बलिया: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए एक सौगात देने का काम किया. 18 से 40 वर्ष तक की आयु के लोगों के लिए 'प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना' की शुरुआत की गई. असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों और मजदूरों को 60 साल की उम्र के बाद तीन हजार रुपये मासिक पेंशन मिलने की योजना की शुरुआत की गई.
बलिया शहर के अलग-अलग हिस्सों में असंगठित मजदूर वर्ग के हजारों लोग काम करते हैं. इनमें से सैकड़ों लोग ईंट-भट्टों में मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. जिले के बसंतपुर इलाके के ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों को सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की जानकारी नहीं है. मजदूरों के अनुसार न तो गांव में कैंप लगाया गया और न ही कोई प्रचार प्रसार किया गया है. शुरुआत के दौर में इस योजना को लेकर जोर-शोर से हर सरकारी विभाग के केंद्र में प्रचार किया गया, लेकिन एक साल के भीतर ही योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई.
साल दर साल श्रमिकों के पंजीयन में हुई कमी
केंद्र की मोदी सरकार की योजना हो या प्रदेश की योगी सरकार के योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी विभाग की होती है. जिले के श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों के आंकड़ों में साल दर साल गिरावट दर्ज की गई. वित्तीय वर्ष 2018 और 2019 में जिले में 10,265 श्रमिकों का पंजीकरण किया गया. वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस आंकड़े में भारी कमी देखने को मिली. यह आंकड़ा घटकर 4,338 तक ही सीमित रह गया.
40 रुपये से होता है पंजीयन
जिले के श्रम प्रवर्तन कार्यालय में मजदूरों के पंजीकरण का कार्य होता है, जिसके बाद ही सरकार की सारी लाभकारी योजनाओं का लाभ इन्हें प्राप्त होता है. श्रमिक वर्ग के लोग 40 रुपये की फीस देकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं. इसके साथ ही आधार कार्ड, बैंक की पासबुक और संबंधित कंपनी से पत्र भी उपलब्ध कराना होता है. इसके बाद प्रत्येक वर्ष 20 रुपये देकर इसका नवीनीकरण होता है.
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जानकारी के अभाव में नहीं मिल रहा योजना का लाभ
असंगठित वर्ग के मजदूरों के लिए शुरू की गई 'प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना' में लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए मजदूर वर्गों के लोगों का पंजीयन होना आवश्यक है. इस योजना की शुरुआत से अब तक जिले में महज 8,028 लोगों का ही पंजीकरण हो पाया है. ऐसे में जानकारी के अभाव में लोग इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.