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बलरामपुर: छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा में सुधार और रोजगार बड़े मुद्दे

बलरामपुर में छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा में सुधार और रोजगार बड़े मुद्दे हैं. जिले के गठन को 21 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन यहां पर बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. यहां युवा इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करके सशक्त सरकार चुनने की बात कह रहे हैं.

ईटीवी भारत ने की छात्र-छात्राओं से बातचीत
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Published : May 7, 2019, 3:27 PM IST

बलरामपुर: जिले के गठन को 21 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन यहां पर बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. चुनाव का मौसम है. चुनावी मौसम में जनता का मन टटोलने के लिए ईटीवी भारत ने एमएलके पीजी कॉलेज के छात्र छात्राओं की ओर रुख किया. युवा इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करके जहां एक तरफ सशक्त सरकार चुनने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके मन की आकांक्षाएं सरकार को आईना दिखाने का काम भी कर रही हैं.

ईटीवी भारत ने की छात्र-छात्राओं से बातचीत

क्या कहना है छात्रों का

  • छात्र देवांश मिश्रा ने कहा कि पिछले 5-7 सालों में विकास हुआ है, लेकिन जिस रफ्तार से होना चाहिए वह रफ्तार आज तक नहीं मिल सकी है.
  • बलरामपुर जिले में एकमात्र डिग्री कॉलेज है, जिसे यूनिवर्सिटी बन जाना चाहिए था.
  • पूर्वांचल के सबसे प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज में पढ़ने के बावजूद भी हमें उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
  • दिव्यांश चौधरी ने कहा कि सरकार को एफडीआई और रोजगार की नीतियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
  • अगर बाहर से हमारे यहां निवेश आता है तो हमारे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
  • छात्रों का कहना है कि मैं अगर इंजीनियरिंग पढ़ के अच्छी नौकरी पा जाता हूं, तो मेरे साथ जुड़े कई लोगों का भला हो सकेगा. सरकार इस पर ध्यान दे.

महिला सुरक्षा के मुद्दों पर किया जाए काम

  • छात्रा सौम्या ने माना कि शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों की कमी के कारण बलरामपुर जिले में विकास रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है.
  • वहीं छात्रा साधना वर्मा ने कहा कि जातिगत मुद्दे आज भी हमारी चुनावों में हावी हो जाते हैं. यदि जातिगत मुद्दों से हटकर राजनीतिक दल अपने लिए विकास को मुद्दा बना कर वोट मांगे, तो फिर बात कहीं आगे बढ़ सकती है.
  • लगभग सभी छात्रों ने माना कि उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर ही बड़े मुद्दे हैं.

बलरामपुर: जिले के गठन को 21 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन यहां पर बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. चुनाव का मौसम है. चुनावी मौसम में जनता का मन टटोलने के लिए ईटीवी भारत ने एमएलके पीजी कॉलेज के छात्र छात्राओं की ओर रुख किया. युवा इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करके जहां एक तरफ सशक्त सरकार चुनने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके मन की आकांक्षाएं सरकार को आईना दिखाने का काम भी कर रही हैं.

ईटीवी भारत ने की छात्र-छात्राओं से बातचीत

क्या कहना है छात्रों का

  • छात्र देवांश मिश्रा ने कहा कि पिछले 5-7 सालों में विकास हुआ है, लेकिन जिस रफ्तार से होना चाहिए वह रफ्तार आज तक नहीं मिल सकी है.
  • बलरामपुर जिले में एकमात्र डिग्री कॉलेज है, जिसे यूनिवर्सिटी बन जाना चाहिए था.
  • पूर्वांचल के सबसे प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज में पढ़ने के बावजूद भी हमें उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
  • दिव्यांश चौधरी ने कहा कि सरकार को एफडीआई और रोजगार की नीतियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
  • अगर बाहर से हमारे यहां निवेश आता है तो हमारे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
  • छात्रों का कहना है कि मैं अगर इंजीनियरिंग पढ़ के अच्छी नौकरी पा जाता हूं, तो मेरे साथ जुड़े कई लोगों का भला हो सकेगा. सरकार इस पर ध्यान दे.

महिला सुरक्षा के मुद्दों पर किया जाए काम

  • छात्रा सौम्या ने माना कि शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों की कमी के कारण बलरामपुर जिले में विकास रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है.
  • वहीं छात्रा साधना वर्मा ने कहा कि जातिगत मुद्दे आज भी हमारी चुनावों में हावी हो जाते हैं. यदि जातिगत मुद्दों से हटकर राजनीतिक दल अपने लिए विकास को मुद्दा बना कर वोट मांगे, तो फिर बात कहीं आगे बढ़ सकती है.
  • लगभग सभी छात्रों ने माना कि उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर ही बड़े मुद्दे हैं.
Intro:बलरामपुर जिले के गठन को 21 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन यहां पर बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। चुनावों का मौसम है। चुनावी मौसम में जनता का मन टटोलने के लिए हमने एमएलके पीजी कॉलेज के छात्र छात्राओं का रुख किया। युवा इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करके जहां एक तरफ सशक्त सरकार चुनने की बात कह रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ उनके मन की आकांक्षाएं सरकार को आईना दिखाने का काम भी कर रही है।


Body:हमसे बात करते हुए एक छात्र देवांश मिश्रा ने कहा कि विकास को पिछले 5-7 सालों में हुआ है। लेकिन जिस रफ्तार से होना चाहिए वह रफ्तार आज तक नहीं मिल सका है। बलरामपुर जिले में एकमात्र डिग्री कॉलेज है जिसे यूनिवर्सिटी बन जाना चाहिए था। पूर्वांचल के सबसे प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज में पढ़ने के बावजूद भी हमें उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। शिक्षा की कमी खलती है।
देवांश ने हमसे यह भी कहा कि समस्याएं कितनी भी क्यों ना हो लेकिन हमें अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए। यदि हम अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे तो समस्याएं और भी बड़ी हो सकती हैं।
हमसे बात करते हुए भानु प्रताप तिवारी ने कहा कि क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है कि यहां पर शिक्षा का बेहद अभाव है। यदि किसी क्षेत्र को विकसित होना है। तो वहां की शिक्षा व्यवस्था में मूलचूल बदलाव लाना बहुत जरूरी है। हमारा क्षेत्र सालों से नकल माफियाओं के लिए बदनाम रहा है यहां के तमाम कॉलेज ऐसे हैं। जहां पर नकल करवा कर बच्चों को पास करने का काम किया जाता है। अगर इस कमी को सरकार दूर कर पाए तो फिर बात बने।
वही दिव्यांश चौधरी जो कि बीएससी कंप्यूटर साइंस के छात्र हैं। उन्होंने हम से बात करते हुए कहा कि सरकार को एफडीआई और रोजगार की नीतियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर बाहर से हमारे यहां निवेश आता है तो हमारे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। मैं अगर इंजीनियरिंग पढ़ के अच्छी नौकरी पा जाता हूं तो मेरे साथ जुड़े कई लोगों का भला हो सकेगा। यदि सरकार इस पर ध्यान दें तो फिर बात बने।
वही हमसे बात करते हुए एमएससी की छात्रा सौम्या शुक्ला ने कहा कि मैं सरकार की नीतियों से खुश हूं। पिछले कई सालों में जो विकास नहीं हो सका था। वह विकास हुआ है। बलरामपुर जिले की सड़कों में सुधार आया है। इसी तरह तमाम अन्य क्षेत्रों में भी काम किया जा रहा है।
जब हमने सौम्या से रोजगार के मुद्दे पर और महिला सुरक्षा के मुद्दों पर बात की तो उन्होंने कहा कि देखिए, यदि आप शिद्दत से कोई काम करते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलती है। यदि आपने अच्छी पढ़ाई की है तो आप बेरोजगार नहीं घूम सकते। वहीं ल, उन्होंने यह माना कि शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों की कमी के कारण बलरामपुर जिले में विकास रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
हमसे बात करते हुए साधना वर्मा ने कहा कि जातिगत मुद्दे आज भी हमारी चुनावों में हावी हो जाते हैं। यदि जातिगत मुद्दों से हटकर राजनीतिक दल अपने लिए विकास को मुद्दा बना कर वोट मांगे तो फिर बात कही आगे बढ़ सकती है और बन भी सकती है। अगर विकास मुद्दा होगा तो शिक्षा के क्षेत्र में जो मूलचूल बदलाव लाने का प्रयास सालों से जारी है। वह जल्द से जल्द हल हो सकता है।
वही, सिद्धार्थ नगर से यहां पढ़ाई करने के लिए आई सामिया चौधरी ने हमसे कहा कि हमारे क्षेत्र में अच्छे महाविद्यालयों की कमी है। अगर कोई अच्छा इंस्टीट्यूट मिल जाए तो हम भी पढ़ाई लिखाई करके आगे बढ़ सकते हैं। सरकारों ने सालों से इस मामले पर ध्यान नहीं दिया है। इस वजह से बलरामपुर जिले का एकमात्र यह कालेज पूरे मंडल के लिए प्रतिष्ठित है। जबकि लक्ष्य होना चाहिए कि इसी तरह के कॉलेज सभी जनपदों में खुलवाया जाए।


Conclusion:सभी छात्रों ने माना कि उनके लिए शिक्षा रोजगार के अवसर ही बड़ा मुद्दा है। इसके अतिरिक्त को छात्रों ने हमसे बात करते हुए राष्ट्रवाद के मुद्दे की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया। इन छात्र-छात्राओं के लिए देशभक्ति भी एक अहम मुद्दा है। लेकिन इनके हित से जुड़ा पढ़ाई लिखाई और रोजगार का मुद्दा सबसे बड़ा नजर आता है।
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