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भाजपा जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन लिया वापस, भरा था निर्दलीय पर्चा - नीलम सिंह

बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह की पत्नी नीलम सिंह ने पार्टी का समर्थन न मिलने पर जिला पंचायत पद के लिए निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. प्रदेश नेतृत्व के आदेश के खिलाफ जाना, कहीं महंगा ना पड़ जाए इसलिए बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने बाद में अपना नामांकन वापस ले लिया.

बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन वापस लिया
बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन वापस लिया
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Published : Apr 18, 2021, 7:57 PM IST

बलरामपुर: जिले में भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में काफी अंतर नजर आ रहा है. यहां बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह की पत्नी नीलम सिंह ने पार्टी का समर्थन न मिलने पर जिला पंचायत पद के लिए निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. बीजेपी जिलाध्यक्ष खुद करीब 10 दिनों से क्षेत्र में जाकर उनके लिए प्रचार करते रहे. विरोधी दलों को जब इस बात कर पता लगा तो वे बीजेपी पर परिवारवाद का आरोप लगाने लगे और मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा. प्रदेश नेतृत्व के आदेश के खिलाफ जाना, कहीं महंगा ना पड़ जाए इसलिए बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन से अपना नाम वापस ले लिया.

बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन वापस लिया

शिवानगर वार्ड से मैदान में थी नीलम सिंह प्रत्याशी

बलरामपुर में बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने तुलसीपुर के शिवानगर जिला पंचायत सदस्य सीट से बीजेपी की घोषित प्रत्याशी निर्मला यादव के खिलाफ अपनी पत्नी नीलम सिंह को ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल करा दिया. इस सीट पर जिलाध्यक्ष का दबदबा रहा है, इसलिए उन्होने पहले से ही इस क्षेत्र में अपनी पत्नी नीलम सिंह को संभावित बीजेपी समर्थित प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतार दिया.

जिलाध्यक्ष ने लगवाए थे पत्नी के नाम के बैनर पोस्टर

जिलाध्यक्ष ने क्षेत्र में अनेकों जगह होर्डिंग बैनर भी लगवाए और पत्नी के समर्थन में करीब 10 दिनों जनसम्पर्क भी कर रहे हैं. शिवानगर में 09 अप्रैल से 17 अप्रैल तक जनसम्पर्क करते हुए उन्होने फोटो भी अपने फेसबुक वाॅल पर पोस्ट किया, जबकि पार्टी ने 08 अप्रैल को ही शिवानगर से निर्मला यादव को अपना उम्मीद्वार बना दिया. पत्नी को पार्टी का समर्थन न मिलने के बाद भी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह प्रचार करते रहे और निर्दल प्रत्याशी के तौर पर उनका पर्चा भी दाखिल कर दिया.

प्रदेश नेतृत्व ने दिया था यह आदेश

हर पार्टी को परिवारवादी पार्टी बताने वाली बीजेपी ने खुद को इस आरोप से मुक्त रखने के लिए एक चिट्ठी जारी करते हुए प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों को यह निर्देश दिया था कि किसी भी पदाधिकारी के रिश्तेदार जिला पंचायत का चुनाव नही लड़ेंगे. यदि ऐसा कोई करता है तो उसे अपने वर्तमान पद से इस्तीफा देना होगा.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई करगस्तानी

बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ ही बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी के नामांकन से चुनावी सरगर्मी काफी बढ़ गई और विपक्षी प्रत्याशियों ने इसे सोशल मीडिया में ट्रेंड करना शुरू कर दिया. हालांकि जब यह खबर चर्चा में आई और मीडिया ने बीजेपी जिलाध्यक्ष को घेरना शुरू किया तो अब जिलाध्यक्ष ने अपनी पत्नी नीलम सिंह का नामांकन पत्र वापस ले लिया.

मीडिया में खबर आपने के बाद हुआ पर्चा वापस

अब भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंह घोषित प्रत्याशी निर्मला यादव को पूर्ण समर्थन कर उन्हे जीत दिलाने का प्रयास करने की बात कहते नजर आ रहे हैं. बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा कि हमारी पत्नी पार्टी की कार्यकर्ता है इसीलिए उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन अब उसे वापस ले लिया गया है.

विपक्ष ने भी लगाया आरोप

पंचायत चुनाव में भाजपा को टक्कर दे रही बसपा नेत्री ज़ेबा रिज़वान ने आरोप लगाया है कि भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है. एक तरफ वह सार्वजनिक मंच से हम विपक्षी दलों के ऊपर परिवार का आरोप लगाते हैं. वहीं, दूसरी तरह अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ अपने परिवार के लोगों को खड़ा करके प्रचार करते हैं.

बलरामपुर: जिले में भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में काफी अंतर नजर आ रहा है. यहां बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह की पत्नी नीलम सिंह ने पार्टी का समर्थन न मिलने पर जिला पंचायत पद के लिए निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. बीजेपी जिलाध्यक्ष खुद करीब 10 दिनों से क्षेत्र में जाकर उनके लिए प्रचार करते रहे. विरोधी दलों को जब इस बात कर पता लगा तो वे बीजेपी पर परिवारवाद का आरोप लगाने लगे और मामला सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगा. प्रदेश नेतृत्व के आदेश के खिलाफ जाना, कहीं महंगा ना पड़ जाए इसलिए बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन से अपना नाम वापस ले लिया.

बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी ने नामांकन वापस लिया

शिवानगर वार्ड से मैदान में थी नीलम सिंह प्रत्याशी

बलरामपुर में बीजेपी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने तुलसीपुर के शिवानगर जिला पंचायत सदस्य सीट से बीजेपी की घोषित प्रत्याशी निर्मला यादव के खिलाफ अपनी पत्नी नीलम सिंह को ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल करा दिया. इस सीट पर जिलाध्यक्ष का दबदबा रहा है, इसलिए उन्होने पहले से ही इस क्षेत्र में अपनी पत्नी नीलम सिंह को संभावित बीजेपी समर्थित प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतार दिया.

जिलाध्यक्ष ने लगवाए थे पत्नी के नाम के बैनर पोस्टर

जिलाध्यक्ष ने क्षेत्र में अनेकों जगह होर्डिंग बैनर भी लगवाए और पत्नी के समर्थन में करीब 10 दिनों जनसम्पर्क भी कर रहे हैं. शिवानगर में 09 अप्रैल से 17 अप्रैल तक जनसम्पर्क करते हुए उन्होने फोटो भी अपने फेसबुक वाॅल पर पोस्ट किया, जबकि पार्टी ने 08 अप्रैल को ही शिवानगर से निर्मला यादव को अपना उम्मीद्वार बना दिया. पत्नी को पार्टी का समर्थन न मिलने के बाद भी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह प्रचार करते रहे और निर्दल प्रत्याशी के तौर पर उनका पर्चा भी दाखिल कर दिया.

प्रदेश नेतृत्व ने दिया था यह आदेश

हर पार्टी को परिवारवादी पार्टी बताने वाली बीजेपी ने खुद को इस आरोप से मुक्त रखने के लिए एक चिट्ठी जारी करते हुए प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों को यह निर्देश दिया था कि किसी भी पदाधिकारी के रिश्तेदार जिला पंचायत का चुनाव नही लड़ेंगे. यदि ऐसा कोई करता है तो उसे अपने वर्तमान पद से इस्तीफा देना होगा.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई करगस्तानी

बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ ही बीजेपी जिलाध्यक्ष की पत्नी के नामांकन से चुनावी सरगर्मी काफी बढ़ गई और विपक्षी प्रत्याशियों ने इसे सोशल मीडिया में ट्रेंड करना शुरू कर दिया. हालांकि जब यह खबर चर्चा में आई और मीडिया ने बीजेपी जिलाध्यक्ष को घेरना शुरू किया तो अब जिलाध्यक्ष ने अपनी पत्नी नीलम सिंह का नामांकन पत्र वापस ले लिया.

मीडिया में खबर आपने के बाद हुआ पर्चा वापस

अब भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंह घोषित प्रत्याशी निर्मला यादव को पूर्ण समर्थन कर उन्हे जीत दिलाने का प्रयास करने की बात कहते नजर आ रहे हैं. बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा कि हमारी पत्नी पार्टी की कार्यकर्ता है इसीलिए उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन अब उसे वापस ले लिया गया है.

विपक्ष ने भी लगाया आरोप

पंचायत चुनाव में भाजपा को टक्कर दे रही बसपा नेत्री ज़ेबा रिज़वान ने आरोप लगाया है कि भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है. एक तरफ वह सार्वजनिक मंच से हम विपक्षी दलों के ऊपर परिवार का आरोप लगाते हैं. वहीं, दूसरी तरह अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ अपने परिवार के लोगों को खड़ा करके प्रचार करते हैं.

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