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32 राजकीय इण्टर कॉलेज में सिर्फ 4 प्रवक्ता, 52 सहायक अधयापक के भरोसे शिक्षा व्यवस्था - बलिया के राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली

ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी डिक्शनरी के अनुसार, ज्ञान का अर्थ है शिक्षा या अनुभव के माध्यम से तथ्य, सूचना और कौशल प्राप्त करना. राष्ट्र की प्रगति और विकास सभी नागरिकों की शिक्षा के अधिकार की उपलब्धता पर निर्भर करता है. वहीं बलिया जिले में शिक्षकों की नियुक्ति न हो पाने के कारण बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे वह स्कूल भी जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं.

राजकीय विद्यालयों की स्थिति दयनीय.
राजकीय विद्यालयों की स्थिति दयनीय.
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Published : Mar 16, 2020, 12:34 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: शिक्षा देश और समाज के विकास का महत्वपूर्ण अंग है. इसकी नींव प्राथमिक स्कूल से शुरू होकर मिडिल स्कूल के रास्ते माध्यमिक स्कूल और महाविद्यालय तक जाती है. यूपी के बलिया जिले में शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षकों की संख्या छात्रों की संख्या के सामने बौनी साबित हो रही है.

राजकीय विद्यालयों की स्थिति दयनीय.
यहां से मिलती है राजनीति को गति
बलिया पूर्व पीएम स्वर्गीय चन्द्रशेखर का गृह जनपद है. यहां से पूर्वांचल की राजनीति को गति भी मिलती रही है. समय के साथ जिले का विकास होता रहा, लेकिन शिक्षा के मामले में यह जिला आज भी काफी पिछड़ा है. जनपद में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की भी स्थापना हो गई है, लेकिन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के राजकीय इंटर कॉलेजों में अध्यापकों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती चली जा रही है. आलम यह है कि जिले में समय के साथ नए राजकीय इंटर कॉलेज बनाए तो गए, लेकिन इन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाए.

जिले में हैं 32 राजकीय इंटर कॉलेज
जिले की आबादी करीब 32 लाख है. यह सात विधानसभा क्षेत्रों में फैला है. इस जिले में अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीण अंचल में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार लगातार राजकीय इंटर कॉलेजों का निर्माण कराती रही है. वर्तमान समय में बलिया जनपद में 32 राजकीय विद्यालय हैं, जिनमें से आठ इंटर कॉलेज, दो मॉडल स्कूल और शेष 22 उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं, जहां से देश के भविष्य को तैयार करने की रूपरेखा बनाई जाती है.

राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 75 फीसदी पद खाली
जिस तरह प्रत्येक वर्ष स्कूलों से छात्र पास आउट होकर दूसरे कॉलेज या विश्वविद्यालय जाते हैं, ठीक उसी प्रकार स्कूलों में पढ़ाने वाले सहायक अध्यापक और प्रवक्ता भी 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होते हैं. बलिया जिले में सिर्फ राजकीय स्कूलों के एलटी ग्रेड अध्यापकों के 290 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 22 हाईस्कूल के राजकीय कॉलेजों में महज 52 सहायक अध्यापक की शिक्षण कार्य में अपनी सेवा दे रहे हैं और 238 पद खाली हैं.

8 राजकीय इंटर कॉलेज में सिर्फ 4 प्रवक्ता
शिक्षा व्यवस्था पर जोर देने के लिए सरकार हर साल अपने बजट में करोड़ों रुपये का प्रावधान करती है. इसके अंतर्गत नए विद्यालयों का निर्माण स्कूल के वातावरण को बेहतर बनाने के साथ शिक्षकों की नियुक्ति भी मुख्य होती है. जिले के 8 राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के पद सालों से खाली पड़े हैं. पूरे जनपद में विषय विशेषज्ञ प्रवक्ता महज चार हैं और इन्हीं के कंधों पर इंटरमीडिएट की कक्षाओं में छात्रों के भविष्य बनाने की जिम्मेदारी है.

बिना अध्यापक के संचालित होता राजकीय बालिका विद्यालय
जिले में राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद या फिर प्रवक्ता के स्वीकृत पदों के सापेक्ष इनकी नियुक्ति काफी कम है. ऐसे में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज एक ऐसा विद्यालय है, जहां एक भी टीचर तैनात नहीं है. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्राएं स्कूल में तैनात लिपिक वर्ग के कर्मचारियों से शिक्षा ग्रहण करती हैं. छात्रा प्रिया ने बताया कि उसने दूसरे स्कूल से राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बांसडीह में अपना दाखिला कराया था कि यहां पढ़ाई बेहतर होगी, लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि जो टीचर थीं वह रिटायर हो गई हैं.

मुख्यालय के राजकीय इंटर कॉलेज में भी नहीं हैं टीचर
प्रत्येक शहर के मुख्यालय, स्कूल और कॉलेज जिले की तस्वीर को बयां करते हैं. जिले के हॉस्पिटल रोड स्थित राजकीय इंटर कॉलेज और जिले के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में भी शिक्षकों का अभाव है. जीजीआईसी में जहां 1600 छात्राएं हैं, वहीं जीआईसी में 650 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. जीआईसी के प्रधानाचार्य प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि राजकीय स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है. यहां प्रवक्ता के आठ पद के सापेक्ष एक प्रवक्ता नियुक्त है, जबकि एलटी ग्रेड के 23 अध्यापकों के पद है. सिर्फ 10 अध्यापक ही शिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध हैं.

जिला विद्यालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा ने बताया कि जनपद में शिक्षकों की भारी कमी है. इसके बावजूद जनपद के सभी राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य को संपन्न कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जनपद में हाईस्कूल स्तर के 22 विद्यालय हैं, जिनमें महज 10 प्रधानाचार्य हैं. इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए चार प्रवक्ता आठ कॉलेजों में तैनात हैं. शासन से नए अध्यापकों की नियुक्ति नहीं होने से समस्या बनी हुई है, जिस कारण छात्र-छात्राओं भी राजकीय कॉलेजों में एडमिशन लेने से परहेज कर रहे हैं.

इसे भी पढे़ं:-बलिया के जिला अस्पताल में गुर्दा रोगियों को निःशुल्क मिलेगी डायलिसिस की सुविधा

बलिया: शिक्षा देश और समाज के विकास का महत्वपूर्ण अंग है. इसकी नींव प्राथमिक स्कूल से शुरू होकर मिडिल स्कूल के रास्ते माध्यमिक स्कूल और महाविद्यालय तक जाती है. यूपी के बलिया जिले में शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षकों की संख्या छात्रों की संख्या के सामने बौनी साबित हो रही है.

राजकीय विद्यालयों की स्थिति दयनीय.
यहां से मिलती है राजनीति को गति
बलिया पूर्व पीएम स्वर्गीय चन्द्रशेखर का गृह जनपद है. यहां से पूर्वांचल की राजनीति को गति भी मिलती रही है. समय के साथ जिले का विकास होता रहा, लेकिन शिक्षा के मामले में यह जिला आज भी काफी पिछड़ा है. जनपद में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की भी स्थापना हो गई है, लेकिन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के राजकीय इंटर कॉलेजों में अध्यापकों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती चली जा रही है. आलम यह है कि जिले में समय के साथ नए राजकीय इंटर कॉलेज बनाए तो गए, लेकिन इन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाए.

जिले में हैं 32 राजकीय इंटर कॉलेज
जिले की आबादी करीब 32 लाख है. यह सात विधानसभा क्षेत्रों में फैला है. इस जिले में अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीण अंचल में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार लगातार राजकीय इंटर कॉलेजों का निर्माण कराती रही है. वर्तमान समय में बलिया जनपद में 32 राजकीय विद्यालय हैं, जिनमें से आठ इंटर कॉलेज, दो मॉडल स्कूल और शेष 22 उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं, जहां से देश के भविष्य को तैयार करने की रूपरेखा बनाई जाती है.

राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 75 फीसदी पद खाली
जिस तरह प्रत्येक वर्ष स्कूलों से छात्र पास आउट होकर दूसरे कॉलेज या विश्वविद्यालय जाते हैं, ठीक उसी प्रकार स्कूलों में पढ़ाने वाले सहायक अध्यापक और प्रवक्ता भी 62 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होते हैं. बलिया जिले में सिर्फ राजकीय स्कूलों के एलटी ग्रेड अध्यापकों के 290 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 22 हाईस्कूल के राजकीय कॉलेजों में महज 52 सहायक अध्यापक की शिक्षण कार्य में अपनी सेवा दे रहे हैं और 238 पद खाली हैं.

8 राजकीय इंटर कॉलेज में सिर्फ 4 प्रवक्ता
शिक्षा व्यवस्था पर जोर देने के लिए सरकार हर साल अपने बजट में करोड़ों रुपये का प्रावधान करती है. इसके अंतर्गत नए विद्यालयों का निर्माण स्कूल के वातावरण को बेहतर बनाने के साथ शिक्षकों की नियुक्ति भी मुख्य होती है. जिले के 8 राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के पद सालों से खाली पड़े हैं. पूरे जनपद में विषय विशेषज्ञ प्रवक्ता महज चार हैं और इन्हीं के कंधों पर इंटरमीडिएट की कक्षाओं में छात्रों के भविष्य बनाने की जिम्मेदारी है.

बिना अध्यापक के संचालित होता राजकीय बालिका विद्यालय
जिले में राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद या फिर प्रवक्ता के स्वीकृत पदों के सापेक्ष इनकी नियुक्ति काफी कम है. ऐसे में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज एक ऐसा विद्यालय है, जहां एक भी टीचर तैनात नहीं है. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्राएं स्कूल में तैनात लिपिक वर्ग के कर्मचारियों से शिक्षा ग्रहण करती हैं. छात्रा प्रिया ने बताया कि उसने दूसरे स्कूल से राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बांसडीह में अपना दाखिला कराया था कि यहां पढ़ाई बेहतर होगी, लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि जो टीचर थीं वह रिटायर हो गई हैं.

मुख्यालय के राजकीय इंटर कॉलेज में भी नहीं हैं टीचर
प्रत्येक शहर के मुख्यालय, स्कूल और कॉलेज जिले की तस्वीर को बयां करते हैं. जिले के हॉस्पिटल रोड स्थित राजकीय इंटर कॉलेज और जिले के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में भी शिक्षकों का अभाव है. जीजीआईसी में जहां 1600 छात्राएं हैं, वहीं जीआईसी में 650 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. जीआईसी के प्रधानाचार्य प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि राजकीय स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है. यहां प्रवक्ता के आठ पद के सापेक्ष एक प्रवक्ता नियुक्त है, जबकि एलटी ग्रेड के 23 अध्यापकों के पद है. सिर्फ 10 अध्यापक ही शिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध हैं.

जिला विद्यालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा ने बताया कि जनपद में शिक्षकों की भारी कमी है. इसके बावजूद जनपद के सभी राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य को संपन्न कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जनपद में हाईस्कूल स्तर के 22 विद्यालय हैं, जिनमें महज 10 प्रधानाचार्य हैं. इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए चार प्रवक्ता आठ कॉलेजों में तैनात हैं. शासन से नए अध्यापकों की नियुक्ति नहीं होने से समस्या बनी हुई है, जिस कारण छात्र-छात्राओं भी राजकीय कॉलेजों में एडमिशन लेने से परहेज कर रहे हैं.

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Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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