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बलिया: रेलवे की लापरवाही, गलत रूट पर गयी ट्रेन - shramik special train got diverted

उत्तर प्रदेश के रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई है. श्रमिक स्पेशल ट्रेन 72 घंटे में भी पूरा नहीं कर पा रही. वहीं उत्तर प्रदेश पहुंचे कई श्रमिकों ने बताया कि उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

laborers are suffering
मजदूर बेहाल
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Published : May 25, 2020, 8:12 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है, लेकिन इस दौरान रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने देखने को मिल रही है. जिस यात्रा को 24 घंटे में पूरा करना होता है उसे श्रमिक स्पेशल ट्रेन 72 घंटे में भी पूरा नहीं कर पा रही. ऐसा ही एक मामला जबलपुर के धर्मपाल प्रजापति के साथ हुआ जो कोल्हापुर से जबलपुर की दूरी 5 दिन में भी पूरी नहीं कर पाए.

मजदूर बेहाल

रेलवे की लापरवाही
देशभर में श्रमिक स्पेशल ट्रेन लगातार प्रवासी मजदूरों को अलग-अलग जनपदों में पहुंचा रही है. बलिया में करीब 40 हजार कामगार पहुंच चुके हैं, लेकिन इस दौरान रेलवे की कई बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. गुरुवार को गोवा से चलकर बलिया पहुंचने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन भटक कर नागपुर पहुंच गई और करीब 25 घंटे की देरी के बाद रविवार को बलिया पहुंची.

5 दिन बाद भी नहीं पूरा हो पा रहा सफर
इसी तरह कोल्हापुर से जबलपुर को निकले कामगार श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए. स्टेशन पर उन्हें जबलपुर कहकर ट्रेन में बिठाया गया, लेकिन यह ट्रेन जबलपुर नहीं पहुंची. भुसावल से चलकर नागपुर होते हुए छत्तीसगढ़ के बाद रायपुर और फिर पश्चिम बंगाल के बाद बिहार के कटिहार पहुंची. 36 घंटे का सफर 5 दिन बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ. कोल्हापुर से ट्रेन में सवार हुए धर्मपाल प्रजापति ने बताया कि कई राज्यों से होते हुए ट्रेन बिहार के कटिहार पहुंची, जहां वे लोग को उतारा गया और फिर स्थानीय प्रशासन ने दूसरे साधन से पटना पहुंचाया, लेकिन उनकी मंजिल अभी भी दूर थी.

ऑटो से जाने को मजबूर मजदूर
पटना के बाद 5 मजदूरों की टोली एक ऑटो को 5 हजार रुपये किराए में तय कर बलिया पहुंचे. यहां से शंकरगढ़ इलाहाबाद के पास इन्हें जाना था, लेकिन बलिया पहुंचने के बाद भी यहां उन्हें कोई साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा.

लोग नहीं पहुंच पा रहे समय से अपने घर
पुणे के स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले मोनू बंद गाजीपुर के रहने वाले हैं जो 22 मई को पुणे से छपरा के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे, लेकिन यह ट्रेन 25 मई की सुबह छपरा पहुंची. 72 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद भी यह लोग अभी तक सिर्फ बलिया ही पहुंच पाए हैं. मोनू ने बताया कि ट्रेन मनमाड़ के रास्ते भुसावल होते हुए नागपुर की ओर चली गई. इसके बाद गोदिया होते हुए ट्रेन रायपुर, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और फिर बिहार के छपरा पहुंची.

25 तारीख की सुबह छपरा पहुंचने के बाद पैदल चलते हुए यह लोग बलिया आए हैं और अब बलिया में रोडवेज बस के इंतजार में हैं, जिससे वे गाजीपुर अपने घर पहुंच सकें. उन्होंने बताया कि ऐसी यात्रा उन्होंने आज तक जिंदगी में कभी नहीं की और यह हमेशा एक डरावनी यात्रा बनकर मन में रहेगी.

रेलवे की इतनी बड़ी चूक को लेकर बलिया रेलवे प्रशासन का कोई भी अधिकारी कुछ कहने से बचता नजर आ रहा है. ऑफ द कैमरा रेलवे अधिकारी बताते हैं कि सिर्फ वाराणसी मंडल में ही ट्रेन प्रवेश करने पर उन्हें जानकारी होती है. इससे पहले वह ट्रेन किस रूट से होकर कहां गलत गई है इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिलती.

बलिया: प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है, लेकिन इस दौरान रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने देखने को मिल रही है. जिस यात्रा को 24 घंटे में पूरा करना होता है उसे श्रमिक स्पेशल ट्रेन 72 घंटे में भी पूरा नहीं कर पा रही. ऐसा ही एक मामला जबलपुर के धर्मपाल प्रजापति के साथ हुआ जो कोल्हापुर से जबलपुर की दूरी 5 दिन में भी पूरी नहीं कर पाए.

मजदूर बेहाल

रेलवे की लापरवाही
देशभर में श्रमिक स्पेशल ट्रेन लगातार प्रवासी मजदूरों को अलग-अलग जनपदों में पहुंचा रही है. बलिया में करीब 40 हजार कामगार पहुंच चुके हैं, लेकिन इस दौरान रेलवे की कई बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. गुरुवार को गोवा से चलकर बलिया पहुंचने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन भटक कर नागपुर पहुंच गई और करीब 25 घंटे की देरी के बाद रविवार को बलिया पहुंची.

5 दिन बाद भी नहीं पूरा हो पा रहा सफर
इसी तरह कोल्हापुर से जबलपुर को निकले कामगार श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए. स्टेशन पर उन्हें जबलपुर कहकर ट्रेन में बिठाया गया, लेकिन यह ट्रेन जबलपुर नहीं पहुंची. भुसावल से चलकर नागपुर होते हुए छत्तीसगढ़ के बाद रायपुर और फिर पश्चिम बंगाल के बाद बिहार के कटिहार पहुंची. 36 घंटे का सफर 5 दिन बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ. कोल्हापुर से ट्रेन में सवार हुए धर्मपाल प्रजापति ने बताया कि कई राज्यों से होते हुए ट्रेन बिहार के कटिहार पहुंची, जहां वे लोग को उतारा गया और फिर स्थानीय प्रशासन ने दूसरे साधन से पटना पहुंचाया, लेकिन उनकी मंजिल अभी भी दूर थी.

ऑटो से जाने को मजबूर मजदूर
पटना के बाद 5 मजदूरों की टोली एक ऑटो को 5 हजार रुपये किराए में तय कर बलिया पहुंचे. यहां से शंकरगढ़ इलाहाबाद के पास इन्हें जाना था, लेकिन बलिया पहुंचने के बाद भी यहां उन्हें कोई साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा.

लोग नहीं पहुंच पा रहे समय से अपने घर
पुणे के स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले मोनू बंद गाजीपुर के रहने वाले हैं जो 22 मई को पुणे से छपरा के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे, लेकिन यह ट्रेन 25 मई की सुबह छपरा पहुंची. 72 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद भी यह लोग अभी तक सिर्फ बलिया ही पहुंच पाए हैं. मोनू ने बताया कि ट्रेन मनमाड़ के रास्ते भुसावल होते हुए नागपुर की ओर चली गई. इसके बाद गोदिया होते हुए ट्रेन रायपुर, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और फिर बिहार के छपरा पहुंची.

25 तारीख की सुबह छपरा पहुंचने के बाद पैदल चलते हुए यह लोग बलिया आए हैं और अब बलिया में रोडवेज बस के इंतजार में हैं, जिससे वे गाजीपुर अपने घर पहुंच सकें. उन्होंने बताया कि ऐसी यात्रा उन्होंने आज तक जिंदगी में कभी नहीं की और यह हमेशा एक डरावनी यात्रा बनकर मन में रहेगी.

रेलवे की इतनी बड़ी चूक को लेकर बलिया रेलवे प्रशासन का कोई भी अधिकारी कुछ कहने से बचता नजर आ रहा है. ऑफ द कैमरा रेलवे अधिकारी बताते हैं कि सिर्फ वाराणसी मंडल में ही ट्रेन प्रवेश करने पर उन्हें जानकारी होती है. इससे पहले वह ट्रेन किस रूट से होकर कहां गलत गई है इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिलती.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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