बलरामपुर: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बलरामपुर जिले के तुलसीपुर तहसील में स्थित इमलिया कोडर के महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज एवं दीनदयाल शोध संस्थान में अपने एक दिवसीय दौरे पर पहुंची. यहाँ संस्थान परिसर में आयोजित थारु जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में राज्यपाल ने शिरकत की. पूर्व से तय कार्यक्रम के अनुसार राज्यपाल ने संस्थान में नवीन निर्मित कंप्यूटर लैब का उद्घाटन करते हुए थारु जनजाति की छात्राओं व महिलाओं से मुलाकात की. कार्यक्रम में थारु जनजाति की छात्राओं व महिलाओं द्वारा लगाई गयी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुई. अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बालक-बालिका शिक्षा पर ध्यान देने और नई शिक्षा नीति को लागू करने पर जोर दिया.
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21वीं सदी टेक्नोलॉजी की सदी
दीनदयाल शोध संस्थान और महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के बारे में बात करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पता चला है कि ये संस्थान भारत रत्न नानाजी राव देशमुख द्वारा शुरू किया गया था. इन लोगों ने अपना पूरा जीवन समाज शिक्षा और जनजातियों के उत्थान में समर्पित कर दिया. यह लोग अपने लिए तो नहीं लेकिन अपनों के लिए खूब काम किया. अपना पूरा जीवन समर्पित किया है. इसीलिए जब हमारे यहां के लोगों से बात हुई तो मैंने उनसे पूछा क्या चाहिए. इन्होंने कहा कंप्यूटर लैब चाहिए. यह 21वीं सदी हमारे लिए टेक्नोलॉजी की सदी है. पूरा विश्व में अपना कारोबार टेक्नोलॉजी के माध्यम से कर रहा है. तो थारू जाति के भाई-बहन, छात्र-छात्राएं को इससे वंचित नहीं रहना चाहिए. उनको भी टेक्नोलॉजी का ज्ञान होना चाहिए, जिससे वह अपना छोटा मोटा काम कंप्यूटर के माध्यम से करें. और आत्मनिर्भर बने.
थारू जनजाति के विकास के स्थापित है ये लैब
उन्होंने कहा कि इसी वजह से निर्णय मैंने लिया कि यहां पर कंप्यूटर लैब की एक पूरी यूनिट स्थापित की जाए. यह पूरी यूनिट साढ़े आठ लाख की होती थी. तो मैंने अधिकारियों से कहा कि पूरा यूनिट स्थापित करने के लिए धनराशि संस्थान को प्रदान की जाए, क्योंकि हम आधा अधूरा काम नहीं करते. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आश्वासन दिया कि इमिलिया कोडर में थारू जनजाति के लोगों के लिए और जो कुछ भी राजभवन या उत्तर प्रदेश सरकार कर सकती है. वो जरूर करेगी. मैं अधिकारियों को बुलाकर ख़ुद जानकारी लूंगी.
अलग-अलग आरक्षण की मांग करना ठीक नहीं
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंच से कहा कि उत्तर प्रदेश एक बड़ी जनसंख्या वाला प्रदेश है. जहां पर 23-24 करोड़ की आबादी है, इसलिए कई बड़ी समस्याएं हैं. आपने मेरे सामने जो आरक्षण का विषय रखा है. मैं उस पर बताना चाहूंगी कि आरक्षण तय करने का काम भारत सरकार भी नहीं करती है. यह काम न्यायालयों द्वारा किया जाता है. अभी वहां पर केस चल रहा है. उसका जो निर्णय आएगा, वह देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि संपूर्ण आदि जाति के लिए रिजर्वेशन होता है. अनुसूचित जाति के लिए भी होता है. लेकिन आदिवासी में 40-50 उपजातियां होती है और सब अलग-अलग प्रकार के आरक्षण की मांग करते हैं तो वह ठीक नहीं है. क्योंकि इसका हिस्सा और बंटवारा करना मुश्किल हो जाता है.
बिना आरक्षण के भी बढ़ सकते हैं आगे
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पढ़ाई लिखाई पर जोर देते हुए कहा कि पढ़ाई लिखाई में किसी तरह की कोई जरूरत हो, आंगनबाड़ी केंद्र चाहिए, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक स्कूल चाहिए, इंटर कॉलेज, हायर एजुकेशनल कॉलेज बने, यह सुविधा अगर सभी लोगों को मिले तो बिना रिजर्वेशन के भी आगे बढ़ सकते हैं.
आंगनबाड़ी शिशु वाटिका में बच्चों का जाना जरूरी
राज्यपाल ने कहा कि सबसे पहला हमारा काम यह है कि तीन, चार और पांच साल के बच्चों को सबसे पहले आंगनबाड़ी में जाना ही चाहिए. हम आंगनबाड़ी केंद्रों को कोई महत्व या इंपॉर्टेंस नहीं देते हैं. बच्चे, मां-बाप के पीछे पीछे खेत में या कहीं और घूमते टहलते रहते हैं. आंगनबाड़ी शिशु वाटिका हमारे लिए अत्यंत महत्व की है. यहां पर बच्चों को शिक्षा की जरूरतों से जोड़ा जा सकता है. उन्हें तमाम चीजें सीखने को मिलती हैं, इसलिए बच्चों का आगे की पढ़ाई में मन भी लगता है.
नई शिक्षा हमारे लिए गौरव की बात
नई शिक्षा नीति के मसले पर मंच से बोलते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काफी वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. नई शिक्षा नीति पर अमल करने के लिए शिक्षक, शिक्षिकाएं, स्वास्थ्यकर्मी, शोधकर्ता व प्रशासनिक अमला लगा हुआ है.
धीरे-धीरे होगा नई शिक्षा नीति पर अमल
उन्होंने कहा कि गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से लेकर शिक्षा शुरू होनी चाहिए, सबसे ज़्यादा आंगनबाड़ी से शिक्षा की शुरुआत होनी चाहिए, बच्चा जब छोटा हो तभी से उसका बेहतर विकास हो सके. इसीलिए नया पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है. जैसे स्पोर्ट्स सीखाना चाहिए, जिससे स्फूर्ति बनी रहे और आगे जाकर हम बच्चों को क्या-क्या सिखाएंगे. इसकी चर्चा और अमल करने का काम धीरे-धीरे भारत देश में किया जाएगा.
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के मिलेंगे बेहतर परिणाम
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि जो पुरातन यानी कि पुराने जमाने की शिक्षा थे, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी, वह लागू करने का प्रयास किया जा रहा है. जैसे भगवान राम और भगवान कृष्ण की शिक्षा दीक्षा गुरुकुल में हुई थी. ऋषि मुनि उन्हें पढ़ाया करते थे तो यह जो ज्ञान हमें मिलता था, वह हमें 70 साल तक नहीं मिला. अब हम चाहते हैं हमारे जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, वह वहां से शिक्षा दीक्षा प्राप्त करें. जब वहां से शिक्षा प्रारंभ होगा तो हमें अच्छा परिणाम भी मिलेगा.
प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत
उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा जन्म के बाद तीन चार वर्ष से मिले तो वह बेहतर है. इससे बालक-बालिकाओं का सर्वांगीण विकास होता है. उन्होंने आंगनबाड़ी शिक्षा, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण और नई शिक्षा नीति की व्यवस्थाओं को लागू करने पर जोर दिया.
बालिका शिक्षा से आएगा बदलाव
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंच से बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 36 में से 24 लड़कियों को गोल्ड मेडल मिला अगर बालिकाओं को आगे बढ़ने का अवसर दिया जाए तो वह समाज में मूल चूल परिवर्तन ला सकती हैं. हर माता-पिता को बालिका शिक्षा पर ध्यान देना चहिए और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए कोशिश करनी चाहिए.