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बलरामपुर: लापरवाह सिस्टम ने छीनी जिंदगी, डॉक्टरों की लापरवाही से किशोरी की मौत - doctor negligence treatment in balrampur

यूपी के बलरामपुर में इलाज न मिलने से एक किशोरी की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा. परिजनों का आरोप है डॉक्टर ने समय पर किशोरी का इलाज नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गई.

मृतका की मां
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Published : Oct 17, 2019, 1:01 PM IST

बलरामपुर: सरकारें भले ही आम जनमानस के लिए स्वास्थ सुविधाएं बेहतर करने की कोशिश क्यों न कर लें, लेकिन अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों की संवेदनहीनता थमने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला संयुक्त अस्पताल का है, जहां एनीमिया से जूझ रही किशोरी करीब दो घंटे तक इमरजेंसी वार्ड में तड़पती रही, लेकिन कोई चिकित्सक उसे देखने नहीं पहुंचा. इस कारण उसकी मौत हो गई. घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा काटा.

डॉक्टरों की लापरवाही से किशोरी की मौत.

पढ़ें: मरीजों के बेहतर सेवाओं के लिए बलरामपुर अस्पताल को मिला NABH सर्टिफिकेट

जानिए क्या है पूरा मामला
जिले के सदर ब्लाक स्थित सोनार गांव निवासी श्रवण कुमार मंगलवार की रात करीब आठ बजे एनीमिया से जूझ रही 12 वर्षीय बहन मीरा को गंभीर हालत में लेकर अस्पताल पहुंचा था. परिवारीजन घंटों अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन डॉक्टर अपने घर पर ही आराम से बैठे-बैठे सलाह देते रहे.

इलाज न मिलने से किशोरी की मौत
परिजनों का आरोप है कि पहले तो चिकित्सक ने खून का इंतजाम करने की बात कहकर मरीज देखने से इनकार कर दिया. फिर परिजनों द्वारा ब्लड मुहैया कराने पर चिकित्सक बिना मरीज देखे ही खाना खाने चले गए. इस दौरान दो घंटे तक किशोरी वार्ड में तड़पती रही, समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई. इसके बाद परिवारजनों ने परिसर में हंगामा शुरू कर दिया. मामला बढ़ता देख रात करीब 10 बजे सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह मौके पर पहुंचे. परिवारीजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया.

वहीं इस मामले में ईटीवी भारत ने सीएमओ डॉ घनश्याम सिंह से जानकारी लेने की कोशिश की, तो उन्होंने कोर्ट अपीरियंस का हवाला देते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया. प्रभारी सीएमओ डॉ. कमाल अशरफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे संज्ञान में यह मामला ही नहीं है, लेकिन जो भी होगा उसमें जांच कराकर कार्रवाई अवश्य की जाएगी. लापरवाही किसी की भी हो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती. खासकर ऐसे मामलों में जहां पर जनता का सीधा जुड़ाव हो.

बलरामपुर: सरकारें भले ही आम जनमानस के लिए स्वास्थ सुविधाएं बेहतर करने की कोशिश क्यों न कर लें, लेकिन अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों की संवेदनहीनता थमने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला संयुक्त अस्पताल का है, जहां एनीमिया से जूझ रही किशोरी करीब दो घंटे तक इमरजेंसी वार्ड में तड़पती रही, लेकिन कोई चिकित्सक उसे देखने नहीं पहुंचा. इस कारण उसकी मौत हो गई. घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा काटा.

डॉक्टरों की लापरवाही से किशोरी की मौत.

पढ़ें: मरीजों के बेहतर सेवाओं के लिए बलरामपुर अस्पताल को मिला NABH सर्टिफिकेट

जानिए क्या है पूरा मामला
जिले के सदर ब्लाक स्थित सोनार गांव निवासी श्रवण कुमार मंगलवार की रात करीब आठ बजे एनीमिया से जूझ रही 12 वर्षीय बहन मीरा को गंभीर हालत में लेकर अस्पताल पहुंचा था. परिवारीजन घंटों अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन डॉक्टर अपने घर पर ही आराम से बैठे-बैठे सलाह देते रहे.

इलाज न मिलने से किशोरी की मौत
परिजनों का आरोप है कि पहले तो चिकित्सक ने खून का इंतजाम करने की बात कहकर मरीज देखने से इनकार कर दिया. फिर परिजनों द्वारा ब्लड मुहैया कराने पर चिकित्सक बिना मरीज देखे ही खाना खाने चले गए. इस दौरान दो घंटे तक किशोरी वार्ड में तड़पती रही, समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई. इसके बाद परिवारजनों ने परिसर में हंगामा शुरू कर दिया. मामला बढ़ता देख रात करीब 10 बजे सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह मौके पर पहुंचे. परिवारीजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया.

वहीं इस मामले में ईटीवी भारत ने सीएमओ डॉ घनश्याम सिंह से जानकारी लेने की कोशिश की, तो उन्होंने कोर्ट अपीरियंस का हवाला देते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया. प्रभारी सीएमओ डॉ. कमाल अशरफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे संज्ञान में यह मामला ही नहीं है, लेकिन जो भी होगा उसमें जांच कराकर कार्रवाई अवश्य की जाएगी. लापरवाही किसी की भी हो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती. खासकर ऐसे मामलों में जहां पर जनता का सीधा जुड़ाव हो.

Intro:(ये फीड रैप के माध्यम से प्रेषित है। संज्ञान लें। योगेंद्र त्रिपाठी :- 9839325432)

सरकारें भले ही क्यों न आम जनमानस के लिए स्वस्थ सुविधाएं बेहतर करने की कोशिश क्यों न कर लें लेकिन अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों की संवेदनहीनता थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला संयुक्त अस्पताल का है, जहां एनीमिया (शारीरिक कमजोरी और खून की कमी) से जूझ रही किशोरी करीब दो घंटे तक इमरजेंसी वार्ड में तड़पती रही, लेकिन कोई चिकित्सक उसे देखने नहीं पहुंचा। इस कारण उसकी मौत हो गई। घटना से आक्रोशित लोगों ने अस्पताल परिसर में हंगामा करना शुरु कर दिया। देर रात सीएमओ के समझाने-बुझाने पर तीमारदार शव लेकर घर चले गए।Body:सदर ब्लाक के सोनार गांव निवासी श्रवण कुमार मंगलवार की रात करीब आठ बजे एनीमिया से जूझ रही 12 वर्षीय बहन मीरा को गंभीर हालत में लेकर अस्पताल पहुंचा। परिवारजन घंटों अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन डॉक्टर अपने घर पर ही आराम से बैठे-बैठे सलाह देते रहे। और मरीज के तीमारदारों को नियम कानून बताते रहे।
परिजनों का आरोप है कि पहले तो चिकित्सक ने खून का इंतजाम करने की बात कहकर मरीज देखने से इंकार कर दिया। फिर परिजनों द्वारा ब्लड मुहैया कराने पर चिकित्सक बिना मरीज देखे ही खाना खाने चले गए। इस दौरान दो घंटे तक किशोरी वार्ड में तड़पती रही, समय पर इलाज ना मिलने से उसकी मौत हो गई। जिसके बाद परिवारजनों ने परिसर में हंगामा शुरू कर दिया।
मामला बढ़ता देख रात करीब 10:00 बजे सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह ने मौके पर पहुंचे। परिवारजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। इसके बाद परिवारजनों उसका शव लेकर घर चले गए।Conclusion:इस बारे में जब सीएमओ डॉ घनश्याम सिंह से जानकारी लेने के लिए मिलने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोर्ट अपीरियंस का हवाला देते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया। जबकि प्रभारी सीएमओ डॉ कमाल अशरफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे संज्ञान में यह मामला ही नहीं है। लेकिन जो भी होगा उसमें यथोचित कार्रवाई अवश्य की जाएगी। लापरवाही किसी की भी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। खासकर ऐसे मामलों में जहां पर जनता का सीधा जुड़ाव या सरोवर हो।
बाइट 1- अमर राजी, मृतका की मां
बाइट 2- श्रवण कुमार, मृतका का भाई
बाइट 3- डॉ. कमाल अशरफ, प्रभारी सीएमओ
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