बलिया: जनपद में लगातार हो रही बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ग्राम सभा सोनाडिह के किसानों का भी यही हाल है. पहले तो किसानों की कुछ फसल बाढ़ के चलते बर्बाद हो गई. वहीं अब बची हुई फसल बारिश में नष्ट हो रही है.
कोरोना महामारी के चलते विभिन्न शहरों में काम करने वाले श्रमिक अपने-अपने घरों को लौट आए. वहीं खेती करने में जुट गए. शुरुआती दौर में जब खेतों में फसलें अच्छी दिखाई दे रही थी, तो श्रमिकों को काफी खुशी हुई. किसानों में यह उम्मीद जागी कि वह अपने परिजन का खर्च आसानी से चला सकते हैं. लेकिन इन दिनों प्रदेशभर में हो रही लगातार बारिश ने एक बार फिर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. किसान अपने भाग्य को कोसने पर मजबूर हैं.
बैंकों का उधार कहां से चुकाएं
किसानों ने बताया कि बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा पैसे लेकर खेतों की जुताई, बीज और खाद का प्रबंध किया गया था. लेकिन लाभ होना तो दूर की बात है, आज हम लोगों के परिवारों के सामने भोजन का भी संकट उत्पन्न हो गया है. क्योंकि अधिक बारिश होने से धान, अहर, मूंग, मूंगफली मक्का आदि की फसलें बर्बाद हो गईं. अब हम लोगों के सामने भोजन के संकट के साथ-साथ जो बैंक से कर्ज लिया गया है, वह भी समस्या उत्पन्न हो गई है.
कोरोना के चलते शहरों से लौटे परिजन
किसानों ने बताया कि जो परिजन शहरों में जाकर निजी कंपनियों में अपना जीवन यापन करते थे, कोरोना महामारी के खौफ से वह भी घर चले आए हैं. जिससे आमदनी का स्रोत समाप्त हो चुका है. स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गई है. बारिश के चलते ना तो उगे हुए फसलों को काट पाए और ना ही गेहूं की फसल उगाने की उम्मीद दिख रही है. किसानों के लिए लगातार हो रही बारिश काल बनी हुई है.
भोजन के साथ बच्चों के पढ़ाई की भी समस्या
किसान सुजीत मौर्या ने बताया कि फसल बर्बाद होने से अब हमें भोजन के साथ-साथ अपने बच्चों की पढ़ाई की भी समस्या बनी हुई है. किस प्रकार से किताब-कॉपी एवं फीस की व्यवस्था की जाएगी.
खेती से ही चलता था घर
वहीं किसान देवराज प्रजापति ने अपने खेत में बर्बाद हुई फसलों को दिखाते हुए बताया कि लगातार बारिश ने हम लोगों की कमर तोड़ दी है. खेती ही एकमात्र आय का जरिया था, जो बारिश से बर्बाद हो गया. ऐसे में परिवार के लिए दो वक्त का भोजन जुटा पाना भी मुश्किल होता नजर आ रहा है.