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"मुश्किल समय में बसपा ने दिया साथ, धोखेबाज निकले अंबिका चौधरी" - bsp

पूर्व मंत्री व बसपा नेता अंबिका चौधरी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. अंबिका चौधरी के पार्टी छोड़ते ही बसपा नेताओं ने उनपर तंज कसना शुरू कर दिया है. बलिया जिले के रसड़ा विधानसभा से विधायक उमा शंकर सिंह ने कहा कि अंबिका चौधरी के मुश्किल समय में बसपा ने उन्हें संभाला, लेकिन बेटे के स्वार्थ के लिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

बसपा से अंबिका चौधरी का इस्तीफा
बसपा से अंबिका चौधरी का इस्तीफा
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Published : Jun 21, 2021, 12:26 PM IST

बलियाः पूर्वांचल के कद्दावर नेता माने जाने वाले अंबिका चौधरी के बसपा से इस्तीफा देने के बाद पूर्वांचल की राजनीति गरम हो गई है. अंबिका चौधरी की अब एक बार फिर सपा में वापसी तैयारी है. जिले के रसड़ा विधानसभा से बसपा विधायक उमा शंकर सिंह ने अंबिका चौधरी पर धोखा देने का आरोप लगाया है. विधायक उमा शंकर सिंह ने कहा कि अंबिका चौधरी के बेटे को जिला पंचायत सदस्य बनवाने के लिए बसपा कार्यकर्ताओं ने मेहनत की, अब अध्यक्ष पद के लिए वे पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हो गए.

पुराने दिनों को याद करते हुए उमा शंकर सिंह ने कहा कि जब अंबिका चौधरी समाजवादी पार्टी को छोड़कर आए थे, तब इसी बहुजन समाज पार्टी ने उनको आसरा दिया. टिकट देकर 2017 में इनके सम्मान को बचाने के लिए टिकट देकर चुनाव लड़ाया. 2019 का लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन दोनों चुनाव में इन्हें हार झेलन पड़ी.

अंबिका चौधरी पर विधायक उमा शंकर सिंह का बयान

बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के लिए छोड़ी पार्टी

विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव में बेटे को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया. बसपा कार्यकर्ताओं के समर्थन से उन्होंने जीत हासिल की. अब अध्यक्ष पद के लिए वे सपा में शामिल हो गए. अगर उन्हें सपा में जाना था तो उन्हें पार्टी से बेटे को चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए था. तब यह बात समझ में आती कि इनका कितना जनाधार है.

पढ़ें- अनुप्रिया ने भाजपा से मां के लिए मांगी एमएलसी सीट, ताकि एक हो सके परिवार


बसपा विधायक ने कहा कि अंबिका चौधरी ने मौके पर बसपा कार्यकर्ताओं को धोखा देने का काम किया है. इनको अपने बेटे को निर्दल प्रत्याशी के रूप में खड़ा करके चुनाव लड़ना चाहिए था. बहुजन समाज पार्टी उनके दुख की घड़ी में साथ खड़ी थी नहीं तो उनकी जमानत भी नहीं बची होती. उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों का राजनीति में कोई अस्थान नहीं होना चाहिए .

सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं अंबिका चौधरी

अंबिका चौधरी यूपी के पूर्वांचल के बड़े नेता माने जाते हैं. मुलायम और अखिलेश दोनों सरकारों में ये मंत्री रहे. बीते विधानसभा चुनाव के पहले जनवरी 2017 में इन्होंने पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे. बसपा ने अंबिका चौधरी को 2017 का विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया, लेकिन दोनों चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा.

बेटे को सपा में शामिल होते ही अंबिका चौधरी ने बसपा से दिया इस्तीफा

समाजवादी पार्टी ने अम्बिका चौधरी के बेटे आनंद चौधरी को बलिया से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया है. आनंद चौधरी ने बलिया में जिला पंचायत सदस्य पद पर बसपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में वार्ड नम्बर 45 से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने सपा का दामन थाम लिया. सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई. 19 जान को आनंद चौधरी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की और उधर अंबिका चौधरी ने बसपा से इस्तीफा दे दिया.

बलियाः पूर्वांचल के कद्दावर नेता माने जाने वाले अंबिका चौधरी के बसपा से इस्तीफा देने के बाद पूर्वांचल की राजनीति गरम हो गई है. अंबिका चौधरी की अब एक बार फिर सपा में वापसी तैयारी है. जिले के रसड़ा विधानसभा से बसपा विधायक उमा शंकर सिंह ने अंबिका चौधरी पर धोखा देने का आरोप लगाया है. विधायक उमा शंकर सिंह ने कहा कि अंबिका चौधरी के बेटे को जिला पंचायत सदस्य बनवाने के लिए बसपा कार्यकर्ताओं ने मेहनत की, अब अध्यक्ष पद के लिए वे पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हो गए.

पुराने दिनों को याद करते हुए उमा शंकर सिंह ने कहा कि जब अंबिका चौधरी समाजवादी पार्टी को छोड़कर आए थे, तब इसी बहुजन समाज पार्टी ने उनको आसरा दिया. टिकट देकर 2017 में इनके सम्मान को बचाने के लिए टिकट देकर चुनाव लड़ाया. 2019 का लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन दोनों चुनाव में इन्हें हार झेलन पड़ी.

अंबिका चौधरी पर विधायक उमा शंकर सिंह का बयान

बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के लिए छोड़ी पार्टी

विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव में बेटे को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया. बसपा कार्यकर्ताओं के समर्थन से उन्होंने जीत हासिल की. अब अध्यक्ष पद के लिए वे सपा में शामिल हो गए. अगर उन्हें सपा में जाना था तो उन्हें पार्टी से बेटे को चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए था. तब यह बात समझ में आती कि इनका कितना जनाधार है.

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बसपा विधायक ने कहा कि अंबिका चौधरी ने मौके पर बसपा कार्यकर्ताओं को धोखा देने का काम किया है. इनको अपने बेटे को निर्दल प्रत्याशी के रूप में खड़ा करके चुनाव लड़ना चाहिए था. बहुजन समाज पार्टी उनके दुख की घड़ी में साथ खड़ी थी नहीं तो उनकी जमानत भी नहीं बची होती. उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों का राजनीति में कोई अस्थान नहीं होना चाहिए .

सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं अंबिका चौधरी

अंबिका चौधरी यूपी के पूर्वांचल के बड़े नेता माने जाते हैं. मुलायम और अखिलेश दोनों सरकारों में ये मंत्री रहे. बीते विधानसभा चुनाव के पहले जनवरी 2017 में इन्होंने पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे. बसपा ने अंबिका चौधरी को 2017 का विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया, लेकिन दोनों चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा.

बेटे को सपा में शामिल होते ही अंबिका चौधरी ने बसपा से दिया इस्तीफा

समाजवादी पार्टी ने अम्बिका चौधरी के बेटे आनंद चौधरी को बलिया से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया है. आनंद चौधरी ने बलिया में जिला पंचायत सदस्य पद पर बसपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में वार्ड नम्बर 45 से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने सपा का दामन थाम लिया. सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई. 19 जान को आनंद चौधरी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की और उधर अंबिका चौधरी ने बसपा से इस्तीफा दे दिया.

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