बलरामपुर: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर बंद पड़े उद्योग धंधों से मजदूर पहले से ही बेरोजगार हैं. उनके पास खाने-पीने के लाले हैं. फिर भी अन्य राज्यों से आने वाले मजदूरों से राज्य सरकार पैसा लेती नजर आ रही है.
गुजरात के राजकोट से पहुंची श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां मजदूरों के हाथ में न केवल गुजरात सरकार द्वारा किराए के लिए गए पैसे की पावती थी, बल्कि मजदूरों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकारों को इस दौरान कम से कम हमारी मदद करनी चाहिए थी, क्योंकि हम उनके यहां की इकोनामी को बूस्ट करने का काम करते हैं. उन्हें इस दौरान हमसे किराए के पैसे नहीं लेने चाहिए थे.
तकरीबन 1000 श्रमिकों को लेकर गुजरात के राजकोट से बलरामपुर पहुंची श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में आज जो नजारा देखने को मिला. उससे सभी लोग अचंभित रह गए. श्रमिकों के साथ में उनके परिवार वाले थे. उनके हाथ में सामान था और उसके साथ-साथ गुजरात सरकार द्वारा टिकट के लिए गए रुपये की पावती भी थी. मजदूर गुजरात सरकार के इस रवैये से नाराज और परेशान दिखे.
मजदूरों ने बताया कि वहां पर हमारे सेठों और ठेकेदारों ने हमें उसी महीने तक का पेमेंट किया, जिस महीने तक हमने काम किया. उसके बाद उन्होंने हमें पैसे देने से मना कर दिया. हमारे पास आने के न तो संसाधन थे और न ही वह तमाम चीजें जिससे हम अपना वहां पर गुजारा कर सके. इसलिए हमने यहां पर आने का तय किया, जब हम लोग एक पुलिस स्टेशन गए तो वहां पर हमसे 665 रुपये का टिकट लिया गया. इस यात्रा के दौरान हमें काफी दिक्कत भी उठानी पड़ी.
आपको बताते चलें कि बलरामपुर जिले में अब तक तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आ चुकी हैं, जिनमें तकरीबन 4000 लोग उत्तर प्रदेश के 46 जिलों के रहने वाले यहां पर उतरे हैं. उन्हें जिला प्रशासन द्वारा भोजन-पानी इत्यादि की व्यवस्था करवाकर रोडवेज बसों द्वारा घर भेजने का काम लगातार किया जा रहा है.
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