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बलिया: जिलाधिकारी ने की लोगों से झालर की जगह दीये जलाने की अपील

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने लोगों से दीपावली पर झालर की जगह दीयों का प्रयोग करने की अपील की है. दरअसल, बुधवार को वह एक कुम्हार के घर पहुंचे, जहां उन्होंने स्वयं कुम्हारी कला पर हाथ भी आजमाया.

जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही
जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही
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Published : Oct 29, 2020, 8:29 AM IST

बलिया: बुधवार को जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही मनियर के हरपुर गांव में एक कुम्हार के घर पहुंचे. यहां उन्होंने अपने हाथों से एक कुम्हार के चाक पर दीये बनाए. साथ ही जनपद वासियों से झालर की जगह पर दीपावली में दीये जलाने की अपील की. जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने निर्णय लिया है कि इस दीपावली पर उनके आवास स्थित कैम्प कार्यालय और कलेक्ट्रेट में सिर्फ मिट्टी के ही दीये जलाए जाएंगे.

जिलाधिकारी ने अपने कैंप कार्यालय और कलेक्ट्रेट में जलने वाले दीयों के लिए बुधवार की दोपहर बांसडीह रोड क्षेत्र के हरपुर गांव में स्वयं कुम्हार के यहां गए. यहां उन्होंने पर्याप्त मात्रा में मिट्टी के दीयों के लिए ऑर्डर दिया. इन दौरान उन्होंने स्वयं भी कुम्हारी कला पर हाथ आजमाया. कुम्हारों की मूलभूत समस्याओं को सुना और उनके कल्याण के लिए विशेष पहल करने का भरोसा दिलाया.

जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण के साथ कुम्हारी कला और दीपावली का असली महत्व कायम रखने के लिए हम सबको ऐसा करना ही चाहिए. वर्तमान में समय और पर्यावरण की आवश्यकता भी यही है. वैसे भी दीपावली मनाने का हम सबका यही पारंपरिक तरीका भी रहा है. इससे दीपावली की चमक बरकरार रहने के साथ किसी की जीविका भी चलेगी.

उन्होंने बताया कि दीपावली के दिन की मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब लोगों का रुझान झालरों की तरफ चला गया है. उन्होंने बताया कि जब कहीं किसी बर्तन का निर्माण नहीं हुआ तो पाषाण काल से ही हम लोगों के पूर्वज मिट्टी के बर्तनों में ही भोजन पकाया करते थे.

आज भी धर्म ग्रंथों में मिट्टी का बर्तन पवित्र माना गया है और कहीं भी पूजा पाठ करने के लिए मिट्टी के पात्र का होना अति आवश्यक होता है. दीपावली के दिन भी हमें मिट्टी के दीये का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि ऐसा करने से कुम्हारों की जीविका भी आसानी के साथ चलेगी और शुद्ध वातावरण भी मिलेगा.

बलिया: बुधवार को जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही मनियर के हरपुर गांव में एक कुम्हार के घर पहुंचे. यहां उन्होंने अपने हाथों से एक कुम्हार के चाक पर दीये बनाए. साथ ही जनपद वासियों से झालर की जगह पर दीपावली में दीये जलाने की अपील की. जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने निर्णय लिया है कि इस दीपावली पर उनके आवास स्थित कैम्प कार्यालय और कलेक्ट्रेट में सिर्फ मिट्टी के ही दीये जलाए जाएंगे.

जिलाधिकारी ने अपने कैंप कार्यालय और कलेक्ट्रेट में जलने वाले दीयों के लिए बुधवार की दोपहर बांसडीह रोड क्षेत्र के हरपुर गांव में स्वयं कुम्हार के यहां गए. यहां उन्होंने पर्याप्त मात्रा में मिट्टी के दीयों के लिए ऑर्डर दिया. इन दौरान उन्होंने स्वयं भी कुम्हारी कला पर हाथ आजमाया. कुम्हारों की मूलभूत समस्याओं को सुना और उनके कल्याण के लिए विशेष पहल करने का भरोसा दिलाया.

जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण के साथ कुम्हारी कला और दीपावली का असली महत्व कायम रखने के लिए हम सबको ऐसा करना ही चाहिए. वर्तमान में समय और पर्यावरण की आवश्यकता भी यही है. वैसे भी दीपावली मनाने का हम सबका यही पारंपरिक तरीका भी रहा है. इससे दीपावली की चमक बरकरार रहने के साथ किसी की जीविका भी चलेगी.

उन्होंने बताया कि दीपावली के दिन की मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब लोगों का रुझान झालरों की तरफ चला गया है. उन्होंने बताया कि जब कहीं किसी बर्तन का निर्माण नहीं हुआ तो पाषाण काल से ही हम लोगों के पूर्वज मिट्टी के बर्तनों में ही भोजन पकाया करते थे.

आज भी धर्म ग्रंथों में मिट्टी का बर्तन पवित्र माना गया है और कहीं भी पूजा पाठ करने के लिए मिट्टी के पात्र का होना अति आवश्यक होता है. दीपावली के दिन भी हमें मिट्टी के दीये का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि ऐसा करने से कुम्हारों की जीविका भी आसानी के साथ चलेगी और शुद्ध वातावरण भी मिलेगा.

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