80 करोड़ की लागत से 33 परियोजनाओं को लागू करने की कोशिश की गई, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान इन योजनाओं की रफ्तार धीमी हो गई. कई जगहों पर अब तक लोगों को स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हो सका है.

बलरामपुर में 33 परियोजनाओं का किया जा रहा संचालन.

दूषित जल के कारण बढ़ रही समस्याएं
बलरामपुर जिला बने 24 साल बीत चुके हैं, लेकिन लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है. तराई का इलाका होने के कारण हर साल आने वाली बाढ़ से यहां पानी की शुद्धता खराब हो रही है. इसके साथ ही पानी में आरसैनिक, अमोनिया, यूरिया, फास्फोरस व क्लोराइड जैसे हानिकारक तत्वों की बढ़ती मात्रा से लोगों में बीमारियां बढ़ रही हैं. लोगों में गैस्ट्रो, कब्ज सहित पेट व पेयजल से जुड़ी तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.

परियोजनाएं अब तक हैं अधूरी
बलरामपुर जिले के लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए 33 ग्रामसभाओं में 33 परियोजनाओं का संचालन जिला जल निगम द्वारा किया जा रहा है. इनमें से कई परियोजनाएं अभी तक अधूरी हैं. अगर इनकी लागत की बात की जाए तो ये तकरीबन 80 करोड़ है. वहीं पैसे की अनुपलब्धता व अन्य विभागों द्वारा एनओसी का न मिल पाना जल निगम के सामने बड़ी समस्या है.

इस तरह चल रही हैं परियोजना
यदि विभागीय अफसरों की मानें तो प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत चल रही तीन परियोजनाओं व राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत चल रही दो परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है. वहीं नेपाल सीमा से सटे 7 गांवों में अब तक बोरिंग का कार्य नहीं हो सका है. अधिकारियों की मानें तो इस काम के लिए सरकार द्वारा उन्हें 15 लाख रुपये का बजट ही निर्गत हो सका है.

यहां भी नहीं हो पा रही है सप्लाई
एमएसडीपी के अंतर्गत तुलसीपुर के गनवरिया, पचपेड़वा के बरगदवा, गैसड़ी के खंभरिया गांव में ओवरहेड टैंक बनाकर उससे जल पूर्ति करने का काम शुरू किया जाना था. लेकिन कहीं पाइपलाइन में दिक्कत तो कहीं पंपिंग सेट में खराबी आने की वजह से इन गांवों में अभी तक पानी की अच्छी तरह से सप्लाई नहीं हो पा रही है.

यह परियोजनाएं रह गई अधूरी
वहीं राज्य सरकार की परियोजनाओं की बात की जाए तो गैसड़ी ब्लॉक के भदुवा, शंकरनगर, तुलसीपुर ब्लॉक में माधवडीह व हड़पुर जनकपुर में परियोजनाएं अधूरी हैं.

हाल ही में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत 9 ग्राम पंचायतों के लिए 2754.82 लाख रुपये से परियोजनाओं को निर्मित करने की मंजूरी मिली है. इनमें महाराजगंज तराई, लौकहवा मदारबख्श, जयनगरा, बिशुनपुर टनटनवा, सिसहनिया, बरगदही, चैनपुर हुसैनाबादग्रन्ट, रमवापुर कला में समूह पेयजल योजना के जरिए पाइप लाइन व टंकी का काम धीरे-धीरे चल रहा है.

ये हैं राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले की 11 परियोजनाओं को 33 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. इनमें परसपुर, लौकीकला, मंगराकोहल, बेलवा व मजगवां में पाइपलाइन बनाने व ओवरहेड टैंक खड़ा करके काम पूरा कर देने का दावा जल निगम द्वारा किया जा रहा है.

ये हैं थारू इलाके में चल रही योजना
जिले के असिंचित क्षेत्रों व नेपाल सीमा से सटे 7 गांवों में भी पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना है. इनमें लालपुर, भोजपुरथारू, बनगाई, भुसहरपुरई, खदगौरा, बरहवा व कटकुईया शामिल हैं.

इन गांवों में जल निगम द्वारा अब तक महज बोरिंग ही कराई जा सकी है. इसके बाद से सारा काम अधूरा पड़ा हुआ है. अधूरे काम के पीछे अधिकारी तर्क देते हैं कि इन गांवों में काम को आगे बढ़ाने के लिए महज 15 लाख रुपये का बजट ही प्राप्त हो सका है. आगे बजट की दरकार है.

क्या कहते हैं लौकहवा के ग्रामीण
पेयजल समस्याओं पर बात करते हुए लौकहवा के ग्रामीण बताते हैं कि पानी की समस्या लगातार बनी रहती है. यहां का पानी इतना खराब है कि बोतल में भर के 2 घंटे के लिए रख दीजिए तो पूरी तरह से पीला हो जाता है. जब जल निगम द्वारा यहां पर परियोजना शुरू की गई तो आस जगी थी कि कुछ समय बाद स्वच्छ पेयजल हम लोगों को नसीब हो सकेगा लेकिन बजट की कमी व अन्य तरह की समस्याएं काम पूरा होने में रोड़ा अटका रही हैं.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
जब ईटीवी भारत ने अधूरी परियोजनाओं पर जल निगम के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने कहा की तमाम जगहों पर 33 परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से अधिकतर राज्य सरकार की हैं. वहीं कुछ परियोजनाएं प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चलाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि तकरीबन 80 करोड़ रुपये की लागत से जिले में 33 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं नौ अन्य बड़ी परियोजनाओं के लिए डीपीआर भेजा जा चुका है.

मनोज सिंह ने कहा कि थारू जनजातीय इलाकों में शुद्ध पेयजल की समस्या है. वहां नल लगने में भी बड़ी समस्या होती है. इस कारण बड़ी मशीनें मंगवाकर वहां पर बोरिंग का काम किया जा रहा है. बजट की कमी है, इस कारण से काम की रफ्तार थोड़ी बहुत धीमी है. लेकिन, कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सभी परियोजनाओं को पूरा करके लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके.

ईटीवी भारत की टीम ने कई गांवों का दौरा किया जहां पर परियोजनाएं अधूरी ही दिखाई दी. अब इन परियोजनाओं में बजट की समस्या, अन्य विभागों द्वारा एनओसी का न मिल पाना व अन्य तरह की समस्याएं हैं. जो कहीं न कहीं लोगों को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता में बड़ी बाधक बनती नजर आ रही हैं. देखने वाली बात होगी कि कब तक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन परियोजनाओं को पूरा कराकर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा पाती है.

बलरामपुर: नेपाल की तलहटी में बसा बलरामपुर जिला तराई वाला इलाका है. यहां पानी की समस्या लोगों के सामने हमेशा बनी रहती है. प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम सहित उत्तर प्रदेश सरकार की हर घर नल योजना के जरिए लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने की मंशा पर काम करना शुरू किया गया. लेकिन, जिले में यह योजना परवान चढ़ती दिखाई नहीं देती. जिले में तकरीबन 80 करोड़ की लागत से 33 परियोजनाओं को लागू करने की कोशिश की गई, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान इन योजनाओं की रफ्तार धीमी हो गई. कई जगहों पर अब तक लोगों को स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हो सका है.

बलरामपुर में 33 परियोजनाओं का किया जा रहा संचालन.

दूषित जल के कारण बढ़ रही समस्याएं
बलरामपुर जिला बने 24 साल बीत चुके हैं, लेकिन लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है. तराई का इलाका होने के कारण हर साल आने वाली बाढ़ से यहां पानी की शुद्धता खराब हो रही है. इसके साथ ही पानी में आरसैनिक, अमोनिया, यूरिया, फास्फोरस व क्लोराइड जैसे हानिकारक तत्वों की बढ़ती मात्रा से लोगों में बीमारियां बढ़ रही हैं. लोगों में गैस्ट्रो, कब्ज सहित पेट व पेयजल से जुड़ी तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.

परियोजनाएं अब तक हैं अधूरी
बलरामपुर जिले के लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए 33 ग्रामसभाओं में 33 परियोजनाओं का संचालन जिला जल निगम द्वारा किया जा रहा है. इनमें से कई परियोजनाएं अभी तक अधूरी हैं. अगर इनकी लागत की बात की जाए तो ये तकरीबन 80 करोड़ है. वहीं पैसे की अनुपलब्धता व अन्य विभागों द्वारा एनओसी का न मिल पाना जल निगम के सामने बड़ी समस्या है.

इस तरह चल रही हैं परियोजना
यदि विभागीय अफसरों की मानें तो प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत चल रही तीन परियोजनाओं व राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत चल रही दो परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है. वहीं नेपाल सीमा से सटे 7 गांवों में अब तक बोरिंग का कार्य नहीं हो सका है. अधिकारियों की मानें तो इस काम के लिए सरकार द्वारा उन्हें 15 लाख रुपये का बजट ही निर्गत हो सका है.

यहां भी नहीं हो पा रही है सप्लाई
एमएसडीपी के अंतर्गत तुलसीपुर के गनवरिया, पचपेड़वा के बरगदवा, गैसड़ी के खंभरिया गांव में ओवरहेड टैंक बनाकर उससे जल पूर्ति करने का काम शुरू किया जाना था. लेकिन कहीं पाइपलाइन में दिक्कत तो कहीं पंपिंग सेट में खराबी आने की वजह से इन गांवों में अभी तक पानी की अच्छी तरह से सप्लाई नहीं हो पा रही है.

यह परियोजनाएं रह गई अधूरी
वहीं राज्य सरकार की परियोजनाओं की बात की जाए तो गैसड़ी ब्लॉक के भदुवा, शंकरनगर, तुलसीपुर ब्लॉक में माधवडीह व हड़पुर जनकपुर में परियोजनाएं अधूरी हैं.

हाल ही में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत 9 ग्राम पंचायतों के लिए 2754.82 लाख रुपये से परियोजनाओं को निर्मित करने की मंजूरी मिली है. इनमें महाराजगंज तराई, लौकहवा मदारबख्श, जयनगरा, बिशुनपुर टनटनवा, सिसहनिया, बरगदही, चैनपुर हुसैनाबादग्रन्ट, रमवापुर कला में समूह पेयजल योजना के जरिए पाइप लाइन व टंकी का काम धीरे-धीरे चल रहा है.

ये हैं राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले की 11 परियोजनाओं को 33 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. इनमें परसपुर, लौकीकला, मंगराकोहल, बेलवा व मजगवां में पाइपलाइन बनाने व ओवरहेड टैंक खड़ा करके काम पूरा कर देने का दावा जल निगम द्वारा किया जा रहा है.

ये हैं थारू इलाके में चल रही योजना
जिले के असिंचित क्षेत्रों व नेपाल सीमा से सटे 7 गांवों में भी पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना है. इनमें लालपुर, भोजपुरथारू, बनगाई, भुसहरपुरई, खदगौरा, बरहवा व कटकुईया शामिल हैं.

इन गांवों में जल निगम द्वारा अब तक महज बोरिंग ही कराई जा सकी है. इसके बाद से सारा काम अधूरा पड़ा हुआ है. अधूरे काम के पीछे अधिकारी तर्क देते हैं कि इन गांवों में काम को आगे बढ़ाने के लिए महज 15 लाख रुपये का बजट ही प्राप्त हो सका है. आगे बजट की दरकार है.

क्या कहते हैं लौकहवा के ग्रामीण
पेयजल समस्याओं पर बात करते हुए लौकहवा के ग्रामीण बताते हैं कि पानी की समस्या लगातार बनी रहती है. यहां का पानी इतना खराब है कि बोतल में भर के 2 घंटे के लिए रख दीजिए तो पूरी तरह से पीला हो जाता है. जब जल निगम द्वारा यहां पर परियोजना शुरू की गई तो आस जगी थी कि कुछ समय बाद स्वच्छ पेयजल हम लोगों को नसीब हो सकेगा लेकिन बजट की कमी व अन्य तरह की समस्याएं काम पूरा होने में रोड़ा अटका रही हैं.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
जब ईटीवी भारत ने अधूरी परियोजनाओं पर जल निगम के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने कहा की तमाम जगहों पर 33 परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से अधिकतर राज्य सरकार की हैं. वहीं कुछ परियोजनाएं प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चलाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि तकरीबन 80 करोड़ रुपये की लागत से जिले में 33 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं नौ अन्य बड़ी परियोजनाओं के लिए डीपीआर भेजा जा चुका है.

मनोज सिंह ने कहा कि थारू जनजातीय इलाकों में शुद्ध पेयजल की समस्या है. वहां नल लगने में भी बड़ी समस्या होती है. इस कारण बड़ी मशीनें मंगवाकर वहां पर बोरिंग का काम किया जा रहा है. बजट की कमी है, इस कारण से काम की रफ्तार थोड़ी बहुत धीमी है. लेकिन, कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सभी परियोजनाओं को पूरा करके लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सके.

ईटीवी भारत की टीम ने कई गांवों का दौरा किया जहां पर परियोजनाएं अधूरी ही दिखाई दी. अब इन परियोजनाओं में बजट की समस्या, अन्य विभागों द्वारा एनओसी का न मिल पाना व अन्य तरह की समस्याएं हैं. जो कहीं न कहीं लोगों को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता में बड़ी बाधक बनती नजर आ रही हैं. देखने वाली बात होगी कि कब तक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन परियोजनाओं को पूरा कराकर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा पाती है.

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