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बलिया: हैदराबाद की घटना से आहत बीएड छात्रा ने लिखी कविता- 'वो रावण तो मर्यादित था'

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Published : Dec 4, 2019, 10:41 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST

उत्तर प्रदेश के बलिया में हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता और हत्या को लेकर एक बीएड की छात्रा ने कविता लिखी है. दरअसल बीएड छात्रा ने अपनी कविता के माध्यम से निर्दोष पीड़िता के प्रति सहानुभूति दी है. छात्रा ने अपनी रचना का शीर्षक 'वो रावण तो मर्यादित था' दिया है.

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हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता.

बलिया: हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता और हत्या को लेकर पूरे देश में आक्रोष एक बार फिर ऊबल पड़ा है. हर व्यक्ति इस घटना से आहत है कहीं पर आरोपियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है तो कहीं मृत आत्मा की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला जा रहा है. बलिया में एक बीएड की छात्रा ने अपनी रचना से इस वारदात की व्यथा को व्यक्त किया है. छात्रा नेहा यादव ने अपनी रचना का शीर्षक 'वो रावण तो मर्यादित था' दिया है.

हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता.

हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता

  • बलिया जिले के विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाली B.Ed की छात्रा नेहा यादव हैदराबाद की इस घटना पर काफी आहत हैं.
  • नेहा ने जहां अपनी कविता से निर्दोष पीड़िता के प्रति सहानुभूति दी, तो वहीं आरोपियों के इस कृत्य पर आक्रोश भी व्यक्त किया है.
  • छात्रा ने अपनी रचना का शीर्षक वर्तमान हालात पर महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को बना कर रखा है.
  • नेहा की इस रचना में रामायण के रावण को कलयुग के दानव रूपी रावण से काफी मर्यादित बताया गया है.

वो रावण तो मर्यादित था

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था, इन रावणओं का क्या करें...

अब तो ना उस रावण की मर्यादा रही, ना तो अब सीता भी खास रही..

हे ईश्वर !अब तुम्हारी ही आस रही, देखो ना अब तुम्हारे दर पर भी स्त्री लज्जा सुरक्षित ना रही...

वो रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें..

वर्षों से दुष्कर्म के कारण पहनावे की लघुता बताई जा रही, तो बताओ ना क्या महिला डॉक्टर भी अश्लील कपड़ों में जा रही...

अरे घिन तो तुम्हारी तीसरे दर्जे की सोच पर आ रही, क्या उसे जलाते हुए तुम्हारी आत्मा नहीं तुमको धिक्कार रही..

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें...

15 रचनाएं लिख चुकी हैं नेहा
छात्रा नेहा यादव ने इससे पहले सामाजिक मुद्दों और परिवार के रिश्तों को लेकर 15 रचनाएं लिखी हैं. जो कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई हैं, लेकिन हैदराबाद की घटना को लेकर जिस तरह नेहा ने अपनी व्यथा को कविता के माध्यम से उकेरा है, लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बलिया: इलाज के दौरान छात्रा की मौत, पिता ने डीएम से लगाई न्याय की गुहार

नेहा बताती हैं कि जब समाचार पत्रों और टीवी चैनल के माध्यम से उन्हें इस घटना की जानकारी हुई तो वह काफी दुखी हुई. उन्होंने उस पीड़िता के लिए कुछ करने की तमन्ना लेकर अपनी रचना को माध्यम बनाया. कलयुग के रावण की तुलना रामायण के रावण से करते हुए सीता के अपहरण करने वाले रावण को मर्यादित भी बताया.

नेहा की मां बताती है कि जब नेहा कक्षा 9 में पढ़ती थी. तभी छोटी-छोटी दो चार लाइनें लिखकर दिखाती थी और जब वह बीएससी करने लगे तो बड़ी रचना है करने लगी.

बलिया: हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता और हत्या को लेकर पूरे देश में आक्रोष एक बार फिर ऊबल पड़ा है. हर व्यक्ति इस घटना से आहत है कहीं पर आरोपियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है तो कहीं मृत आत्मा की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला जा रहा है. बलिया में एक बीएड की छात्रा ने अपनी रचना से इस वारदात की व्यथा को व्यक्त किया है. छात्रा नेहा यादव ने अपनी रचना का शीर्षक 'वो रावण तो मर्यादित था' दिया है.

हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता.

हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता

  • बलिया जिले के विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाली B.Ed की छात्रा नेहा यादव हैदराबाद की इस घटना पर काफी आहत हैं.
  • नेहा ने जहां अपनी कविता से निर्दोष पीड़िता के प्रति सहानुभूति दी, तो वहीं आरोपियों के इस कृत्य पर आक्रोश भी व्यक्त किया है.
  • छात्रा ने अपनी रचना का शीर्षक वर्तमान हालात पर महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को बना कर रखा है.
  • नेहा की इस रचना में रामायण के रावण को कलयुग के दानव रूपी रावण से काफी मर्यादित बताया गया है.

वो रावण तो मर्यादित था

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था, इन रावणओं का क्या करें...

अब तो ना उस रावण की मर्यादा रही, ना तो अब सीता भी खास रही..

हे ईश्वर !अब तुम्हारी ही आस रही, देखो ना अब तुम्हारे दर पर भी स्त्री लज्जा सुरक्षित ना रही...

वो रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें..

वर्षों से दुष्कर्म के कारण पहनावे की लघुता बताई जा रही, तो बताओ ना क्या महिला डॉक्टर भी अश्लील कपड़ों में जा रही...

अरे घिन तो तुम्हारी तीसरे दर्जे की सोच पर आ रही, क्या उसे जलाते हुए तुम्हारी आत्मा नहीं तुमको धिक्कार रही..

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें...

15 रचनाएं लिख चुकी हैं नेहा
छात्रा नेहा यादव ने इससे पहले सामाजिक मुद्दों और परिवार के रिश्तों को लेकर 15 रचनाएं लिखी हैं. जो कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई हैं, लेकिन हैदराबाद की घटना को लेकर जिस तरह नेहा ने अपनी व्यथा को कविता के माध्यम से उकेरा है, लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बलिया: इलाज के दौरान छात्रा की मौत, पिता ने डीएम से लगाई न्याय की गुहार

नेहा बताती हैं कि जब समाचार पत्रों और टीवी चैनल के माध्यम से उन्हें इस घटना की जानकारी हुई तो वह काफी दुखी हुई. उन्होंने उस पीड़िता के लिए कुछ करने की तमन्ना लेकर अपनी रचना को माध्यम बनाया. कलयुग के रावण की तुलना रामायण के रावण से करते हुए सीता के अपहरण करने वाले रावण को मर्यादित भी बताया.

नेहा की मां बताती है कि जब नेहा कक्षा 9 में पढ़ती थी. तभी छोटी-छोटी दो चार लाइनें लिखकर दिखाती थी और जब वह बीएससी करने लगे तो बड़ी रचना है करने लगी.

Intro:हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता और हत्या को लेकर पूरे देश मे आक्रोष एक बार फिर ऊबल पड़ा है हर व्यक्ति इस घटना से आहत है कहीं पर आरोपियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है तो कहीं मृत आत्मा की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला गया बलिया में बीएड की छात्रा ने अपनी रचना से इस वारदात की व्यथा को व्यक्त किया है छात्रा नेहा यादव ने अपनी रचना का शीर्षक "वो रावण तो मर्यादित था"दिया है


Body:बलिया जिले के विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाली B.Ed की छात्रा नेहा यादव हैदराबाद की इस घटना पर काफी आहत है उसने अपनी कविता से निर्दोष पीड़िता के प्रति सहानुभूति दी तो वही आरोपियों के इस कृत्य पर आक्रोश भी व्यक्त किया किया
नेहा ने अपनी रचना का शीर्षक वर्तमान हालात पर महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को बना कर रखा है नेहा की इस रचना में रामायण के रावण को कलयुग के दानव रूपी रावण से काफी मर्यादित बताया गया है

वो रावण तो मर्यादित था

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था, इन रावण ओं का क्या करें...

अब तो ना उस रावण की मर्यादा रही, ना तो अब सीता भी खास रही..

हे ईश्वर !अब तुम्हारी ही आस रही, देखो ना अब तुम्हारे दर पर भी स्त्री लज्जा सुरक्षित ना रही...

वो रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावण ओं का क्या करें..

वर्षों से दुष्कर्म के कारण पहनावे की लघुता बताई जा रही, तो बताओ ना क्या प्रियंका थी अश्लील कपड़ों में जा रही...

अरे घिन तो तुम्हारी तीसरे दर्जे की सोच पर आ रही,जलाते हुए उस तड़पती प्रियंका को क्या तुम्हारी आत्मा नहीं धिक्कार रही?

वह रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावण ओं का क्या करें...


Conclusion:छात्रा नेहा यादव ने इससे पहले सामाजिक मुद्दों और परिवार के रिश्तो को लेकर 15 रचनाएं लिखी है जो कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई हैं लेकिन हैदराबाद की घटना को लेकर जिस तरह नेहा ने अपनी व्यथा को कविता के माध्यम से उकेरा है लोग इसे पसंद कर रहे हैं

नेहा बताती है कि जब समाचार पत्रों और टीवी चैनल के माध्यम से उन्हें इस घटना की जानकारी हुई तो वह काफी दुखी हुई वह उस पीड़िता के लिए कुछ करने की तमन्ना लेकर अपनी रचना को माध्यम बनाया और कलयुग के रावण की तुलना रामायण के रावण से करते हुए सीता के अपहरण करने वाले रावण को मर्यादित भी बताया

नेहा की मां बताती है कि जब नेहा कक्षा 9 में पढ़ती थी तभी छोटी-छोटी दो चार लाइने लिख कर दिखाती थी और जब वह बीएससी करने लगे तो बड़ी रचना है करने लगी नेहा के इस प्रयास से हम लोग काफी खुश है

बाइट1--नेहा यादव--बीएड छात्रा
बाइट2--उषा यादव---नेहा की माँ
पीटीसी--प्रशान्त बनर्जी

नोट--इस स्टोरी में वॉइस ओवर डेस्क से कराने की कृपा करें

TCR--.54 सेकेंड से 1.40 तक रचना पढ़ने के विजुअल है ईटीवी भारत के आईडी पर

बाइट उसके बाद है

प्रशान्त बनर्जी
बलिया

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:24 PM IST
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