बलिया: कुछ महीनों पहले बाढ़ का प्रभाव जिले के हर इलाके में देखने को मिला था, हालांकि बाढ़ से कई गांवों को निजात भी मिल गई, लेकिन जिले का बसंतपुर गांव आज भी बाढ़ की चपेट में है. जिले की सुरहा नदी मानो बसंतपुर गांव के लिए अभिशाप बनी हुई है.
बाढ़ की चपेट में है आज भी यह गांव
जिला मुख्यालय की तहसील से महज 6 किलोमीटर दूर बसे बसंतपुर गांव में 6 मजरे शामिल हैं. इस गांव की सीमा के अंदर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय भी स्थापित है. लेकिन सुरहा ताल में अधिक बारिश और बाढ़ के कारण जलस्तर ऊपर उठ जाने के कारण दर्जनों गांव इससे बुरी तरह प्रभावित हो गए. भले ही बाढ़ का प्रकोप अब जिले के अन्य इलाकों में कम हो गया हो, लेकिन बसंतपुर गांव के दर्जनों घरों के लोग अभी भी बाढ़ पीड़ित हैं.
गांव में लोग ले रहे हैं नाव का सहारा
हालात ऐसे हैं कि लोग आज भी आवागमन के लिए नाव का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. ग्रामीणों के घर या तो पूरी तरह डूबे हुए हैं या अभी भी आंशिक रूप में उनके घरों में पानी है. इस कारण इन्हें किसी भी सामान को लाने और ले जाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है.
न हो रही फसल की बुवाई, न हो रही कोई सुनवाई
गांव का अधिकांश हिस्सा कीचड़ और गंदगी से पटा पड़ा है. करीब 15 गांव ऐसे हैं, जहां धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है और रवि की बुवाई तक नहीं हो पाई है. गांव में कई परिवार पानी से घिरे मकान में रहने को मजबूर हैं. उनको आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिल रही है, जिसके चलते हालात ऐसे बने हुए हैं.
इस मामले में उप जिलाधिकारी सदर अश्वनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बसंतपुर गांव सहित 15 गांव में अतिवृष्टि और जलभराव के कारण बुवाई नहीं हो पाई है, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर मेरे द्वारा जिलाधिकारी को प्रेषित की गई है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजा गया है. जो भी शासनादेश आएगा, उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी.