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सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी तय करेगी...कौन करेगा राम मंदिर में पूजा: राजेंद्र सिंह

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद प्रमुख पक्षकारों में शामिल गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह ने खुशी जाहिर की है. इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने राम मंदिर से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा की.

राजेंद्र सिंह से खास बातचीत.
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Published : Nov 14, 2019, 4:55 PM IST

बलरामपुर: अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह के लिए बेहद भावुकता वाला था. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करूं? शायद इसका यह कारण था कि मेरे परिवार की तीन पीढ़ियां इस विवाद से सीधे तौर पर जुड़ी रहीं. हम लोगों ने रामलला के पूजा-अर्चना का हक मांगा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए हमें पूजा का हक दिया है.

राजेंद्र सिंह से खास बातचीत.

राजेंद्र सिंह ने कहा कि मैं अपने जिंदा रहते-रहते यह उम्मीद नहीं कर रहा था कि फैसला आ जाएगा और मैंने सब कुछ प्रभु श्रीराम पर ही छोड़ दिया था. जब यह फैसला आया तो मेरे लिए बेहद भावुकता का क्षण था. वह कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसमें उन लोगों को जोड़ा जाए जो इस मसले से सीधे तौर पर जुड़े रहे हैं. इसके साथ ही समाज के प्रबुद्ध लोगों को भी इस ट्रस्ट में जोड़ा जाना चाहिए. उनका कहना है कि कोर्ट का काम था, इसलिए इस मामले को लंबा खिंचना ही था, इसलिए हम लोगों ने और हमारी कमेटी ने कई अपील दायर की थी, जिसमें रामलला के पूजा का अधिकार भी एक प्रमुख अपील थी.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी ने अधिकारियों से पूछे- एक्सप्रेसवे और डिफेंस कॉरीडोर के हाल

एएसआई द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध करवाए गए प्रमाणों पर बात करते हुए वह कहते हैं कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहां से जो खुदाई की गई और उसमें जो प्रमाण मिले वह मंदिर होने की पुष्टि करते थे. खोदाई के दौरान मिले अवशेषों में पता चला कि वहां पर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी, इस प्रमाण को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया.

अयोध्या में आगे की मंदिर बनाने की तैयारी पर राजेंद्र सिंह कहते हैं कि हमारे लिए अयोध्या को लेकर कोई विशेष योजना नहीं है. हम लोग जैसे पहले अयोध्या जाते थे और रहते थे, वैसे ही जाएंगे और रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस बार हम लोग 21 नवम्बर को अयोध्या जा रहे हैं. 22 नवम्बर को इस मसले से जुड़े तमाम वकीलों और तमाम पक्षकारों के स्वागत समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हम लोग भी सम्मिलित होंगे.

कमेटी तय करेगी कि कौन करगा पूजा
वहीं रामलला के पूजन के अधिकार को लेकर उन्होंने कहा कि यह कमेटी तय करेगी कि वहां पूजा कौन करेगा. इसकी पूरी जानकारी कमेटी को दे दी जाएगी. फिर कमेटी के लोग मिलकर जो भी तय करेंगे, वह हम सभी को मंजूर होगा. राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद संतुलित भी कहा जा सकता है, इसलिए दोनों पक्षों में खुशी की लहर देखी जा रही है.

बलरामपुर: अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह के लिए बेहद भावुकता वाला था. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करूं? शायद इसका यह कारण था कि मेरे परिवार की तीन पीढ़ियां इस विवाद से सीधे तौर पर जुड़ी रहीं. हम लोगों ने रामलला के पूजा-अर्चना का हक मांगा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए हमें पूजा का हक दिया है.

राजेंद्र सिंह से खास बातचीत.

राजेंद्र सिंह ने कहा कि मैं अपने जिंदा रहते-रहते यह उम्मीद नहीं कर रहा था कि फैसला आ जाएगा और मैंने सब कुछ प्रभु श्रीराम पर ही छोड़ दिया था. जब यह फैसला आया तो मेरे लिए बेहद भावुकता का क्षण था. वह कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसमें उन लोगों को जोड़ा जाए जो इस मसले से सीधे तौर पर जुड़े रहे हैं. इसके साथ ही समाज के प्रबुद्ध लोगों को भी इस ट्रस्ट में जोड़ा जाना चाहिए. उनका कहना है कि कोर्ट का काम था, इसलिए इस मामले को लंबा खिंचना ही था, इसलिए हम लोगों ने और हमारी कमेटी ने कई अपील दायर की थी, जिसमें रामलला के पूजा का अधिकार भी एक प्रमुख अपील थी.

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एएसआई द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध करवाए गए प्रमाणों पर बात करते हुए वह कहते हैं कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वहां से जो खुदाई की गई और उसमें जो प्रमाण मिले वह मंदिर होने की पुष्टि करते थे. खोदाई के दौरान मिले अवशेषों में पता चला कि वहां पर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी, इस प्रमाण को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया.

अयोध्या में आगे की मंदिर बनाने की तैयारी पर राजेंद्र सिंह कहते हैं कि हमारे लिए अयोध्या को लेकर कोई विशेष योजना नहीं है. हम लोग जैसे पहले अयोध्या जाते थे और रहते थे, वैसे ही जाएंगे और रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस बार हम लोग 21 नवम्बर को अयोध्या जा रहे हैं. 22 नवम्बर को इस मसले से जुड़े तमाम वकीलों और तमाम पक्षकारों के स्वागत समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हम लोग भी सम्मिलित होंगे.

कमेटी तय करेगी कि कौन करगा पूजा
वहीं रामलला के पूजन के अधिकार को लेकर उन्होंने कहा कि यह कमेटी तय करेगी कि वहां पूजा कौन करेगा. इसकी पूरी जानकारी कमेटी को दे दी जाएगी. फिर कमेटी के लोग मिलकर जो भी तय करेंगे, वह हम सभी को मंजूर होगा. राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद संतुलित भी कहा जा सकता है, इसलिए दोनों पक्षों में खुशी की लहर देखी जा रही है.

Intro:(यह गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह से बातचीत का दूसरा पार्ट है। जिसमें फैसले की अनुभूति और उससे जुड़े पहलुओं को देखा गया है। योगेंद्र त्रिपाठी 9839325432)

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर तकरीबन 499 सालों से हिंदू मुस्लिम पक्षों के बीच न केवल अदालती मुकदमा चल रहा था। इस पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया तो पूरे देश में इस मामले से जुड़े लोगों के बीच न केवल खुशी की लहर दौड़ गई। बल्कि वह क्षण उनके लिए बेहद भावुकता का भी था। बलरामपुर के तुलसी पार्क मोहल्ले में रहने वाले गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेंद्र सिंह के लिए भी यह मौका बेहद भावुकता वाला था। हिंदू पक्षकारों में रामलला पूजा का हक मांगने वाले गोपाल सिंह विशारद और उसके बाद राजेंद्र सिंह के लिए भी यह बेहद खुशी का मौका था।
ईटीवी भारत से उन्होंने विशेष बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि मामले पर फैसला आने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए स्तब्ध रह गया था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करूं? शायद इसका यह कारण था कि मेरे परिवार की तीन पीढ़ी इस विवाद से सीधे तौर पर जुड़ी रही। हम लोगों ने रामलला के पूजन अर्चन का हक मांगा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए। हमें पूजा का हक दिया है।
वह कहते हैं कि मैं अपने जिंदा रहते रहते यह उम्मीद नहीं कर रहा था कि फैसला आ जाएगा। मैंने सब कुछ प्रभु श्रीराम पर ही छोड़ दिया था। जब यह फैसला आया तो मेरे लिए बेहद भावुकता का क्षण था।
वह कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसमें उन लोगों को जोड़ा जाए जो इस मसले से सीधे तौर पर जुड़े रहे हैं। इसके साथ ही समाज के प्रबुद्ध लोगों को भी इस ट्रस्ट में जोड़ा जाना चाहिए।


Body:वह कहते हैं कि कोर्ट का काम था इसलिए इस मामले को लंबा खींचना ही था इसलिए हम लोगों ने और हमारी कमेटी ने कई अपील दायर की थी। जिसमें रामलला के पूजा का अधिकार भी एक प्रमुख अपील थी।
वह कहते हैं कि हमारे लिए अयोध्या को लेकर कोई विशेष योजना नहीं है। हम लोग जैसे पहले अयोध्या जाते थे और रहते थे। वैसे ही जाएंगे और रहेंगे। इस बार हम लोग 21 नवम्बर को वहां जा रहे हैं। 22 को इस मसले से जुड़े तमाम वकीलों और तमाम पक्षकारों के स्वागत समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसमें हम लोग भी सम्मिलित होंगे।
वह कहते हैं कि रामलला की पूजन का अधिकार किसे मिलेगा? यह कमेटी तय करेगी। वहां पूजा कौन करेगा? इसकी पूरी जानकारी कमेटी को दे दी जाएगी? फिर जो भी कमेटी के लोग मिलकर तय करेंगे वह हम सभी मंजूर होगा।
राजेंद्र सिंह बताते हैं कि इतने संघर्ष के बाद हुई जीत के बाद अयोध्या जाने की अनुभूति अपने आप में अविश्वसनीय होगी। लेकिन अयोध्या से हमें पहले जितना स्नेह था। उतना ही अभी भी है और हमेशा रहेगा।


Conclusion:राजेंद्र सिंह कहते हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद बैलेंस भी कहा जा सकता है। इसलिए दोनों पक्षों में खुशी की लहर है। कुछ लोग ऐसे होंगे जो समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह बहुत अच्छा है।
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