बलिया: पूर्वांचल के महत्वपूर्ण जिलों की सूची में शुमार बलिया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर का गृह जनपद भी है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकारी दावे सिर्फ कागजों में ही पूरे होते दिखाई दे रहे हैं, जिसका कारण जिले में डॉक्टरों की भारी कमी का होना है. हालत यह है कि अधिकांश सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक ही तैनात नहीं है.
जिले में सृजित हैं 204 डॉक्टर्स के पद
सरकार का उद्देश्य शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य को बेहतर करना होता है. लगातार इस ओर कार्य भी किये जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर सामने ला रही है. बलिया में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बनाने के लिए सरकार अनेक प्रयास कर ही है, लेकिन जिले में डॉक्टरों की कमी कहीं न कहीं इसमें बड़ी बाधा बनी हुई है.
75 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा इलाज
जिले में चिकित्सकों के 204 पद हैं, लेकिन सिर्फ 104 डॉक्टर ही तैनात हैं. यानी 50 फीसदी डॉक्टरों के पद खाली हैं, जिनमें से 30 डॉक्टर या तो पीजी की पढ़ाई के लिए गए हुए हैं या फिर मेडिकल पर हैं. जिले की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. बलिया की आबादी 32.4 लाख है, जहां सिर्फ 75 डॉक्टरों के भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है. ग्राम वयना में हनुमानगंज ब्लाक का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहां दो डॉक्टर तैनात हैं. जबकि इसी ब्लाक के अंतर्गत 3 नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है, जहां सिर्फ एक में ही चिकित्सक उपलब्ध हैं. यानी दो आयुष चिकित्सकों के भरोसे यहां की स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं.
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सीएमओ ने दी जानकारी
जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी पी.के. मिश्रा ने बताया कि जिले में डॉक्टरों की कमी है. जनपद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की संख्या 10 है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 13 हैं. इसके अलावा जिले में 66 नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं, जहां मानक के अनुरूप डॉक्टर की भारी कमी है. इसको लेकर हर बार मीटिंग में हम लोग अपनी बात रखते हैं. शासन स्तर पर भी इस बात को बताया जा चुका है. उम्मीद है कि जल्द ही डॉक्टरों के आने से यह समस्या दूर हो जाएगी.