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बलियाः वह मंदिर जहां महादेव के तीसरे नेत्र ने कामदेव को किया था भस्म

उत्तर प्रदेश के बलिया में मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर कारो गांव स्थित कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कांवरियों और श्रद्धालुओं का ताता लगा है. यही वह स्थान है जहां महादेव के क्रोध से कामदेव भस्म हुए थे.

कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर.
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Published : Jul 29, 2019, 2:29 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलियाः सावन मास में कांवड़िए दूर-दूर से कामेश्वर नाथ मंदिर में आकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. शिव भक्त बैद्यनाथ धाम के लिए प्रस्थान भी यहीं से कर रहे हैं. मंदिर परिसर के ठीक सामने विशालकाय सरोवर है. जहां लोग स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं.

कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर जहां महादेव के तीसरे नेत्र ने कामदेव को किया था भस्म.


कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर का पौराणिक इतिहास भी है. बताया जाता है कि एक बार महादेव तपस्या कर रहे थे और उसी स्थान पर आम के वृक्ष पर बैठे कामदेव उनकी तपस्या को भंग करने का प्रयास करते रहे. अंततः महादेव की तपस्या भंग हुई और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया. आज भी आम के इस वृक्ष के जले हुए अवशेष से महादेव के क्रोध का प्रमाण दिखाई देता है.


सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के भक्तों का तांता लगा रहता है. दूर-दूर से शिव भक्त देवों के देव महादेव को जल चढ़ाने आते हैं. अपनी मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं.

बलियाः सावन मास में कांवड़िए दूर-दूर से कामेश्वर नाथ मंदिर में आकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. शिव भक्त बैद्यनाथ धाम के लिए प्रस्थान भी यहीं से कर रहे हैं. मंदिर परिसर के ठीक सामने विशालकाय सरोवर है. जहां लोग स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं.

कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर जहां महादेव के तीसरे नेत्र ने कामदेव को किया था भस्म.


कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर का पौराणिक इतिहास भी है. बताया जाता है कि एक बार महादेव तपस्या कर रहे थे और उसी स्थान पर आम के वृक्ष पर बैठे कामदेव उनकी तपस्या को भंग करने का प्रयास करते रहे. अंततः महादेव की तपस्या भंग हुई और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया. आज भी आम के इस वृक्ष के जले हुए अवशेष से महादेव के क्रोध का प्रमाण दिखाई देता है.


सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के भक्तों का तांता लगा रहता है. दूर-दूर से शिव भक्त देवों के देव महादेव को जल चढ़ाने आते हैं. अपनी मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं.

Intro:बलिया--सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के भक्तों का तांता लगा रहता है दूर-दूर से शिव भक्त देवों के देव महादेव को जल चढ़ाने आते हैं और अपनी मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं बलिया मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर चितबड़ागांव इलाके के कारो गाव स्थित कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कांवरियों और श्रद्धालुओं का ताता लगा है यूपी ही नहीं बिहार के कई जिलों से भी शिव भक्त यहां आकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं यही वह स्थान है जहां महादेव के क्रोध में कामदेव भस्म हुए थे








Body:सावन मास में कांवड़िए दूर-दूर से कामेश्वर नाथ मंदिर में आकर दर्शन पूजन करते हैं और बैद्यनाथ धाम के लिए प्रस्थान होते हैं मंदिर परिसर के ठीक सामने विशालकाय सरोवर है जहां लोग स्नान करने के बाद ही शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं

कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर का पौराणिक इतिहास भी है बताया जाता है कि एक बार महादेव तपस्या कर रहे थे और उसी स्थान पर आम के वृक्ष पर बैठे कामदेव उनकी तपस्या को भंग करने का प्रयास करते रहे अंततः महादेव की तपस्या भंग हुई और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया आज भी आम के इस वृक्ष के जले हुए अवशेष से महादेव के क्रोध का प्रमाण दिखाई देता है




Conclusion:स्थानीय निवासी ओमप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि सावन मास में इस मंदिर में जल चढ़ाने वालो का तांता लगा रहता है यह वही स्थान है जहां महादेव ने अपनी तपस्या को भंग करने के कारण कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से भस्म किया था जिसका प्रमाण आम का जला हुआ वृक्ष है

बक्सर से कावड़ लिए कामेश्वर नाथ मंदिर आये कावड़िये रंजय कुमार ने बताया कि कामेश्वर धाम मंदिर कि अपनी महिमा है सभी भाइयों बहनों की मनोकामनाएं पूर्ण हो इसलिए हम यहां जल चढ़ाने आए हैं

बाइट1--ओमप्रकाश उपाध्याय---स्थानीय निवासी
बाइट2--रंजय कुमार--कांवड़िये

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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