बलिया: कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए देश भर में लॉकडाउन के बाद एक जून से अनलॉक-1 लागू है. अनलॉक-1 में व्यवसायिक गतिविधिया शुरू हुईं साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की चहल-पहल बढ़ती हुई दिखाई दी. इसी कड़ी में राज्य सरकारों द्वारा परिवहन बसों को भी गाइडलाइन के तहत एक राज्य से दूसरे राज्यों में आवागमन की अनुमति दे दी गई है. बावजूद इसके रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या न के बराबर है. बलिया में रोडवेज बस स्टैंड पर चालक और परिचालक यात्रियों के आने की प्रतीक्षा करते दिखाई दे रहे हैं.
देश से लॉकडाउन तो खत्म हो गया, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते आकड़ों से लोगों में खौफ अब भी बरकार है. इसका साफ असर रोडवेज बस स्टैंड पर देखने को मिल रहा है. बलिया के सिविल लाइंस इलाके में स्थित रोडवेज बस स्टैंड पर बसों की कतारें लगी हुई हैं. सभी बसों के ड्राइवर और कंडक्टर भी अपनी ड्यूटी को लेकर मुस्तैद हैं, लेकिन इन बसों की यात्रा करने वाले सवारी नदारद हैं.
30 सवारी होने पर ही रवाना होंगी बसें
अनलॉक-1 की शुरुआत होने के साथ लोग धीरे-धीरे घर से निकल रहे हैं. ऐसे में अधिक आवश्यकता पड़ने पर ही लोग बसों में सफर करना चाह रहे हैं. नियमों के तहत रोडवेज बसों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ एक बार में 30 सवारियों को ले जाने की अनुमति मिली है. लेकिन बसों के लिए 30 यात्री मिलने भी मुश्किल हैं, जब तक 30 सवारी पूरे नहीं होते, बस डिपो से रवाना नहीं हो रही. अपनी पत्नी के साथ बलिया से हरदोई की यात्रा करने वाले मोनू ने बताया कि लगभग 2 घंटे से वह बस स्टैंड पर हैं, लेकिन बस नहीं चल रही है. ड्राइवर और कंडक्टर ने बताया कि जब तक 30 सवारियां नहीं होंगी बस रवाना नहीं की जाएगी.सिटी बस में भी कुछ इसी तरह के प्रावधान किए गए हैं. मुख्यालय से नगरा जाने के लिए आए कमलेश कुमार ने बताया कि 2 घंटे बीत जाने के बाद भी सवारी पूरी नहीं हुई. बस में बैठे-बैठे काफी परेशानी हो रही है.
डिपो के बेड़े में हैं 88 बसें
अनलॉक-1 के साथ ही रोडवेज बसों का संचालन आम लोगों के लिए शुरू हो गया है. बलिया डिपो में 88 बसें संचालित होती हैं. जिनमे, 60 उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की हैं जबकि 28 बसें अनुबंधित हैं. जहां देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन हटाया गया वहीं, यात्रियों की कम संख्या से रोडवेज को रोजाना लाखों रुपए का घाटा हो रहा है.
रेवेन्यू कम होने पर कंडक्टर से वसूली
बलिया रोडवेज डिपो के परिचालक नागेंद्र राम ने बताया कि कोविड-19 का डर लोगों में अभी भी बना हुआ है. इसके चलते लोग बसों से यात्रा करने से परहेज कर रहे हैं. बस स्टैंड पर सभी चालक और परिचालक ड्यूटी पर हैं. अधिकारियों का निर्देश है कि 60 फीसदी आमदनी होने पर ही गाड़ियां चलेंगी लेकिन यात्री नहीं है.
ड्यूटी करने से कतरा रहे कंडक्टर
चालक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि सवारियां बिल्कुल नहीं है. एक-दो सवारी किसी-किसी जनपद के लिए आ रहें हैं, लेकिन जब तक बस 60 फीसदी आमदनी देने लायक नहीं हो जाती, बसें रवाना नहीं होगी. बसें खुलने के बाद रास्ते में भी सवारी नहीं मिल रहीं. ऐसे में रेवेन्यू (आय) 60 फीसदी से कम होने पर कंडक्टर से हर्जाना वसूला जा रहा है, जिससे कई कंडक्टर ड्यूटी करने नहीं आ रहे हैं.