बलियाः सावन मास में कांवड़िए दूर-दूर से कामेश्वर नाथ मंदिर में आकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. शिव भक्त बैद्यनाथ धाम के लिए प्रस्थान भी यहीं से कर रहे हैं. मंदिर परिसर के ठीक सामने विशालकाय सरोवर है. जहां लोग स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं.
कामेश्वर नाथ महादेव मंदिर का पौराणिक इतिहास भी है. बताया जाता है कि एक बार महादेव तपस्या कर रहे थे और उसी स्थान पर आम के वृक्ष पर बैठे कामदेव उनकी तपस्या को भंग करने का प्रयास करते रहे. अंततः महादेव की तपस्या भंग हुई और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया. आज भी आम के इस वृक्ष के जले हुए अवशेष से महादेव के क्रोध का प्रमाण दिखाई देता है.
सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के भक्तों का तांता लगा रहता है. दूर-दूर से शिव भक्त देवों के देव महादेव को जल चढ़ाने आते हैं. अपनी मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं.