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बलिया के इस अध्यापक को देख इकट्ठा हो जाते हैं बंदर, जानें क्या है वजह

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में इन दिनों पीएन मिश्रा नाम के एक अध्यापक बंदरों को प्रतिदिन लाई खिला रहे हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन के इस दौर में इन जानवरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है, इसलिए वह इन्हें लाई खिलाते हैं.

बंदरों को खिला रहे लाई
बंदरों को खिला रहे लाई
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Published : May 3, 2020, 11:24 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: लॉकडाउन में गरीब निराश्रित लोगों को हर कोई भोजन उपलब्ध करा रहा है. वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो बेजुबान जानवरों को भी खाना खिला रहे हैं. बलिया के भीमपुरा इलाके में एक व्यक्ति बंदरों को लाई खिला रहे हैं. पेशे से अध्यापक पीएन मिश्रा प्रतिदिन यही काम करते हैं.

पीएन मिश्रा गांव के ही हनुमान मंदिर पर प्रतिदिन पहुंचते हैं और वहां बंदरों को लाई खिलाते हैं. जहां लोग एक बंदर को देखकर डर जाते हैं. वहीं अध्यापक के चारों ओर सैकड़ों बंदर पहुंच जाते हैं. वह अपने हाथों से इन बंदरों को भुजा हुआ चावल लाई खिला रहे हैं.

पीएन मिश्रा ने बताया कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. ऐसे समय में जब कस्बे में चहल-पहल नहीं है तो इन बेजुबानों के लिए भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसलिए मैं इस मंदिर परिसर में आकर बंदरों को भोजन कराता हूं.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन सैकड़ों बंदर यहां पहुंच रहे हैं, जिन्हें लाई खिलाता हूं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्षेत्र के निराश्रित गरीब असहाय लोगों को भी सैकड़ों लंच पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- COVID-19: UP में कोरोना के 14 नए मामले आए सामने, आंकड़ा पहुंचा 2342

बलिया: लॉकडाउन में गरीब निराश्रित लोगों को हर कोई भोजन उपलब्ध करा रहा है. वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो बेजुबान जानवरों को भी खाना खिला रहे हैं. बलिया के भीमपुरा इलाके में एक व्यक्ति बंदरों को लाई खिला रहे हैं. पेशे से अध्यापक पीएन मिश्रा प्रतिदिन यही काम करते हैं.

पीएन मिश्रा गांव के ही हनुमान मंदिर पर प्रतिदिन पहुंचते हैं और वहां बंदरों को लाई खिलाते हैं. जहां लोग एक बंदर को देखकर डर जाते हैं. वहीं अध्यापक के चारों ओर सैकड़ों बंदर पहुंच जाते हैं. वह अपने हाथों से इन बंदरों को भुजा हुआ चावल लाई खिला रहे हैं.

पीएन मिश्रा ने बताया कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. ऐसे समय में जब कस्बे में चहल-पहल नहीं है तो इन बेजुबानों के लिए भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसलिए मैं इस मंदिर परिसर में आकर बंदरों को भोजन कराता हूं.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन सैकड़ों बंदर यहां पहुंच रहे हैं, जिन्हें लाई खिलाता हूं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्षेत्र के निराश्रित गरीब असहाय लोगों को भी सैकड़ों लंच पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

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Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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