बलिया: जिला कृषि उपनिदेशक इंद्राज यादव ने गुरुवार 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के मौके पर किसानों को अतिरिक्त आय के लिए मधुमक्खी पालन की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कम क्षेत्रफल में किया जा सकता है और कम समय में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. इस व्यवसाय में श्रम एवं पूंजी भी कम लगती है. साथ ही इसमें शारीरिक परिश्रम भी कम लगता है, ऐसे में आवश्यकता पड़ने पर महिलाएं एवं बच्चे भी अपने घरेलू कार्य के साथ इसे कर सकते हैं.
मधुमक्खी पालन से किसानों को होगा फायदा
मधुमक्खी पालन की जानकारी देते हुए जिला कृषि उपनिदेशक बलिया इंद्राज यादव ने बताया कि यह एक सरल एवं पूर्णता कृषि पर आधारित कार्य है. यहां का मौसम एवं भोजन स्रोत मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल हैं. महिलाएं अपने घर के आस-पास आंगन में या बारी में 5 से 10 बॉक्स रखकर अपने खाली समय में मधुमक्खी पालन कर सकती हैं. मधुमक्खी के बॉक्स को खेत के मेड़ पर या सड़क के किनारे बगीचे में या कहीं भी रखा जा सकता है. मधुमक्खी लगभग 3 किलोमीटर की त्रिज्या क्षेत्र से अपना भोजन लेती हैं. शहद के अतिरिक्त मोम, राज अवलेह, पराग, आदि उत्पादन किया जाए तो किसान को न केवल अधिक लाभ होगा, बल्कि विदेशी मुद्रा की कमाई की जा सकती है. पहले लोग आयुर्वेदिक दवा के साथ या दवा के रूप में शहद का प्रयोग करते थे, परंतु अब ज्यादातर लोग भोजन के साथ नियमित शहद का सेवन कर रहे हैं.
मधुमक्खियों से परागण होने पर उद्यानिकी में होता है फायदा
उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिससे ना केवल मधु प्राप्त होती है, बल्कि मधुमक्खियां परागण का कार्य भी करती हैं. ऐसा पाया गया है कि मधुमक्खी द्वारा परागण क्रिया होने पर उत्पादन में 20 प्रतिशत तक वृद्धि होती है.
कम खर्च में ज्यादा मुनाफा
10 बॉक्स में मधुमक्खी पालन हेतु कुल 35000 से लेकर 40000 तक खर्च होता है, एक इटालियन मॉडल मंच पर लगभग 3500-4000 रुपए खर्च होगा. 1 बॉक्स से 30 से 40 किलोग्राम मधु प्रतिवर्ष उत्पादित होगा, जिससे 3 वर्ष तक आय में अतिरिक्त वृद्धि होगी.