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बलिया में रिकॉर्ड बारिश दर्ज, खरीफ फसल को होगा फायदा - बलिया में भारी बारिश

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जुलाई माह के मध्य तक 250 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले साल जुलाई माह में हुई बारिश से 100 मिलीमीटर अधिक है. कृषि विभाग के अनुसार, इस बारिश से किसानों को काफी लाभ मिलेगा.

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अच्छी बारिश से धान की फसल को फायदा.
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Published : Jul 18, 2020, 8:26 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा कम होने से इस साल मानसून समय से पहले ही सक्रिय हो गया. बिहार के रास्ते पूर्वांचल में मानसून के प्रवेश करते ही उत्तर प्रदेश में लोगों को गर्मी से राहत मिली, जिसका सीधा फायदा किसानों को होता दिखाई दे रहा है. बलिया में जुलाई के मध्य में ही रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है, जो गत वर्ष जुलाई माह में हुई बारिश से 100 मिलीमीटर अधिक बताई जा रही है. इस बारिश का लाभ किसानों को धान की फसल में सबसे ज्यादा मिल रहा है.

अच्छी बारिश से धान की फसल को फायदा.

बारिश से खरीफ की फसलों को फायदा
पूर्वांचल में रबी और खरीफ दो फसलों के किसान करते हैं. खरीफ की फसल में जहां धान, मक्का, ज्वार, बाजरा शामिल है. वहीं रबी की फसल में गेहूं, चना प्रमुख हैं. इन दिनों धान की खेती के लिए किसान खेतों में रोपाई करने में जुटे हैं. पानी से लबालब खेत किसानों के चेहरे पर अलग मुस्कान ला रहे हैं. धान की पैदावार के लिए किसानों को तीन बार पानी देना होता है, लेकिन इस साल मौसम ने किसानों की मदद की है. लगातार हो रही बारिश से जहां धान की रोपाई करने में किसानों को मदद मिल रही है. वहीं आने वाले कुछ दिनों में और बारिश होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

कृषि विभाग ने इस बारिश को इस साल के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया. जिला कृषि अधिकारी विकेश कुमार के अनुसार, किसानों के लिए यह वर्षा काफी फायदेमंद होगी. धान की रोपाई के लिए पिछले वर्षों में ट्यूबवेल और नहर की मदद लेनी होती थी. इस साल रिकॉर्ड बारिश से किसानों को आसानी से पानी उपलब्ध हो गया. वहीं उन्होंने बताया कि मक्के की फसल के लिए अतिवृष्टि नुकसानदायक होता है. निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति होती है. वहां मक्के की फसल में पानी लगने से इसके सड़ने का भी खतरा बना रहता है.

1 लाख 57 हजार हेक्टेयर में हुई धान की खेती
बलिया में धान की पैदावार के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी होती है. एक फसल में तीन बार पानी देना काफी कठिन होता है. इसके बावजूद मौसम की मदद होने से उन्हें कुछ राहत मिलती है. कृषि अधिकारी ने बताया कि इस साल पूरे जनपद में एक लाख 57 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की जा रही है, जो पिछले साल से 6 हजार हेक्टेयर अधिक है, जिससे किसानों को इस बार काफी अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद है.

क्षेत्रवार होती है फसल
बलिया पूर्वांचल का अंतिम छोर का जिला है, जो गंगा और घाघरा दो नदियों के बीच बसा है. जिले में खरीफ और रबी की फसल के लिए अलग-अलग क्षेत्र हैं, जहां इनकी अच्छी पैदावार होती है. धान की फसल के लिए मनियर, सिकंदरपुर, बेल्थरा रोड,रसड़ा ,गड़वार, चिलकहर नवानगर, बांसडीह आदि इलाके हैं. वहीं मक्का की खेती के लिए रेवती, बलिया सदर, बांसडीह और बेलहरी क्षेत्र को काफी अच्छा माना जाता है. वहीं गेहूं की फसल फेफना, चितबड़ागांव, सुरेमनपुर, खेजूरी में अच्छी पैदावार होती है.

बलिया: पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा कम होने से इस साल मानसून समय से पहले ही सक्रिय हो गया. बिहार के रास्ते पूर्वांचल में मानसून के प्रवेश करते ही उत्तर प्रदेश में लोगों को गर्मी से राहत मिली, जिसका सीधा फायदा किसानों को होता दिखाई दे रहा है. बलिया में जुलाई के मध्य में ही रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है, जो गत वर्ष जुलाई माह में हुई बारिश से 100 मिलीमीटर अधिक बताई जा रही है. इस बारिश का लाभ किसानों को धान की फसल में सबसे ज्यादा मिल रहा है.

अच्छी बारिश से धान की फसल को फायदा.

बारिश से खरीफ की फसलों को फायदा
पूर्वांचल में रबी और खरीफ दो फसलों के किसान करते हैं. खरीफ की फसल में जहां धान, मक्का, ज्वार, बाजरा शामिल है. वहीं रबी की फसल में गेहूं, चना प्रमुख हैं. इन दिनों धान की खेती के लिए किसान खेतों में रोपाई करने में जुटे हैं. पानी से लबालब खेत किसानों के चेहरे पर अलग मुस्कान ला रहे हैं. धान की पैदावार के लिए किसानों को तीन बार पानी देना होता है, लेकिन इस साल मौसम ने किसानों की मदद की है. लगातार हो रही बारिश से जहां धान की रोपाई करने में किसानों को मदद मिल रही है. वहीं आने वाले कुछ दिनों में और बारिश होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

कृषि विभाग ने इस बारिश को इस साल के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया. जिला कृषि अधिकारी विकेश कुमार के अनुसार, किसानों के लिए यह वर्षा काफी फायदेमंद होगी. धान की रोपाई के लिए पिछले वर्षों में ट्यूबवेल और नहर की मदद लेनी होती थी. इस साल रिकॉर्ड बारिश से किसानों को आसानी से पानी उपलब्ध हो गया. वहीं उन्होंने बताया कि मक्के की फसल के लिए अतिवृष्टि नुकसानदायक होता है. निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति होती है. वहां मक्के की फसल में पानी लगने से इसके सड़ने का भी खतरा बना रहता है.

1 लाख 57 हजार हेक्टेयर में हुई धान की खेती
बलिया में धान की पैदावार के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी होती है. एक फसल में तीन बार पानी देना काफी कठिन होता है. इसके बावजूद मौसम की मदद होने से उन्हें कुछ राहत मिलती है. कृषि अधिकारी ने बताया कि इस साल पूरे जनपद में एक लाख 57 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की जा रही है, जो पिछले साल से 6 हजार हेक्टेयर अधिक है, जिससे किसानों को इस बार काफी अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद है.

क्षेत्रवार होती है फसल
बलिया पूर्वांचल का अंतिम छोर का जिला है, जो गंगा और घाघरा दो नदियों के बीच बसा है. जिले में खरीफ और रबी की फसल के लिए अलग-अलग क्षेत्र हैं, जहां इनकी अच्छी पैदावार होती है. धान की फसल के लिए मनियर, सिकंदरपुर, बेल्थरा रोड,रसड़ा ,गड़वार, चिलकहर नवानगर, बांसडीह आदि इलाके हैं. वहीं मक्का की खेती के लिए रेवती, बलिया सदर, बांसडीह और बेलहरी क्षेत्र को काफी अच्छा माना जाता है. वहीं गेहूं की फसल फेफना, चितबड़ागांव, सुरेमनपुर, खेजूरी में अच्छी पैदावार होती है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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