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सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़, अधिकारियों ने विवाहित जोड़ों की ही करा दी शादी - बलरामपुर खबर

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां सामूहिक विवाह के तहत विवाहित जोड़ों को ही बिठाकर उनकी शादी कराकर अधिकारियों ने सरकारी बजट को खारिज कर लिया है.

सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़
सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़
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Published : Apr 1, 2021, 9:53 AM IST

बलरामपुर : बलरामपुर जिला सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़े व घोटाले का गढ़ बनता जा रहा है. जिले में शादी अनुदान योजना में हुए घोटाले की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अब सामूहिक विवाह योजना में भी फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां सामूहिक विवाह के तहत विवाहित जोड़ों को ही बिठाकर उनकी शादी कराकर अधिकारियों ने सरकारी बजट को खारिज कर लिया है.

सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़
290 में से 225 जोड़ों की ही हुई शादी

दरअसल, यहां बीते 26 मार्च को समाज कल्याण विभाग द्वारा सामूहिक विवाह योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था. जिले में कुल 290 जोड़े प्रस्तवित थे, जिसमें 225 जोड़ों की सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी कराई गई. इस विवाह में लाखों का खर्चा कर सारा इंतजाम किया गया.

समाज कल्याण विभाग को वास्तविक जोड़े

इस योजना के अंतर्गत विवाह करने वालों को कई दौर की जांच के बाद चयनित कुंवारे दूल्हा व दुल्हन की शादी कराने का नियम है. इसके बावजूद समाज कल्याण और विकास विभाग के अधिकारियों ने सारे नियमों को ताक पर रखकर इस सामूहिक विवाह में तमाम शादीशुदा (विवाहित) जोड़ों को बिठा दिया और उनकी शादी करा दी. जबकि उनकी शादी करीब 4 साल, 10 साल और 15 साल पहले हो चुकी थी.

विवाह करने आए जोड़ों की पहले ही हो चुकी है शादी

शादी के दौरान दुल्हन बनी आरती ने बताया कि वो चन्वई गांव की रहने वाली है और उसकी शादी 4 साल पहले हो चुकी है. जबकि दूल्हा बने राजू ने बताया कि योजना बहुत अच्छी है और उसका विवाह 15 साल पहले हो चुका है. इसी तरह से कई जोड़े ऐसे दिखाई दिए, जिन्होंने पहले ही शादी कर रखी थी. कुछ जोड़ों के साथ तो उनके बच्चे भी विवाह में शामिल हो रहे थे.

बिना लग्न के ही करवा दी गयी शादी

बलरामपुर जिले में आयोजित हुए इस सामूहिक विवाह पर लग्न मुहूर्त ना होने और खरमास आयोजन कराए जाने को लेकर स्थानीय पंडितों व पुरोहितों ने इसका विरोध भी किया था. उन्होंने बताया था कि हिन्दू रीति रिवाज में खरमास व होलिकास्टक में मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सकता. बावजूद इसके सरकारी बजट को 31 मार्च से पहले खारिज करने के लिए अधिकारियों ने आनन-फानन में 225 जोड़ों की शादी रचा दी.

शुरू होगी जांच, होगी कार्रवाई

विवाहित जोड़ों को सामूहिक विवाह योजना के तहत विवाह बंधन में बांधने की खबर मीडिया में आने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद को बचाने की जुगत शुरू कर दी है. कई दिनों तक इस मुद्दे पर अधिकारियों ने बोलना तक मुनासिब नहीं समझा. जब यह मामला डीएम श्रुति और मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल के संज्ञान में आया, तब जाकर उन्होंने इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

इसे भी पढ़ें- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निकाह के लिए जारी किया नया इकरारनामा


सीडीओ बोली निष्पक्ष जांच करवाकर करेंगे कार्रवाई

पूरे मामले पर सीडीओ रिया केजरीवाल ने प्रकरण को गंभीर बताते हुए कहा है कि यदि ऐसा हुआ है तो यह बेहद गलत है. हम इसकी निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

बलरामपुर : बलरामपुर जिला सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़े व घोटाले का गढ़ बनता जा रहा है. जिले में शादी अनुदान योजना में हुए घोटाले की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अब सामूहिक विवाह योजना में भी फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां सामूहिक विवाह के तहत विवाहित जोड़ों को ही बिठाकर उनकी शादी कराकर अधिकारियों ने सरकारी बजट को खारिज कर लिया है.

सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़
290 में से 225 जोड़ों की ही हुई शादी

दरअसल, यहां बीते 26 मार्च को समाज कल्याण विभाग द्वारा सामूहिक विवाह योजना के तहत सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था. जिले में कुल 290 जोड़े प्रस्तवित थे, जिसमें 225 जोड़ों की सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी कराई गई. इस विवाह में लाखों का खर्चा कर सारा इंतजाम किया गया.

समाज कल्याण विभाग को वास्तविक जोड़े

इस योजना के अंतर्गत विवाह करने वालों को कई दौर की जांच के बाद चयनित कुंवारे दूल्हा व दुल्हन की शादी कराने का नियम है. इसके बावजूद समाज कल्याण और विकास विभाग के अधिकारियों ने सारे नियमों को ताक पर रखकर इस सामूहिक विवाह में तमाम शादीशुदा (विवाहित) जोड़ों को बिठा दिया और उनकी शादी करा दी. जबकि उनकी शादी करीब 4 साल, 10 साल और 15 साल पहले हो चुकी थी.

विवाह करने आए जोड़ों की पहले ही हो चुकी है शादी

शादी के दौरान दुल्हन बनी आरती ने बताया कि वो चन्वई गांव की रहने वाली है और उसकी शादी 4 साल पहले हो चुकी है. जबकि दूल्हा बने राजू ने बताया कि योजना बहुत अच्छी है और उसका विवाह 15 साल पहले हो चुका है. इसी तरह से कई जोड़े ऐसे दिखाई दिए, जिन्होंने पहले ही शादी कर रखी थी. कुछ जोड़ों के साथ तो उनके बच्चे भी विवाह में शामिल हो रहे थे.

बिना लग्न के ही करवा दी गयी शादी

बलरामपुर जिले में आयोजित हुए इस सामूहिक विवाह पर लग्न मुहूर्त ना होने और खरमास आयोजन कराए जाने को लेकर स्थानीय पंडितों व पुरोहितों ने इसका विरोध भी किया था. उन्होंने बताया था कि हिन्दू रीति रिवाज में खरमास व होलिकास्टक में मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सकता. बावजूद इसके सरकारी बजट को 31 मार्च से पहले खारिज करने के लिए अधिकारियों ने आनन-फानन में 225 जोड़ों की शादी रचा दी.

शुरू होगी जांच, होगी कार्रवाई

विवाहित जोड़ों को सामूहिक विवाह योजना के तहत विवाह बंधन में बांधने की खबर मीडिया में आने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद को बचाने की जुगत शुरू कर दी है. कई दिनों तक इस मुद्दे पर अधिकारियों ने बोलना तक मुनासिब नहीं समझा. जब यह मामला डीएम श्रुति और मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल के संज्ञान में आया, तब जाकर उन्होंने इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

इसे भी पढ़ें- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निकाह के लिए जारी किया नया इकरारनामा


सीडीओ बोली निष्पक्ष जांच करवाकर करेंगे कार्रवाई

पूरे मामले पर सीडीओ रिया केजरीवाल ने प्रकरण को गंभीर बताते हुए कहा है कि यदि ऐसा हुआ है तो यह बेहद गलत है. हम इसकी निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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