बलरामपुर: उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा सूबा है. यहां पर लाखों किलोमीटर तक सड़कों का बिछा जाल लोगों को अपने गंतव्यों तक पहुंचाने का काम करता है, लेकिन तमाम जिलों में अभी भी सड़कों की व्यवस्था व्यापक रूप से नहीं हो सकी है. जो सड़कें बनी भी हुई हैं, वे गड्ढों में तब्दील हो गई हैं.
बलरामपुर जिले में तकरीबन 600 सड़कें प्रांतीय निर्माण खंड के अंतर्गत आती हैं, जबकि 100 से अधिक सड़कें प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत संचालित होती हैं. निर्माण खंड में गांवों को जोड़ने वाले मार्ग, उप जिला मार्ग, ब्लॉक मार्ग आते हैं, जिनकी भी संख्या सैंकड़ों में है. इन सभी मार्गों को चलने लायक बनाए रखने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आने वाले चार उपखंडों की है. ईटीवी भारत ने ऐसी ही कुछ सड़कों तक पहुंचने की कोशिश की, जहां पर प्रांतीय निर्माण खंड ने काम करवाया है और जिन सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा किया जा रहा है.
चलने लायक नहीं हैं सड़कें
तुलसीपुर-गौरा मार्ग, गौरा-विसकोहर मार्ग, गौरा-तुलसीपुर मार्ग, गौरा-उतरौला मार्ग, जैतापुर-जूड़ीकुईयां मार्ग सहित उतरौला रोड पर मधपुर-सादुल्लाहनगर मार्ग वाया हशिमपारा, गैंडासबुज़ुर्ग सादुल्लाहनगर मार्ग जैसी सड़कों की स्थिति बेहद खराब नजर आई. यहां पर बड़े-बड़े गड्ढे और जलभराव की समस्या दिखाई दी. सड़कें लोगों के चलने लायक नहीं थी. लोग इस बारे में शिकायत करते नजर आए.
दिखावा साबित हुआ गड्ढा मुक्त अभियान
बलरामपुर से सिद्धार्थनगर जिले को जोड़ने वाली सड़क बेल्हा-गौरा मार्ग की हालत बेहद खराब है. यह सड़क करीब 50 साल से अधिक समय से बलरामपुर से सिद्धार्थनगर जाने का मुख्य मार्ग बना हुआ है. यहां सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे हैं, जिससे जिले से सिद्धार्थ नगर को जाने वाले राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जगह जगह सड़कें टूटी हुई हैं और अमूमन उन पर पानी भरा रहता है.
जिम्मेदार अधिकारी ही मिले गायब
अभी कुछ दिनों पहले तक इस सड़क पर गड्ढा मुक्त अभियान के तहत काम किया जा रहा था, जिसमें डामर से बनी सड़क को सीमेंट से पैचिंग का काम किया जा रहा था. जब इस तरह से काम कराए जाने पर अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो पता चला कि विभाग के अधिकारी ही फरार हैं. जब पता करने का प्रयास किया गया तो पता चला कि प्रांतीय खंड के अधिकारियों का पता अब उनके ही विभाग के पास नहीं है, क्योंकि विभाग के अधिकारियों ने बिना किसी नोटिस के एक दलित परिवार का मकान ढहा दिया था, जिसके बाद दलित परिवार की शिकायत पर अधिशासी अभियंता मेघ प्रकाश सहित 7 कर्मचारियों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. तभी से अधिकारी कार्यालय छोड़कर हाईकोर्ट से स्टे लेने के लिए लखनऊ और दिल्ली का चक्कर लगा रहे हैं.
सीडीओ ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
सीडीओ बलरामपुर अमनदीप डुली ने बताया कि गड्डा मुक्त सड़क अभियान बरसात के कारण बन्द था. अभी 1 सप्ताह में यह शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि सड़कों पर अगर सीमेंट से पैचिंग हो रही है तो यह गलत है. प्रांतीय खण्ड के अधिशासी अभियंता पर हमने पहले से कार्रवाई कर रखी है. हम जिम्मेदार अधिकारियों से यह तय करेंगे कि गड्ढा मुक्त अभियान के तहत बेहतर काम हो.
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सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए कितना काम हुआ और कितना बजट जारी किया गया है, के सवाल पर सीडीओ ने कहा कि 5 - 5 साल पर हर 1 साल के लिए रिन्युवल होता है और उसका आंकड़ा एमडी के पास होता है. उन्ही के रोस्टर में दर्ज होता है और उसी के जरिए काम करवाया जाता है.