बलिया: हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ हुई बर्बरता और हत्या को लेकर पूरे देश में आक्रोष एक बार फिर ऊबल पड़ा है. हर व्यक्ति इस घटना से आहत है कहीं पर आरोपियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है तो कहीं मृत आत्मा की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला जा रहा है. बलिया में एक बीएड की छात्रा ने अपनी रचना से इस वारदात की व्यथा को व्यक्त किया है. छात्रा नेहा यादव ने अपनी रचना का शीर्षक 'वो रावण तो मर्यादित था' दिया है.
हैदराबाद पीड़िता की सहानुभूति के लिए लिखी कविता
- बलिया जिले के विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाली B.Ed की छात्रा नेहा यादव हैदराबाद की इस घटना पर काफी आहत हैं.
- नेहा ने जहां अपनी कविता से निर्दोष पीड़िता के प्रति सहानुभूति दी, तो वहीं आरोपियों के इस कृत्य पर आक्रोश भी व्यक्त किया है.
- छात्रा ने अपनी रचना का शीर्षक वर्तमान हालात पर महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं को बना कर रखा है.
- नेहा की इस रचना में रामायण के रावण को कलयुग के दानव रूपी रावण से काफी मर्यादित बताया गया है.
वो रावण तो मर्यादित था
वह रावण तो फिर भी मर्यादित था, इन रावणओं का क्या करें...
अब तो ना उस रावण की मर्यादा रही, ना तो अब सीता भी खास रही..
हे ईश्वर !अब तुम्हारी ही आस रही, देखो ना अब तुम्हारे दर पर भी स्त्री लज्जा सुरक्षित ना रही...
वो रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें..
वर्षों से दुष्कर्म के कारण पहनावे की लघुता बताई जा रही, तो बताओ ना क्या महिला डॉक्टर भी अश्लील कपड़ों में जा रही...
अरे घिन तो तुम्हारी तीसरे दर्जे की सोच पर आ रही, क्या उसे जलाते हुए तुम्हारी आत्मा नहीं तुमको धिक्कार रही..
वह रावण तो फिर भी मर्यादित था इन रावणओं का क्या करें...
15 रचनाएं लिख चुकी हैं नेहा
छात्रा नेहा यादव ने इससे पहले सामाजिक मुद्दों और परिवार के रिश्तों को लेकर 15 रचनाएं लिखी हैं. जो कई समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई हैं, लेकिन हैदराबाद की घटना को लेकर जिस तरह नेहा ने अपनी व्यथा को कविता के माध्यम से उकेरा है, लोग इसे पसंद कर रहे हैं.
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नेहा बताती हैं कि जब समाचार पत्रों और टीवी चैनल के माध्यम से उन्हें इस घटना की जानकारी हुई तो वह काफी दुखी हुई. उन्होंने उस पीड़िता के लिए कुछ करने की तमन्ना लेकर अपनी रचना को माध्यम बनाया. कलयुग के रावण की तुलना रामायण के रावण से करते हुए सीता के अपहरण करने वाले रावण को मर्यादित भी बताया.
नेहा की मां बताती है कि जब नेहा कक्षा 9 में पढ़ती थी. तभी छोटी-छोटी दो चार लाइनें लिखकर दिखाती थी और जब वह बीएससी करने लगे तो बड़ी रचना है करने लगी.