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बलिया: घाघरा के तेज बहाव से कटान शुरू, पेड़ और जमीन नदी में समाए

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में गंगा और घाघरा का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. घाघरा नदी के तेज बहाव से जमीन का कटान शुरू हो गया है. इससे तटवर्ती इलाकों के लोग परेशान हैं. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सैकड़ों साल पुराना पीपल का पेड़ चंद सेकंडों में नदी में समा गया.

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Published : Jun 26, 2020, 5:35 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

erosion of ghaghara river in ballia
बलिया में पेड़ और जमीन घाघार नदी में समाए.

बलिया: घाघरा नदी में तेज बहाव का दौर शुरू हो गया है. घागरा के तेज बहाव से जमीन में कटान शुरू हो गया है. इस कारण रिगवन छावनी, ककरघट्टा खास, नवका गांव के तटवर्ती इलाके के लोग परेशान हैं. वहीं किसानों की उपजाऊ जमीन भी कटकर नदी में विलीन होती जा रही है. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं.

पिछले साल भी घाघरा ने मचाई थी तबाही
जनपद में गंगा और घाघरा दोनों अपना रौद्र रूप दिखाती रही हैं. पिछले साल भी घाघरा ने तबाही मचाई थी और कई गांव को अपनी चपेट में लिया था. मानसून पूरे उत्तर भारत में सक्रिय हो गया है, जिस कारण गंगा और घाघरा के जलस्तर में भी बढ़ोतरी शुरु हो गई है.

erosion of ghaghara river in ballia
नदी में समाती जमीन.

पेड़ के नदी में समाने का वीडियो वायरल
गुरुवार को बलिया के मनियर इलाके के रिगवन गांव में घागरा के तेज बहाव ने सैकड़ों साल पुराने पीपल के पेड़ को पानी में विलीन कर लिया. देखते ही देखते घाघरा नदी के तटवर्ती इलाकों के उपजाऊ भूमि भी नदी में कटकर विलीन हो गई. कटान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

वायरल वीडियो.

डीएम ने क्षेत्र का किया था दौरा
जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही 19 जून को टीएस बंधे की तिलापुर से मनियर तक बारीकी से निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने बाढ़ विभाग के अभियंताओं को कटान को रोकने, कटान रोधी कार्य और बाढ़ राहत व्यवस्थाओं को समय से करने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें: बलिया: ODOP से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं ग्रामीण महिलाएं

80 हजार से ज्यादा की आबादी होती है प्रभावित
घाघरा नदी के कटान से 56 गांव की 84 हजार आबादी प्रभावित होती है. हर साल जिला प्रशासन अधिकारियों को कटान रोधी कार्यों और बाढ़ राहत व्यवस्थाओं को समय से दुरुस्त करने के आदेश भी देते हैं, लेकिन विभागीय लचर प्रणाली के कारण नदी के तेज बहाव से हजारों बीघा जमीन हर साल नदी में विलीन हो जाती है.

बलिया: घाघरा नदी में तेज बहाव का दौर शुरू हो गया है. घागरा के तेज बहाव से जमीन में कटान शुरू हो गया है. इस कारण रिगवन छावनी, ककरघट्टा खास, नवका गांव के तटवर्ती इलाके के लोग परेशान हैं. वहीं किसानों की उपजाऊ जमीन भी कटकर नदी में विलीन होती जा रही है. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं.

पिछले साल भी घाघरा ने मचाई थी तबाही
जनपद में गंगा और घाघरा दोनों अपना रौद्र रूप दिखाती रही हैं. पिछले साल भी घाघरा ने तबाही मचाई थी और कई गांव को अपनी चपेट में लिया था. मानसून पूरे उत्तर भारत में सक्रिय हो गया है, जिस कारण गंगा और घाघरा के जलस्तर में भी बढ़ोतरी शुरु हो गई है.

erosion of ghaghara river in ballia
नदी में समाती जमीन.

पेड़ के नदी में समाने का वीडियो वायरल
गुरुवार को बलिया के मनियर इलाके के रिगवन गांव में घागरा के तेज बहाव ने सैकड़ों साल पुराने पीपल के पेड़ को पानी में विलीन कर लिया. देखते ही देखते घाघरा नदी के तटवर्ती इलाकों के उपजाऊ भूमि भी नदी में कटकर विलीन हो गई. कटान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

वायरल वीडियो.

डीएम ने क्षेत्र का किया था दौरा
जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही 19 जून को टीएस बंधे की तिलापुर से मनियर तक बारीकी से निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने बाढ़ विभाग के अभियंताओं को कटान को रोकने, कटान रोधी कार्य और बाढ़ राहत व्यवस्थाओं को समय से करने का निर्देश दिया था.

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80 हजार से ज्यादा की आबादी होती है प्रभावित
घाघरा नदी के कटान से 56 गांव की 84 हजार आबादी प्रभावित होती है. हर साल जिला प्रशासन अधिकारियों को कटान रोधी कार्यों और बाढ़ राहत व्यवस्थाओं को समय से दुरुस्त करने के आदेश भी देते हैं, लेकिन विभागीय लचर प्रणाली के कारण नदी के तेज बहाव से हजारों बीघा जमीन हर साल नदी में विलीन हो जाती है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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