बलरामपुर: जिले में करीब 35 से ज्यादा गांव राप्ती नदी के कहर से बुरी तरह प्रभावित हैं. कई गांवों में कटान के कारण स्थिति बेकाबू हो रही है. लोगों के घर, खेत और अन्य उद्यम नदी की चपेट में हैं. कटान प्रभावित क्षेत्रों में परेशानी कुछ इस कदर है कि लोग अपने हाथों से ही अपने घर उजाड़ रहे हैं. जिला प्रशासन बाढ़ से हो रहे कटान को रोकने में नाकाम रहा है.
जिले के बलरामपुर तहसील और उतरौला तहसील राप्ती नदी के कटान से बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां के ग्रामीण अब जिला मुख्यालय पहुंच कर प्रदर्शन कर रहे हैं और खुद की खेती और जमीन को कटान से बचाने की मांग जिला प्रशासन से कर रहे हैं.
15 दिन में 200 मीटर जमीन नदी में समाहित
उतरौला तहसील के अंतर्गत ग्राम गोनकोट के ग्रामीणों की जान इस वक्त आफत में है. राप्ती नदी गांव से करीब 20-30 मीटर दूर तेजी से काटन कर रही है. ग्रामीणों का कहना है कि 15 दिन के अंदर नदी लगभग 200 मीटर जमीन कटान करके सड़क के किनारे पहुंच गई है. कुछ दिन पहले जो बांस के कटर फ्लड फाइटिंग के लिए गांव के आसपास लगाए गए थे, वह भी अब कटान की जद में आकर बह चुके हैं.
ग्रामीण लगा रहे हैं मदद की गुहार
ग्रामीण लगातार जनहानि रोकने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. हालांकि परेशान ग्रामीणों ने खुद को बचाने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश के प्रतिनिधि को मांग पत्र सौंपा है, जिसमें उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि समय रहते अगर कुछ ठोस कदम नहीं उठाया गया तो गांव के अस्तित्व पर संकट छा सकता है.
ग्रामीण बताते हैं कि पिछले पांच साल से घूम कोट गांव में नदी कटान कर रही है, लेकिन प्रशासन ने इन पांच वर्षों से कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. अब राप्ती नदी मुख्य मार्ग से महज पांच मीटर दूर बह रही है. अगर जलस्तर एक फीट भी बढ़ जाता है तो नदी गांव के अस्तित्व को दो से तीन घंटे में समाप्त कर सकती है.
पिपरी कोल्हुई के जिला पंचायत सदस्य चंद्र प्रकाश पांडेय बताते हैं कि प्रशासन के सुस्त रवैए से गांव को बचाने के लिए कुछ खास इंतजाम नहीं किया जा सका है. नदी के कटान से बचने के लिए अगर जल्द इंतजाम नहीं किए गए तो ग्रामीण सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे. जिलाधिकारी ने बताया कि टीम गठित कर दी गई है. अधिकरी को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है. जियो ट्यूब, जियो बैग्स, बम्बू क्रेट, ट्री क्रेट और बांध के जरिए गांव को बचाने का काम तेजी से जारी है.