बलरामपुर: अतिपिछड़े जिले में विकास के आयाम में सबसे बड़ा रोड़ा बेरोजगारी है. यहां के लोग आए दिन रोजगार की तलाश में शहर की तरफ रुख करते हैं, लेकिन अब यह पलायन कुछ हद तक आने वाले समय में खत्म हो सकती है. दरअसल, जिले में 'एक्सीलेंस कम एम्प्लॉयमेंट सेंटर' स्थापित किया जा रहा है. जिसमें हर साल 8,000 युवाओं और अधेड़ लोगों को प्रशिक्षण देकर न केवल कुशल कामगार बनाया जाएगा बल्कि उन्हें रोजगार भी मुहैय्या करवाया जाएगा.
नीति आयोग की सिफारिश पर भारतीय उद्योग परिसंघ की ओर से जिले के 8,000 युवाओं को प्रतिवर्ष उन्हें प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया करवाया जाएगा. इस प्रस्ताव को गति देने के लिए नगर के एमएलके पीजी कॉलेज के एक ब्लॉक को रोजगार केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. जहां पर तेजी से काम चल रहा है.
कंपनियों के माध्यम से मुहैया करवाया जाएगा रोजगार
यहां पर एडमिशन लेने वाले युवाओं को न केवल कई विधाओं में प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि प्रशिक्षण देने के उपरांत उन्हें सर्टिफिकेट व इसी केंद्र में स्थापित प्लेसमेंट सेल द्वारा तमाम कंपनियों के माध्यम से रोजगार भी मुहैया करवाया जाएगा. इस बात से न केवल बलरामपुर के युवाओं में खुशी है बल्कि वह इसे बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं. एमएलके पीजी कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं कहते हैं कि यहां पर रोजगार का कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है. इसलिए हमें यदि व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा और हमें रोजगार भी मिलेगा तो यह हमारे लिए बहुत बेहतर होगा.
निर्माण कार्य में तेजी
इस बारे में जानकारी देते हुए एमएलके पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एनके सिंह ने बताया कि नीति आयोग ने प्रदेश के 6 जिलों को अति पिछड़े जनपद के रूप में चुना है. जिसमें बलरामपुर जिले का नाम भी शामिल है. भारतीय उद्योग परिसंघ ने प्रायोजित रोजगार के तहत जिले के ग्रामीण व शहरी युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है. इसके लिए नीति आयोग ने रोजगार केंद्र के लिए महाविद्यालय से साढ़े तीन हजार वर्ग फुट की जमीन व कार्यालय के लिए कमरा व कंप्यूटर की सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की है. जिसे महाविद्यालय की प्रबंधन समिति के सचिव कर्नल आरके महंता के निर्देशन में स्वीकृत करते हुए उपलब्ध करवा दिया गया है. जिस पर निर्माण कार्य चल रहा है.
5 वर्षों तक जारी रहेगा प्रोजेक्ट
नीति आयोग रोजगार से पूर्व युवाओं को प्रशिक्षण भी देगा. यह प्रोजेक्ट अगले 5 वर्षों तक जारी रहेगा. इस दौरान हर साल 8,000 युवाओं को इसका लाभ मिलेगा. इस परियोजना का लाभ महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को तो मिलेगा. इसके साथ ही साथ बाहर यानी सुदूर इलाकों में रहने वाले छात्र-छात्राओं व लोगों को भी मिल सकेगा.