बालिया: जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव करने के लिए शासन ने निर्देश दिया है. कालाजर प्रभावित 10 ब्लॉक कोटवा, बांसडीह, सोनवानी, दुबहर, वयना, मनियर, मुरली छपरा, रेवती, नरही व चिलकहर में छिड़काव किया जाएगा. वहीं वर्तमान में दो ब्लॉक चिलकहर और सोहाव में छिड़काव का कार्य शुरू हो गया है.
दीवारों के अंदर होता है छिड़काव
वेक्टर बोर्न कंट्रोल डिसीज नोडल अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेआर तिवारी ने बताया कि 15 जून 2020 से शुरू किया गया छिड़काव का कार्य 30 जुलाई 2020 तक किया जाएगा. कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी नीलोत्पल कुमार ने बताया कि कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने व कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है. यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है.
टीमों का हुआ गठन
सोहाव ब्लॉक के कुतुबपुर और चिलकहर ब्लॉक के डुमरी गांव में कालाजार का छिड़काव किया जा रहा है. छिड़काव के लिए चार टीमें काम कर रही हैं. प्रत्येक टीम में छह कर्मचारियों को शामिल किया गया है. जिले में कालाजार से प्रभावित 10 ब्लॉक हैं, जहां पर बालू मक्खी पाई जाती है. इन स्थानों पर छिड़काव का कार्य किया जाएगा.
ऐसे फैलता है कालाजार
कालाजार एक संक्रमण बीमारी है, जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है. यह एक वेक्टर जनित रोग भी है. इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है. कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है, जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों व नम मिट्टी में रहती है. बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है. इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है. इसी से इसका नाम कालाजार यानी काला बुखार पड़ा.
कालाजार के लक्षण
- बुखार रुक-रुक कर या तेजी से व दोहरी गति से आता है.
- भूख कम लगती है, शरीर में पीलापन और वजन घटने लगता है.
- स्प्लीन यानी तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ने लगता है.
- त्वचा-सूखी, पतली और शल्की होती है और बाल झड़ने लगते हैं.
- शरीर में खून की कमी बहुत तेजी से होने लगती है.
कालाजार से बचने के उपाय
कालाजार का लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें. इसके रोकथाम के लिए अपने आसपास किसी प्रकार की गंदगी न फैलने दें. बरसात के समय में ज्यादातर दीवारों में नमी बनी रहती है, वहां दवा का छिड़काव अवश्य कराएं, ताकि बीमारी से बचा जा सके.